कुएँ में सन्दूक

तेनालीराम के घर में एक बगीचा था, जिसमें वह फल-सब्जी उगाया करता था।

बगीचे के एक कोने में एक कुंआ था।

एक शाम भोजन करने के बाद छत पर टहलते हुए तेनालीराम बगीचे का निरीक्षण कर रहा था।

गर्मी का मौसम था और पौधे सूख रहे थे।

अभी तेनाली बगीचे में पानी लगाने की सोच ही रहा था कि उसने पीछे की झाड़ियों में कुछ हरकत महसूस की।

थोड़ा ध्यान से देखने पर उसे चार खोपड़ियाँ नजर आयी। वह समझ गया कि वहां कुछ चोर छुपे हैं।

ऐसे जताते हुए, मानो उसने झाड़ियों में कुछ नहीं देखा है, तेनालीराम ने अपनी पत्नी को जोर से आवाज लगायी और चिल्लाकर बोला, आरी भगवान!

शहर में आजकल बहुत चोरी-डकैती हो रही है।

ऐसा कर कि घर की सारी कीमती वस्तुएँ एकत्र करके एक संदूक में भर दो। उसे हम बगीचे वाले कुँए में फेंक देंगे। चोर वहां क्या ढूंढेगे। इस प्रकार हमारा सामान सुरक्षित रहेगा।

इसके बाद तेनालीराम चुपचाप घर में गया और वहाँ अपनी पत्नी को बगीचे में छुपे चोरों के बारे में बताया।

तेनाली ने उसे अपनी योजना समझाई और चारों को सबक सिखाने की ठान ली।

एक बड़ा-सा लोहे का सन्दूक निकाल कर तेनाली ने उसमें बड़े-बड़े पत्थर भर दिये और उस सन्दूक को बगीचे बाले कुँए में फेंक दिया। फिर वह चुपचाप अपने घर के अंदर आ गया और भीतर से कुण्डी लगा ली।

रात गहरी होते ही चारों चोर बाहर निकल आये। उन्होंने तेनाली की बात भी सुन ली थी और फिर तेनाली और उसकी पत्नी को कुँए में सन्दूक फेंकते हुए भी देख लिया था। चारों ने संदूक को रस्सी से खींचने की कोशिश की पर वह बहुत भारी था।

अंत में थक-हारकर एक चोर ने सलाह दी कि क्यों न कुँए का पानी बाहर फेंक दें और फिर काम शुरू कर दिया।

इसी प्रकार पूरी रात बीत गयी। जब संदूक का ताला दिखने लगा, तो चरों चोर कुँए में उतरे और संदूक का ताला तोड़ कर उसमें भरा सामान निकालने लगे। संदूक भारी पत्थरों से भरा देखकर उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

तेनालीराम अपने कमरे की खिड़की से यह सारा तमाशा देख रहा था।

सवेरा हो चूका था। तेनालीराम को बगीचे में घुसते देखकर चारों चोरों ने भागने की कोशिश की, तो तेनालीराम जोरों से चिल्लाया अरे दोस्तों! मुझसे क्यों डर रहे हो।

मैं तुम्हें पकडूँगा नहीं। मैं तो तुम्हारा अहसानमन्द हूँ कि मेरे बगीचे के सूखते हुए पौधों को तुमने इतनी मेहनत से सींचा।

अब चोरों को समझ में आ गया कि तेनालीराम ने उनको उल्लू बना दिया है।

वे तेनाली के पैरों पर गिर गये और उससे माफ़ी माँगने लगे।