शार्क बेबी

हंस दुनिया के सारे माता - पिता तथा जानवरों को उनके बच्चे पहुंचाने का काम करते थे ।

हाथियों को उनके बेबी हाथी दिए जाते , इन्सानों को उनके

शिशु मिलते और बाघ को उनके बच्चे प्राप्त होते थे ।

इस तरह हंस अपना काम करते रहते थे ।

बादल रोजाना नए बच्चे बनाकर हंसों को सौंप देते और यह बताते कि उसे कौन से मां - बाप को देकर आना है ।

हंसों के लिए यह याद रखना बहुत जरूरी होता था कि वे कौन से माता - पिता के बच्चे ले जा रहे हैं ।

वरना इस भूल से बहुत परेशानी खड़ी हो सकती थी ।

कुल मिलाकर यह हंसों का काम था कि अमुक मां - बाप के पास ही उनका बच्चा पहुंचे ।

हंस अपने साथ लाए बच्चे को उसके मां - बाप के घर के बाहर छोड़ जाते थे ।

हंसों और बादलों को इस मामले में बहुत सावधान रहना पड़ता था ।

लेकिन इसके बावजूद एक बार उनसे भूल हो गई । हंसों ने कबूतरों के जोड़े को शार्क बेबी दे दिया ।

उन्होंने उसका नाम सैम रखा और उसे अपने बच्चे की तरह पालने लगे । सैम की एक छोटी बहन भी थी , जिसका नाम कैली था ।

सैम को अपने परिवार से बहुत प्रेम था । वह उन्हें खुश और सुरक्षित रखने के लिए कुछ भी कर सकता था ।

एक दिन एक भयंकर गिद्ध नदी की ओर से गुजर रहा था ।

अचानक उसकी नजर कैली पर पड़ी । वह बहुत भूखा था ।

उसने सोचा कि कैली उसके लिए अच्छा भोजन बन सकती है ।

फिर वह गिद्ध उसे पकड़ने ही जा रहा था कि सैम बीच में आ गया ।

" कैली , भागो ! " वह चिल्लाया , “ तीर की तरह भागो और सीधे मॉम - डैड के पास जाकर रुको । "

सैम की आवाज सुनकर कैली भाग खड़ी हुई । ऐसे में गिद्ध को गुस्सा आ गया ।

उसने सोचा कि क्यों न सैम को ही खाकर पेट भरा जाए ।

उसने सैम को पकड़ लिया , लेकिन सैम बहुत चतुर था ।

उसने अपने परिवार में कभी किसी को अपने पैने दांत नहीं दिखाए थे ।

जब गिद्ध ने सैम को मुंह में डाला , तो उसने अपना जबड़ा खोलकर उसकी गर्दन को अपने दांतों से दबोच लिया ।

सैम उस गिद्ध के गले के बीच फंस गया था ।

सैम ने निश्चय कर लिया कि वह गिद्ध को नाकों चने चबवा देगा ।

वह इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाला था । अब गिद्ध सैम को न तो निगल पा रहा था और न ही उगल पा रहा था ।

सैम के तीखे दांतों ने उसे अपने वश में कर लिया था ।

सैम ने मन - ही - मन में गिद्ध से कहा , ' तुम मुझे नहीं खा सकते ।

मैं ही तुम्हें नुकसान पहुंचा सकता हूं । ' फिर वह ठोकर मारकर गिद्ध के दांत तोड़ने लगा ।

गिद्ध अपनी ओर से कुछ भी नहीं कर पा रहा था , क्योंकि सैम उसके गले में बुरी तरह फंसा था ।

थोड़ी ही देर में गिद्ध की हालत खराब हो गई ।

वह जमीन पर मुंह खोलकर गिर पड़ा । सैम तुरंत उसके मुंह से बाहर आ गया ।

गिद्ध अपनी जान बचाकर भागा , फिर उस ओर कभी नहीं आया ।

सैम की बहादुरी ने छोटे पक्षियों को गिद्ध के आतंक से बचा लिया था ।