दादी माँ का लाड़ला

एक बूढी औरत अपने बछड़े के साथ रहती थी। बछड़ा उसे बहुत प्यारा था। उसके प्यार को देखकर सब लोग बछड़े को दादी माँ का लाड़ला कहने लगे थे।

बछड़ा बड़ा होकर शक्तिशाली बैल बन गया। उसने निश्चय किया कि वह अपनी मालकिन के लिए धन कमाएगा।

एक दिन उसकी निगाह एक व्यापारी पर पड़ी। व्यापारी की गाड़ियां नदी में फंस गयी थी। उसके बैल गाड़ी को खींच नहीं पा रहे थे।

व्यापारी ने दादी माँ के लाड़ले से कहा, अगर तुम मेरी गाड़ी खींचने में सहायता करोगे तो मैं तुम्हें सोने के सिक्के दूंगा।

बैल ने उसकी सारी गाड़ियां खींचकर निकाल दीं। व्यापारी ने एक थैली में सोने के दो सिक्के रखकर बैल के गले में लटका दिए।

अपनी मेहनत की कमाई लेकर बैल प्रसन्न्तापूर्वक घर लौटा और अपनी मालकिन को अपनी कमाई सौंप दी।