क्रिसमस गॉबलिन

हरी आंखें , नुकीले कान , पीले दांत , शरीर पर बाल और

बदबूदार मोजों के समान गंदे क्रिसमस गॉबलिन ऐसे ही लगते थे ।

क्रिसमस गॉबलिन को कभी किसी ने नहीं देखा था ।

लेकिन प्रायः लोग किस्से सुनाते थे कि क्रिसमस गॉबलिन , क्रिसमस के आसपास घरों में घुसकर सामान तोड़ - फोड़ देते थे ।

वे क्रिसमस पेड़ को तबाह कर देते थे और सारे उपहार खोलकर इधर - उधर फेंक देते थे ।

क्रिसमस गॉन्बलिन , क्रिसमस के त्योहार से सख्त नफरत करते थे ।

क्रिसमस गॉबलिन चाहते थे कि दूसरों के लिए भी इस त्योहार को कष्टप्रद बना दिया जाए , ताकि वे इसे न मना सकें ।

पैटसी को क्रिसमस का त्योहार बहुत पसंद था ।

वह पूरे साल इस त्योहार का इंतजार करती थी ।

वह इस दिन के लिए बहुत से कपकेक और कुकीज तैयार करती थी तथा क्रिसमस के दिन उन्हें पड़ोस में बांट देती थी ।

वह अपरिचित लोगों को भी कुकीज देकर त्योहार की बधाई देती थी ।

उसका खुशनुमा चेहरा देखकर सभी लोग प्रसन्न हो जाते थे ।

क्रिसमस आने में अभी कुछ दिन बाकी थे ।

रात्रिकाल पैटसी खाना खाकर सोने की तैयारी

कर रही थी । तभी अचानक उसे घर के निचले हिस्से से कुछ अलग तरह की आवाजें सुनाई दीं ।

वह धीरे से सीढ़ी के पास गई ।

उसने देखा कि हरी आंखों और नुकीले कानों वाले गॉबलिन कमरे की सारी सजावट खराब कर रहे थे ।

वे सभी चीजें तोड़ रहे थे ।

यह सब देखकर पैटसी डर गई और अपने पलंग पर जाकर लेट गई ।

अगले दिन उसने सारा सामान फिर से ठीक जगह पर रख दिया ।

उसने दोबारा कमरे की सजावट की और क्रिसमस पेड़ पर बत्तियां लगा दीं ।

दोपहर तक सब कुछ पहले जैसा दिखाई देने लगा ।

ऐसा मालूम होता था कि वहां कोई तोड़ - फोड़ न हुई हो ।

उस रात भी वही घटना घटी । यह क्रम अगली तीन रातों तक जारी रहा ।

गॉबलिन हर रात आकर सब कुछ तहस - नहस कर देते और पैटसी दिन में सब ठीक कर देती ।

क्रिसमस गॉबलिन के लिए यह एक खेल जैसा हो गया था ।

मगर इस घटना से पैटसी बड़ी चिंतित थी ।

उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह गॉबलिन को कैसे रोके ?

पैटसी की सहनशक्ति अब जवाब दे रही थी ।

लेकिन वह जानती थी कि क्रिसमस का त्योहार आपस में प्यार बांटने और खुश रहने का संदेश देता है ।

अतः वह अपने गुस्से से क्रिसमस का यह पवित्र त्योहार खराब नहीं होने देना चाहती थी ।

क्रिसमस की रात पैटसी ने उपहारों के साथ फलों से बना केक और दूध भी रख दिया ।

फिर वह गॉबलिन के आने का इंतजार करने लगी । गॉबलिन शीघ्र ही आ गए ।

लेकिन दूध और केक देखते ही वे तोड़ - फोड़ करना भूल गए तथा खाने के सामान की ओर लपके ।

ये तो उनका मनपसंद भोजन था ।

सभी गॉबलिन ने पेट भरकर भोजन किया । उन्हें दूध और केक खाने में बड़ा मजा आ रहा था ।

उस रात उन्होंने न तो सामानों की तोड़ - फोड़ की और न ही कमरे की सजावट खराब की ।

इसके बाद पैटसी हर रात मेज पर दूध और केक रखने लगी ।

परंतु उसने कभी गॉबलिन को घर में आते नहीं देखा या उनके बारे में नहीं सुना ।

लेकिन हर सुबह दूध और केक मेज से गायब मिलते थे ।

क्रिसमस गॉबलिन अब क्रिसमस के त्योहार पर किसी के घर में शरारत नहीं करते थे ।

सभी लोग बड़े हर्ष और उल्लास के साथ क्रिसमस मनाते थे ।