साँप और किसान

एक किसान सर्दी की रात में अपने घर वापस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक साँप मिला।

ठंड के मारे सांप की जान निकलने ही वाली थी। किसान को उस पर दया आ गई और वह उसे घर ले आया।

घर में किसान ने सांप को कुछ देर के लिए आग के पास रख दिया। कुछ ही देर में गर्मी पाकर सांप की हालत ठीक होने लगी।

जैसे ही साँप पूरी तरह से सामान्य हुआ वैसे ही वह फन तानकर खड़ा हो गया और किसान की पत्नी और बच्चों पर हमला कर दिया।

किसान ने अपनी पत्नी और बच्चों के चिल्लाने की आवाज सुनी तो वह दौड़ा-दौड़ा आया। उस कमरे में आकर उसे वह डरावना दृश्य दिखाई दिया।

उसकी पत्नी और बच्चे डर के मारे बेहोश पड़े थे और सांप उन्हें डँसने के लिए तैयार बैठा था। किसान ने तुरंत एक कुल्हाड़ी उठाई और सांप के दो टुकड़े कर डाले।

सांप के तुरंत प्राण निकल गए। किसी ने सही कहा है कृतघ्न व्यक्ति पर दया दिखाने का कोई लाभ नहीं होता।