स्वर्ग का रास्ता

एक बार हम्पी के पास वाले गाँव में एक साधु आया।

उस साधु ने कई चमत्कार दिखाये और उपदेश दे कर भोले-भाले गांव वालों पर अपना प्रभाव जमा लिया। वह साधु एक मंदिर में ठहरा था।

जब तेनालीराम को उस साधु के विषय में पता लगा तो उसे कुछ शक हुआ। दिन चढ़ते ही तेनालीराम मंदिर में जा पहुंचा और अन्य गांव वालों के साथ उस साधु के निकट ही बैठ गया।

चमत्कारी साधु एक चबूतरे पर बैठा था। वहीं बैठकर वह कोई श्लोक पढ़ता और चमत्कार दिखाता।

कुछ देर बाद तेनाली को लगा कि यह साधु तो एक ही श्लोक बार-बार पढ़े जा रहा है। उसके चमत्कार भी कोई ख़ास नहीं थे, मात्र हाथ की सफाई थी।

अब तेनाली का शक यकीन में बदल गया कि यह कोई बहुरुपिया है, जो साधु के वेश में लोगों को ठगने आया है।

कुछ सोच-विचार कर तेनाली एकदम से साधु की और झुका और उसकी सफेद दाढ़ी का एक बाल तोड़ लिया। उस बाल को हाथ में लेकर तेनाली जोर-जोर से चिल्लाने लगा, मिल गया .... मिल गया।

मुझे स्वर्ग का रास्ता मिल गया। अब मैं सीधे स्वर्ग जाऊंगा।

गांव वाले भौचक्के-से तेनालीराम की और देखते रह गये। ये साधु महाराज कोई आम साधु नहीं हैं।

ये तो इस दुनिया में सबसे पहुंचे हुए साधु हैं। ये इतने महान हैं कि इनकी दाढ़ी का एक बाल तोड़ कर कोई अपने पास रख ले तो उसका बेड़ा पार हो जाये। साधु की दाढ़ी का बाल दिखाते हुए तेनाली ने गाँव वालों से कहा।

अब क्या था। ...... लोगों में साधु की दाढ़ी का बाल तोड़ने की होड़ लग गयी। लपक कर सभी गाँव वाले साधु की लहराती दाढ़ी पर लटक गये।

बेचारे साधु महाराज की तो जान पर बन आयी। अपना लोटा-कमण्डल छोड़, वे तो दम दबा कर ऐसे भागे कि फिर पलट के भी नहीं देखा।