सूचीमुख और बंदर

बंदरों का झुण्ड एक पर्वत पर रहता था। जब सर्दियाँ आई तो बंदरों ने बहुत सारे बेर इकठ्ठे किए। अब धधकते कोयलों की तरह बंदरों ने इन बेरों को फूँकना शुरू कर दिया।

सूचीमुख नाम का पक्षी बंदरों को यह सब करते हुए देख रहा था। वह उनसे बोला, जिन लाल-लाल चीजों को तुम लोग कोयला समझ रहे हो, वे तो बेर हैं। क्यों अपनी मेहनत उन पर बर्बाद कर रहे हो ?

इसके बजाय किसी गुफा को ढूंढकर उसमें अपना घर क्यों नहीं बना लेते ?

एक बंदर ने पलटकर जवाब दिया, तुम हमारे बीच में क्यों टपक रहे हो ?

जाओ और हमे जो करना है, वो करने दो!

हालाँकि सूचीमुख नहीं माना। वह लगातार उन्हें उपदेश देता ही रहा।

आख़िरकार बंदर इतने अधिक चिढ गए कि उन्होंने सूचीमुख को पकड़कर

उसकी अच्छी पिटाई कर दी। किसी मुर्ख को सलाह नहीं देनी चाहिए और न ही किसी को बिना मांगे सलाह देनी चाहिए।