❤️ डायरी के पन्नों में पति-पत्नी का प्यार

दो डायरी - एक पति - पत्नी के सच्चे प्यार की कहानी जो हमें रिश्तों का महत्व समझती है

जो आपसे सच्चा प्यार करता है वो आपको वैसे ही स्वीकार करेगा जैसा आप है – अच्छाइयों के साथ, कमियों के साथ और ढेर सारे प्यार के साथ। रिश्ते में एक दूसरे को दिल से स्वीकार करने से जीवन खुशहाल तरिके से बीतता है।

शादी की सालगिरह का दिन था।

पति पत्नी एक दूसरे से नाराज़ थे।

कुछ देर पहले दोनों में किसी बात पर जोरदार बहस हुई थी और ये नाराज़गी उसका ही नतीज़ा थी।

दोनों की शादी को पांच साल हो चुके थे।

इन पांच सालों में उनका प्यार धुंधला पड़ने लगा था।

प्यार की जगह शिकायतों ने ले ली थी।

दोनों ये बात अच्छी तरह जानते थे और चाहते थे कि उनके रिश्ते में वो पहले वाली बात आ जाए।

तभी हमारा रिश्ता बच पायेगा।

मैं चाहती हूं कि अगले एक साल में तुम्हें मुझमें जो भी कमियां दिखाई पड़े, वो तुम इस डायरी में लिख देना।

मैंने अपने लिए भी एक ऐसी ही डायरी ले ली है, जिसमें मैं तुम्हारी कमियां लिखा करूंगी।

अगले साल अपनी शादी की सालगिरह के दिन हम एक दूसरे की डायरी पढ़ेंगे और उसमें जो भी कमियां लिखी होंगी,

उस पर चर्चा करेंगे और उन्हें सुधारने की कोशिश करेंगे।”

पति तैयार हो गया। वक्त गुजरता गया और एक साल बीत गया।

शादी की सालगिरह आ गई। दोनों एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे।

पहले पत्नी ने अपनी डायरी पति की तरफ़ बढ़ाई :

पति डायरी के पन्ने पलटने लगा।

पहला पन्ना : तुमने पिछले साल मेरे बर्थ डे पर मुझे कोई तोहफ़ा नहीं दिया।

मुझे बहुत बुरा लगा। तुम्हें तोहफ़ा देना चाहिए था।

दूसरा पन्ना : जब मेरे मम्मी डैडी हमारे घर आए थे, तब हमने मूवी देखने का प्लान बनाया था, लेकिन तुम उस दिन ऑफिस से देर से लौटे।

मम्मी डैडी के सामने मुझे नीचा देखना पड़ा। तुम्हें वादा निभाना सीखना होगा।

तीसरा पन्ना : मैंने तुम्हारे लिए इतनी मेहनत से स्वेटर बुना था, लेकिन तुमने तारीफ़ के दो शब्द भी नहीं कहे।

क्या मैं इस काबिल भी नहीं।

इसी तरह डायरी के सारे पन्ने भरे हुए थे।

पति ने जब डायरी पढ़ ली, तब पत्नी बोली, “मुझे लगता है कि अब से तुम ये गलतियां नहीं करोगे।”

तीसरा पन्ना भी खाली था।

पत्नी ने देखा कि डायरी के सारे पन्ने खाली हैं।

वह नाराज़ होते हुए बोली, “तुम मेरी एक बात भी नहीं मान सकते।

मैंने साल भर कितनी मेहनत से पूरी डायरी लिखी और तुम एक पन्ना भी नहीं लिख सके।”

पति ने कहा, “आखिरी पन्ना खोलो। उस पर मैंने सब लिख दिया है।”

पत्नी ने आखिरी पन्ना खोला और पढ़ने लगी। उसमें लिखा था :

“डियर! चाहे तुमसे जितनी शिकायतें करूं, तुमसे जितनी बहस करूं, सच ये है कि मैं तुम्हारा दिल से आभारी हूं।

क्योंकि इतने सालों में तुमने मुझे और मेरे परिवार को बहुत प्यार दिया है।

इसलिए इस डायरी में लिखने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है।

ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमियां नहीं, लेकिन तुम्हारे प्यार, समर्पण और त्याग के सामने वो सारी कमियां बौनी हैं।

हजारों कमियां हैं मुझमें, इसके बावजूद तुम मेरी परछाई बनकर हरदम मेरे साथ रहती हो।

भला अपनी परछाई की भी कोई कमी निकालता है।

तुम जो हो, जैसी हो, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और इसी तरह तुमसे लड़ते झगड़ते और प्यार करते अपनी सारी जिंदगी गुजार देना चाहता हूं।

उम्मीद है, तुम मुझे और मेरे परिवार को यूं ही प्यार करती रहोगी।”

ये पढ़कर पत्नी की आंखों में आंसू उमड़ आए।

उसने उसी समय अपनी डायरी पति के हाथ छीन ली और उसे जला दी।

साथ में वो सारी शिकायतें भी, जो इतने सालों से उसके मन में दबी हुई थी।

पति पत्नी दोनों ने फैसला किया कि वे जैसे हैं, वैसे ही एक दूसरे को स्वीकार करेंगे – अच्छाइयों के साथ, कमियों के साथ और ढेर सारे प्यार के साथ।