मेरा घोड़ा स्टेलिन

नाना नानी की कहानियाँ

हमारे देश भारत से कुछ दूरी पर एक देश है जर्मनी।

जर्मनी के एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक घोड़ा था। घोडे का नाम था स्टेलिन।

स्टेलिन चमकदार सफेद रंग का था। उसका कद काफी

ऊँचा था। जब वह चलता था तो ऐसा लगता था जैसे हवा में उड़ रहा है।

उसका मालिक जब उस पर बैठकर गाँव में निकलता था तो सभी लोग उसे ध्यान से देखते थे और उसके घोडे की तारीफ करते थे।

किसान को अपने घोड़े की तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता था। वह बडे गर्व से उसके किस्से सबको सुनाता था।

एक बार वह अपने स्टेलिन पर सवार होकर घूमने निकला। रास्ते में उसने एक फार्महाउस देखा।

वहाँ पर बहुत सारे घोड़े थे। सब एकदम स्वस्थ, तेज और फुर्तीले थे।

'इतने सारे घोड़ों का ध्यान रखना कितना मुश्किल होगा। लेकिन सभी घोडे कितने स्वस्थ हैं। इनका मालिक इनका ध्यान कैसे रखता होगा।' उसके मन में जिज्ञासा हुई।

उसने देखा कि एक व्यक्ति बड़ी मेहनत से घोड़ों को धुलाई कर रहा है। वह उसके पास पहुँचा। फिर उसने पूछा-

भाई साहब, आपके पास इतने सारे घोडे हैं, सबकी देखभाल आप अकेले केसे करते हैं ?'

वह व्यक्ति बोला, 'ये घोडे मेरे नहीं हैं, मैं तो बस इनका ध्यान रखने वाला नोकर हूँ।'

यह सुनकर किसान के मन में यह बात बैठ गई कि ये घोडे उसके स्टेलिन से ज्यादा स्वस्थ इसलिए हैं क्योंकि उनके मालिक ने देखभाल के लिए एक व्यक्ति रखा है।

बस वापिस आकर उसने पहला काम यही किया कि एक नौकर रख लिया। यह नौकर विशेष रूप से स्टेलिन के लिए था।

नौकर ने जल्दी ही सब काम सीख लिया। वह सुबह जल्दी उठ जाता था।

स्टेलिन को नहलाता था और उसकी खूब मालिश करता था। फिर उसे खाना खिलाता था।

वह स्टेलिन की देखभाल अच्छी तरह करता था। स्टेलिन का शरीर अब और भी चमकदार हो गया था। दूर से ही उसका सफेद रंग सबको लुभा लेता था।

किसान बहुत खुश था। उसने स्टेलिन की पूरी जिम्मेदारी नौकर को दे दी।

कुछ दिन बीते तो किसान ने महसूस किया कि स्टेलिन कुछ सुस्त-सा हो गया है।

अब वह इतना तेज नहीं दौड़ पाता जैसे पहले दौड़ता था। उसकी चमड़ी तो चमक रही थी, लेकिन उसकी शक्ति कम हो गई थी।

उसे बहुत आश्चर्य हुआ। तब उसने निश्चय किया कि वह खुद इसका कारण खोज निकालेगा।

उसने स्टेलिन के कमरे के आसपास सभी जगहों की सफाई की। जब उसे कुछ नहीं मिला तो उसने नौकर के कमरे को तलाशी ली।

नौकर के पलंग के नीचे उसे घोडे के चारे की बहुत-सी थैलियाँ मिलीं।

वह समझ गया कि उसका नौकर घोडे को पूरा खाना नहीं देता था बल्कि उसके खाने से वह कुछ भाग बचाकर बाजार में बेच देता था।

उसे नौकर पर बहुत गुस्सा आया। साथ ही उसे अपनी गलती का आभास भी हुआ।

“मेरा स्टेलिन कितना स्वस्थ था, जब मैं खुद उसकी देखभाल करता था। मैंने गलती की जो स्टेलिन कौ पूरी जिम्मेदारी नौकर के ऊपर छोड़ दी। अब मैं फिर से खुद ही उसकी सेवा करूँगा और वह पहले जैसा स्वस्थ हो जाएगा।' उसने सोचा।

किसान ने उसी दिन नौकर को निकाल दिया।