सजी-धजी भूतनी

कारों के आगे-आगे चलती सजी-धजी युवती

कहानी 1930 से शुरू हुई, जब आर्चर ऐवेन्यू से गुजरने वाले तकरीबन हर कार चालक की मुलाकात सफेद कपड़ों में सजी-धजी युवती से होने लगी।

कुछ का कहना था कि वह सुंदर युवती उनकी गाड़ी के आगे कूदने की चेष्टा में रहती है, कुछ ने उसे ओ हेनरी ब्राउन बालरूम में पाया और उसके साथ डांस व बातें करने के बाद उसे घर छोड़ने का भी प्रस्ताव किया।

वह गाड़ी में बातें करती आई और आर्चर रोड़ स्थित कब्रिस्तान का गेट आते ही गायब हो गई कुछ ने उसे सड़क किनारे चलता देखकर लिफ्ट भी दी।

ज्यादातर लोगों ने उसका एक ही हुलिया बताया-हल्के रंग के घुंघराले बाल, नीली आंखें, सफेद रंग की पार्टी ड्रेस, हल्की-सी शॉल, डांसिंग शूज व एक छोटा-सा पर्स टांगे हुए एक सुंदर युवती, उम्र करीब 19 साल।

कुछ अनुभव और भी ज्यादा डरावने थे।

कार चालकों को अचानक अपनी कार के आगे-आगे भागती एक युवती दिखाई देती और गाड़ी की आवाज के साथ उससे टकरा जाती।

वे हड़बड़ाकर नीचे उतरते तो चारों ओर सन्नाटे के सिवा कुछ न होता। कुछ को युवती दिखाई देती और इसके साथ ही उनकी गाड़ी उसमें से पार निकल जाती।

पीछे देखने पर वह सड़क पर खड़ी मिलती । इसके बाद भयभीत ड्राइवर अगले पुलिस स्टेशन में अपनी कहानी सुना रहे होते।

अधिकतर शोधकर्ता इस कहानी पर सहमत थे कि वह युवती मैरी थी, जो नए साल की शुरुआत में अपने प्रेमी के साथ ओ हेनरी बालरूम में डांस करने आई थी।

किसी बात पर उससे झगड़ा होने पर वह पैदल ही सड़क पर चल दी और किसी गाड़ी से टकरा गई । ड्राइवर उसे वहीं मरता छोड़कर भाग गया।

उसके परिजनों ने उसे सफेद ड्रेस व डांसिंग शूज के साथ ही दफना दिया। तब से उसकी आत्मा आर्चर रोड पर भटकती रही।

यूं तो मैरी से मिलने की अनेक कहानियां सामने आईं, लेकिन 10 अगस्त 1976 की रात वह न सिर्फ दिखाई दी, बल्कि साढ़े दस बजे कब्रिस्तान से गुजरते एक कार चालक ने सफेद ड्रेस में एक युवती को गेट की लोहे की सलाखें पकड़े देखा, जो उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रही थी।

चालक ने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई कि शायद कोई युवती गलती से कब्रिस्तान के अंदर बंद हो गई है।

तुरंत पुलिस वाले वहां गए, लेकिन पूरे कब्रिस्तान में कोई न मिला।

लेकिन गेट की हालत जहां चालक ने लड़की को देखा था, रोंगटे खड़े कर देने वाली थी।

उन्होंने पाया कि दो बड़ी-बड़ी सलाखों को उखाड़कर उमेठ दिया गया था।

गेट पर खुरचने के भी निशान थे और उंगलियों के भी, जैसे वे किसी बहुत गर्म मोहर से छापे गए हों।

हाथों के वे छोटे-छोटे निशान बड़ी खबर बन गए और देखने वालों का तांता लग गया ।

लड़की का हलिया मैरी से मिलता था।

कब्रिस्तान के अधिकारियों ने कहा कि सलाखें एक ट्रक के टकराने से मुड़ी थीं व उंगलियों के निशान एक मरम्मत करने वाले मजदूर के थे।

इस पर किसी ने यकीन नहीं किया।

1970 से 1980 के बीच उसकी कहानियों की बाढ़ सी आ गई।

यह वह समय था जब कब्रिस्तान की मरम्मत चल रही थी और मैरी को शांति नहीं मिल रही थी।

वह कया चाहती थी, यह कभी पता न लगाया जा सका।