राक्षस पक्षी

राक्षस पक्षी नील नदी का पानी बिल्कुल स्थिर था ।

उसमें कोई भी हलचल या तरंग नहीं दिखाई दे रही थी ।

जॉन ने सोचा कि अगर वह कोशिश करे , तो उस पानी में चल भी सकता है ।

जॉन नील नदी में एक जहाज पर बैठा था ।

वह जहाज नदी के बहुत बड़े हिस्से से होकर जाता था ।

जहाज नदी में तेज गति से चला जा रहा था । केवल बीच में एक - दो जगह ही रुका था ।

नदी के दोनों ओर भयंकर जानवरों से युक्त जंगल थे , इसलिए जहाज को उन जगहों पर रोकना हानिकारक था ।

यात्रियों को नदी के साथ - साथ किनारे भी बहुत अच्छी तरह दिखाई दे रहे थे ।

जॉन को इस यात्रा में बहुत आनंद आ रहा था ।

उसे नदी के किनारे बहुत से पक्षी और जानवर जेबरा के झुंड , हिरण एवं दरियाई घोड़े आदि दिखाई दिए ।

दूसरी ओर एक शेर एक भैंस का पीछा करता दिखाई दिया ।

वह अपने शिकार में मग्न था ।

“ मॉम , देखो ! वह शेर एक भैंस के पीछे भाग रहा है । " जॉन ने अपनी मॉम से नदी के किनारे इशारा करते हुए कहा ।

“ हां , वह उसका भोजन है । " उसकी मॉम ने कहा ।

जॉन को यह सब देखकर डर लग रहा था , लेकिन वह वन्य जीवन की गतिविधियों से रोमांचित भी था ।

उस शाम जब जल शांत हो गया , तो जॉन डैक पर आ गया ।

सब लोग भोजन कर रहे थे ।

उसे भूख नहीं लगी थी , अतः वह डैक पर खड़ा होकर प्रकृति की शोभा देखने लगा ।

तभी जॉन ने एक तीखी और अजीब - सी आवाज सुनी , जो उसने अपने जीवन में कभी नहीं सुनी थी ।

उसने देखा कि आकाश में एक बहुत बड़ा पक्षी उड़ रहा है ।

वह किसी जहाज के समान बड़ा तथा तीखे दांतों और सांप जैसी जीभ वाला था ।

उसके पंजे बहुत नुकीले थे ।

वह राक्षस पक्षी जॉन की ओर तेज गति से आ रहा था ।

यह देखकर जॉन बुरी तरह डर गया ।

उसने डैक पर इधर - उधर नजरें दौड़ाई कि कोई डंडा आदि मिल जाए ।

तभी उसकी निगाह अपने

बैट पर पड़ी । वह कुछ देर पहले वहां क्रिकेट खेल रहा था और अपना बैट वहीं भूल गया था ।

उसने अपने भुलक्कड़पन का शुक्र अदा किया ।

फिर वही बैट जल्दी से उठाकर उस राक्षस पक्षी के सिर पर दे मारा ।

उसका निशाना बिल्कुल ठीक जगह पर लगा ।

जॉन अगले हमले की तैयारी कर रहा था कि कुछ ऐसा हुआ , जिसे देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया ।

जॉन के बैट के वार से राक्षस पक्षी चिल्लाते हुए नदी में गिरा और जोर से ' छपाक ' की आवाज सुनाई दी ।

उसी समय बहुत - सी मछलियां राक्षस पक्षी पर टूट पड़ीं और देखते ही देखते उसका नामोनिशान तक मिटा दिया ।

पानी में उस राक्षस पक्षी की हड्डियां तक नहीं बचीं ।

भारी हलचल होने के बाद नील नदी का पानी फिर शांत हो गया , मानो वहां कुछ हुआ ही न हो ।

जॉन ने इस घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया ।

वह जानता था कि उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा और न ही उसने ऐसा करने की कोशिश की ।