❤️ जूलियट की अनोखी मुहब्बत

जूलियट का प्यार अधूरा क्यों रह गया - एक अधूरी प्यार की ये कहानी

भारत के बहुत से ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों के मुलाजिम, वहां के दुकानदार और तमाम लोग जय को पहचानते थे ।

इस बार जय गाइड के रूप में बोधगया गया हुआ था ।

विदेशी पर्यटकों में उस की मुलाकात जूलियट और उस की मां से हुई।

जय अपने घूमनेफिरने के शौक को पूरा करने के लिए गाइड बन गया था । उस ने इतिहास औनर्स से ग्रेजुएशन की थी ।

उस के पास अपने पुरखों की खूब सारी दौलत थी।

जय के पिता एक किसान थे । पूरे इलाके में सब से ज्यादा जमीन उन्हीं के पास थी ।

उन्होंने खेती की देखभाल के लिए नौकर रखे हुए थे।

जय 3 बहनों में अकेला भाई था। तीनों बहनों की नामी खानदान में शादी हुई थी।

जय की मां एक घरेलू औरत थी।

भारत के बहुत से ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों के मुलाजिम, वहां के दुकानदार और तमाम लोग जय को पहचानते थे।

इस बार जय गाइड के रूप में बोधगया गया हुआ था।

विदेशी पर्यटकों में उस की मुलाकात जूलियट और उस की मां से हुई।

जूलियट की उम्र 19 साल थी।

वह अपनी मां के साथ ताजमहल देखने आई थी।

जूलियट और उस की मां को जय का जानकारी देने का तरीका बहुत पसंद आता है, इसलिए उन्होंने उसे अपना पर्सनल गाइड बना लिया।

पहली ही नजर में जूलियट को जय का कसरती बदन भा गया

और वह उस के तीखे नैननक्श पर फिदा हो गई।

जय दोपहर के भोजन के लिए भारतीय व्यंजन खिलाने के लिए उन्हें एक होटल में ले गया।

जूलियट को खाना इतना तीखा लगा कि उस ने पानी पीने की जल्दी में गरमगरम सब्जी जय के ऊपर गिरा दी और फिर अपने रूमाल से बड़े प्यार

और अपनेपन से साफ किया। अब जय भी जूलियट की तरफ खिंचने लगा।

जूलियट और उस की मां की ताजमहल देखने की बहुत इच्छा थी और जय का गांव आगरा में ताजमहल के पास ही था. बोधगया और एयरपोर्ट के रास्ते के बीच में बड़ी नदी पड़ती थी।

बारिश की वजह से नदी अपने उफान पर थी।

जय के बारबार मना करने के बावजूद नाविक ने ज्यादा मुसाफिर अपनी नाव में बिठा लिए।

नाव बीच नदी में जा कर अपना कंट्रोल खोने लगी और नदी में पलट गई।

इस वजह से बहुत से लोगों की जानें चली गईं।

इस भयानक हादसे का जूलियट की मां पर बहुत बुरा असर पड़ा और उन्होंने उसी समय अपने देश लौट जाने का फैसला ले लिया।

पर इस हादसे के बाद जय जूलियट की निगाह में उस का असली हीरो बन गया।

वह उसे मन ही मन अपना सबकुछ मानने लगी और उस की दीवानी हो गई।

पर मां की जिद के आगे झुक कर जूलियट को वापस अपने देश लौट जाना पड़ा।

पर अपने घर लौटने के बाद भी जूलियट दिन में एक बार जय को फोन जरूर करती थी।

एक रात जय अपने घर की छत पर बैठा हुआ था।

गुलाबी मौसम था।

जय की छत पर गमलों में फूलों के पौधे लगे हुए थे।

उन फूलों की खुशबू चारों तरफ फैल रही थी।

उसी समय जूलियट का फोन आ गया।

उस दिन जय सुबह से ही रोमांटिक था।

वह फोन पर जूलियट के बालों, होंठों और रंगरूप की बहुत तारीफ करने लगा और फिर हिम्मत कर के अपने प्यार का इजहार कर दिया.

जूलियट तो प्यार के ये खूबसूरत शब्द सुनने के लिए कब से बेकरार थी।

वह बिना सोचेसमझे जय के प्रस्ताव को अपना लेती है।

फिर उन दोनों के प्यार का सिलसिला फोन पर शुरू हो जाता है।

जय का फोन सुनने के बाद जूलियट ने अपनी मां को बताया कि वह जय से बहुत प्यार करती है और वह उसी समय भारत आने का फैसला लेती है।

जय जूलियट और उस की मां को एयरपोर्ट से सीधे अपने घर ले कर आया।

वहां उस की शादी की तैयारियां बहुत जोरशोर से चल रही थीं।

शादी बहुत धूमधाम और शानोशौकत से होने वाली थी।

जूलियट से मिलने के बाद जय की मां और उस की तीनों बहनों को जूलियट का स्वभाव इतना मीठा और सुंदर लगा कि वे भी जूलियट को पसंद करने लगीं।

जय के पिता को भी जूलियट बहुत अच्छी लड़की लगी।

शादी के रीतिरिवाज शुरू हो गए थे।

जूलियट को हलदी और गीतों की रस्म बहुत पसंद आई और उस की आंखों से आंसू बह निकले, क्योंकि वह बारबार यही सोच रही थी कि काश, वह जय की दुलहन होती।

शादी का दिन आ गया और जय की शादी भी हो गई।

जूलियट की मां को भारतीय शादी के रीतिरिवाज और खानपान बहुत पसंद आया, पर उन्हें अपनी बेटी के दुख का एहसास भी था।

उन्हें भी जय बहुत पसंद था।

जय की बरात जिस दिन वापस आती है, जूलियट उसी दिन दुखी मन से अपनी मां के साथ अपने देश लौट जाने का फैसला लेती है।

जय बहुत गुजारिश कर के जूलियट को रोक लेता है।

जय उन से कहता है, ‘‘मैं जिंदगीभर आप लोगों को भूल नहीं सकता।

मेरे घर के दरवाजे आप लोगों के लिए हमेशा खुले रहेंगे।

मैं गाइड का काम छोड़ दूंगा।

मेरी आखिरी इच्छा आप लोगों को ताजमहल दिखाने की है।

जूलियट और उस की मां जय के साथ ताजमहल देखने के लिए तैयार हो जाते हैं।

आज ही के दिन जय की सुहागरात थी, पर जय जूलियट और उस की मां को ताजमहल दिखाने के लिए घर से निकल जाता है।

जय की मां और बहनें जूलियट और उस की मां को बहुत से उपहार देती हैं।

उन्हें ताजमहल घुमाने के बाद जय दोपहर को एक रैस्टोरैंट में ले कर जाता है।

जूलियट को फिर खाना बहुत तीखा लगता है।

वह हड़बड़ाहट में फिर उसी तरह गरम सब्जी जय पर गिरा देती है।

दोबारा वही घटना होने पर वे दोनों हंसने लगते हैं।

फिर उन की आंखों में आंसू आ जाते हैं।

जय जूलियट को छोटा सा खूबसूरत ताजमहल उपहार में देता है।

जूलियट की मां को वह भारत की ऐतिहासिक चीजें उपहार में देता है।

जूलियट एयरपोर्ट पर बारबार पीछे मुड़मुड़ कर जय को देखती है, फिर ‘बायबाय’ कर के अपनी मां के साथ अपने देश चली जाती है ।

इस तरह जूलियट का प्यार अधूरा रह जाता है।