हाथ की चूड़ियां और दाढ़ी के बाल

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

एक दिन बादशाह अपने महल की छत पर बैठा हुआ था। उसके पास ही खोजा मुस्तैदी के साथ खड़ा था।

अभी-थोड़ी देर पहले ही दोनों में किसी मसले पर विचार-विमर्श हुआ था, जिसमें खोजा ने बादशाह को अपनी राय बताई थी और बादशाह ने खोजा की राय पर रजामंदी जाहिर की थी।

तभी बादशाह ने उस मसले से अपना ध्यान हटाया और अचानक खोजा से पूछा लिया। खोजा! ये राज-काज के मसले तो कभी खतम नहीं होंगे।

क्यों न कुछ देर के लिए ध्यान राज-काज से हटाकर हंसी-ठिठोली की और लगाया जाए।

आप हंसी-ठिठोली के रंग में हैं, आलमपनाह। खोजा भी मुस्कराकर बोला, मुझसे कुछ सवाल करना चाहते हैं तो करिए।

बादशाह बोला, खोजा अभी कुछ वर्ष पहले ही तुमने शादी की है। तुम अपनी बेगम का तो ख्याल रखते ही होंगे ?

हाँ जहाँपनाह। अपनी बेगम को भला कौन नहीं चाहता ?

तब तो तुम जरूर ही यह बता सकोगे कि तुम्हारी बेगम हाथों में कितनी चूड़ियां पहनती हैं ?

खोजा खामोश रहा। उससे कोई जवाब देते नहीं बना। लेकिन बादशाह था कि उसे छोड़ना नहीं चाहता था। उसने फिर से पूछा बताओ खोजा। तुम्हारी बेगम हाथों में कितनी चूड़ियां पहनती हैं ?

खोजा ने कहा, आलमपनाह! अपनी बेगम के हाथों की चूड़ियां गिनने का तो मुझे कभी समय ही नहीं मिला। न मैंने कभी उसकी चूड़ियाँ की तरफ कभी ध्यान दिया। पर मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ।

हाँ-हाँ जरूर पूछो! बादशाह ने आनंदित होते हुए कहा।

हुजूर! आप अपनी प्यारी दाढ़ी पर दिनभर में न जाने कितनी बार हाथ फिराते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि आपकी दाढ़ी में कितने बाल हैं ?

खोजा के इस अटपटे प्रश्न से बादशाह बौखला गया। कुछ पल रुककर उसने कहा, खोजा इस सवाल का जवाब देना तो बहुत मुश्किल है।

लेकिन मेरा सवाल आसान है, तुमने जरूर अपनी बेगम की चूड़ियां गिनी होंगी ?

खोजा ने उत्तर दिया, आलमपनाह! स्त्री के हाथ की की चूड़ियां गिनना भी असंभव ही है।

कारण यह कि स्त्रियां अपनी इच्छानुसार चूड़ियां की संख्या घटाया-बढ़ाया करती हैं किन्तु जिस दरवाजे की सीढ़ियों से आप रोजाना आया-जाया करते हैं क्या उनकी संख्या ठीक-ठीक बता सकते हैं ?

बादशाह बोला, खोजा! मुझे वह सीढियाँ गिनने का कभी मौक़ा ही नहीं मिला। इस पर खोजा ने कहा, जब सीढियाँ जैसी ठोस और निश्चित रहने वाली चीजों की गिनती नहीं की तो फिर चूड़ियां कैसे गिनी जा सकती है ?

खोजा के ऐसे तथ्यपूर्ण उत्तर को सुनकर बादशाह खुश हो गया उसने खोजा को पुरस्कार दिया और भविष्य में भी ऐसे तर्कपूर्ण उत्तर देने की शुभकामना दी।