मिठाई की जड़

विजयनगर साम्राज्य के चीन, श्रीलंका आदि देशों से अच्छे व्यापारिक संबंध थे। विदेशी यात्री और व्यापारी लगातार विजयनगर आते जाते रहते थे।

व्यापर बहुत चल रहा था।

एक बार रसूल नाम का एक व्यापारी ईरान से भारत आया था। वह राजा कृष्णदेव राय से भी मिलने आया।

राजा की ओर से उसके ठहरने का इंतजाम शाही मेहमानखाने में किया गया। राजा ने उसका ख़ास ध्यान रखने का आदेश दिया।

दिन में रसूल हम्पी घूमने निकला। खेतों की हरियाली, ऊँचे-ऊँचे दरख्त गन्ने की फसल आदि देखकर रसूल अचम्भित रह गया, क्योंकि उसके देश में ऐसी हरियाली कहीं भी देखने को नहीं मिलती थी।

उस रात भोजन के बाद राजा कृष्णदेव राय ने रसोइए को आदेश दिया कि वहाँ की मशहूर मिठाइयाँ जैसे कि पूरनपोली, मैसूर पाक, श्रीखण्ड, मोदक आदि रसूल को चखायी जाये। रसोइए ने ऐसा ही किया, पर रसूल ने उनमें से एक भी मिठाई नहीं छुई। राजा को बहुत आश्चर्य हुआ।

तभी रसूल ने रसोइए से कहा, भाई, मुझे इन सबकी जड़ लाकर दो। मैं उन्हें चखूँगा।

रसोइया हैरानी से राजा की आरे देखने लगा। मैसूर पाक, श्रीखंड, पूरन पोली की जड़ें......... !!!!!! राजा कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि रसूल क्या चाहता है ?

उन्होंने तो कभी भी इन मिठाइयों की जड़ों के बारे में नहीं सुना तो उन्होंने मेहमान से एक दिन का समय माँगा।

अगले दिन दरबार में राजा ने अपने दरबारियों से उन सभी मिठाइयों की जड़ें लाने को कहा। सभी दरबारी एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। मिठाइयों की जड़........ ऐसा तो न कभी देखा सुना। राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम की ओर देखा।

तेनाली ने एक बड़ा कटोरा और लम्बी तेज छुरी मँगवाई और भीतर चला गया।

सभी दरबारी आश्चर्य से जाते हुए तेनाली की ओर देख रहे थे, क्योंकि इतना तो वे सब जानते थे कि मिठाइयों की कोई जड़ नहीं होती, फिर तेनाली कहाँ से जड़ निकालेगा।

एक घण्टे बाद तेनालीराम दरबार में वापस आया। उसके हाथ में कपड़े से ढका वही कटोरा था। वह राजा के पास गया और बोला, महाराज! ये रहीं पूरनपोली मैसूर पाक, श्रीखंड और मोदक की जड़ें।

सभी दरबारियों की आँखे खुली रह गयी। वे सब उचक-उचक कर कटोरे में झाँकने की कोशिश करने लगे, पर कटोरा तो कपड़े से ढका था।

तेनाली के आग्रह पर रसूल को दरबार में बुलाया गया। रसूल ने तेनाली से वह कटोरा लिया और उस पर ढका कपड़ा हटा कर उसमें रखी जड़ चखी।

वाह, महाराज! पूरनपोली, श्रीखण्ड मैसूर पाक और मोदक की जड़ तो अत्यंत मीठी हैं। ये ईरान में नहीं मिलती। इनके स्वाद के जादू ने मुझे तो अपना गुलाम बना लिया है।

आपके राज्य की मिठाइयों की जड़ तो मिठाई से भी ज्यादा मीठी है। मजा आ गया इन्हें खाकर।

रसूल को गन्ने का एक टुकड़ा मुहँ में डालते देख कर राजा और सभी दरबारियों के मुँह खुले रह गये।

इस सबसे बेखबर रसूल एक के बाद गन्ने के छोटे टुकड़े खाता जा रहा था, जिन्हें तेज छुरी से काट कर तेनालीराम ने कटोरे में भर कर रसूल को दिया था।

असलियत समझ में आते ही राजा मुस्कुरा उठे और उनके साथ ही सब दरबारियों के चेहरे खिल उठे। आज तेनालीराम की चतुराई ने विदेशी मेहमान के सम्मुख उनकी नाक कटने से बचा दी।