सबको प्रसन्न करने वाला व्यापारी

एक व्यापारी और उसका बेटा अपने गधे के साथ एक गाँव के मेले में गए।

रास्ते में उन्हें कुछ लड़कियाँ मिलीं।

एक लड़की बोली, “देखो तो ये दोनों कितने मूर्ख हैं।

इनके पास गधा है, फिर भी ये पैदल ही चल रहे हैं।"

व्यापारी को लगा कि वे लड़कियाँ सही बात कह रही हैं।

उसने अपने बेटे से गधे पर बैठ जाने को कहा।

तभी एक सज्जन व्यक्ति उनके पास आया और सलाह देने लगा कि गधा काफी दुबला दिखता है और इसलिए उस पर सवारी करने के बजाय गधे को ही कंधे पर लेकर चलना चाहिए।

व्यापारी उसकी बात मान गया।

उसने गधे की टाँगें बाँध दी और टाँगों के बीच में एक लंबी डंडी डाल दी।

इसके बाद वह और उसका बेटा उस डंडी को कंधे पर लादकर चल दिए।

काफी दूर तक वे गधे का भारी बोझ उठाते हुए चलते रहे लेकिन आगे एक बड़ा तालाब आया।

जब वे लोग तालाब पार कर रहे थे, तभी उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गधे सहित ही तालाब में गिर पड़े।

हर किसी को प्रसन्न करने का प्रयास करने से अक्सर मुसीबत आ जाती है।