मालिक कौन ?

एक दिन तेनालीराम मिठाई खरीदने बाजार गया।

मिठाई की दुकान के बाहर अनेकों आवारा कुत्ते जमघट लगाए बैठे थे।

जो भी मिठाई खरीदने आता था उन्हें मिठाई के एक-दो टुकड़े डाल जाता।

तेनालीराम को जानवरों से बहुत प्यार था। उन कुत्तों के पास से गुज़रते हुए उसने एक कुत्ते के सिर पर हाथ फेरा, तो वह पूंछ हिलाता हुआ तेनाली के पीछे चल दिया।

तेनालीराम बिना ध्यान दिये मिठाई की दुकान में चला गया।

उस कुत्ते को लगा कि तेनाली उसे साथ ले चलेगा, तो वह भी उसके पीछे मिठाई दुकान में घुस गया। उसी समय दुकान का मालिक कुछ सामन खरीद कर वापस लौट रहा था।

उसने तेनाली के पीछे उस गंदे कुत्ते को दुकान में घुसते देखा, तो आग बबूला हो गया।

वह चिल्ला कर तेनालीराम से बोला, ओ तेनाली! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस गंदे सड़क के कुत्ते को लेकर मेरी दुकान में घुसने की ?

इसे अभी इसी वक्त यहां से भगाओं।

दुकानदार की ऐसी तीखी बात सुनकर तेनालीराम सन्न रह गया और गुस्से से पलट कर बोला, तुम्हें किसने कहा कि यह मेरा कुत्ता है ?

यह तो कोई आवारा कुत्ता है, जो मेरे पीछे लगा हुआ है। परन्तु दुकानदार को यकीन नहीं हुआ।

वह फिर बोला, तेनाली! तुम खुद को बहुत होशियार समझते हो है न ! तुम पूरे शहर को बेवकूफ बना सकते हो, पर मुझे नहीं बना सकते।

यह कुत्ता तुम्हारे पीछे-पीछे दुकान में घुसा है, तो यह तुम्हारा ही तो है।

इस पर तेनालीराम हंसा और बोला, श्रीमान! फिर तो यह कुत्ता आपका मालिक है।

यह सुनकर दुकानदार का मुंह गुस्से से लाल हो गया। वह जोर से चिल्लाया, क्या मतलब है तुम्हारा ? यह कुत्ता मेरा मालिक कैसे हो सकता है ?

तेनाली ने शांतिपूर्वक समझाया, देखिए श्रीमान यह कुत्ता मेरे पीछे-पीछे दुकान में घुसा, तो आपने मुझे इसका मालिक जाना।

अब आप इस कुत्ते के पीछे दुकान में घुसे, तो यह कुत्ता आपका मालिक हुआ कि नहीं ? सीधा सा हिसाब है, कहिए समझ में आया ?

अब दुकानदार को अपनी गलती समझ में आ गयी। तेनाली की इस बात पर उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था, गर्दन झुकाकर वह सिर्फ इतना ही बोल पाया, ठीक है भाई! माफ़ करना।

मैं गलत समझ बैठा। यह कह कर उसने मिठाई के कुछ टुकड़े दुकान के बाहर फेंक दिये। वह कुत्ता झट से दुकान के बाहर भाग गया।