राक्षस कीड़े

एलेक्स को नन्हे कीड़े अच्छे लगते थे ।

ऐसा नहीं कि वे उसे छोटे - बड़े , मोटे - पतले और सुंदर खतरनाक लगते थे ।

कीड़ों के से हाथ - पैर उसे अपनी ओर आकर्षित करते थे ।

एलेक्स उनके हाथ - पैर तोड़ देता ।

एक - दो - तीन ... वह उन्हें गिन - गिनकर अलग करता था ।

' एलेक्स ! तुम बेजुबान कीड़ों पर जुल्म क्यों करते हो ? "

उसके दोस्त एलेक्स को अक्सर समझाते , लेकिन वह किसी की परवाह नहीं करता था ।

वह लगातार कीड़ों की तलाश में रहता था ।

वह उन्हें रेत और मिट्टी के ढेरों से ढूंढ निकालता और फिर तड़पा तड़पाकर मार डालता ।

उसे उनके दर्द और दुख का कोई एहसास नहीं होता था ।

एक रात , बहुत ज्यादा गरमी थी ।

एलेक्स को पसीना आ रहा था ।

उसने अपने कमरे की खिड़की खोल दी , ताकि ताजी हवा अंदर आ सके ।

आधी रात को अचानक उसकी आंख खुल गई ।

उसे एहसास हुआ कि कोई धीमे स्वर में बातें कर रहा है , लेकिन वह यकीन से नहीं कह सकता था ।

एलेक्स को प्यास लगी थी , अतः वह पानी पीने के लिए उठ खड़ा हुआ ।

उसने सोचा , ' हो सकता है कि पानी पीने से कुछ आराम मिले और मुझे नींद आ जाए । '

उसने पलंग के पास वाला टेबल लैंप जलाया और डर के मारे उछल पड़ा ।

उसके पलंग के नजदीक बहुत से कीड़े - मकोड़े , टिड्डे , गुबरैले , चींटियां और मकड़े घूम रहे थे - न जाने कितने प्रकार के कीट - पतंगे थे ।

वे कीड़े उसके डैड के आकार के थे और मनुष्य की भाषा में बातें कर रहे थे ।

एक गुबरैले ने कहा , " तुम टांगें ले लेना , मैं हाथ ले लेता हूं । "

वे कीड़े इस तरह बातें कर रहे थे , मानो एलेक्स वहां न हो ।

मकड़े ने जोरदार आवाज में कहा , " मैं तो इसके सारे बाल लूंगा । "

यह कहकर वह बालों की ओर बढ़ चला ।

फिर वह मकड़ा एक - एक करके एलेक्स के बाल नोचते हुए गिनने लगा , " एक - दो - तीन ...। "

एलेक्स दर्द के मारे कराह उठा ।

नन्हे झींगुर ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा , " जब तुम हमारे हाथ - पैर खींचते हो , तो हमें भी दर्द होता है ।

" चींटी ने मकड़े से कहा , " पहले तुम अपना काम निपटा लो , फिर मैं इसकी टांगें खाऊंगी । "

ऐसी स्थिति में एलेक्स बुरी तरह छटपटान भयंकर कीड़ों की जकड़ से छुड़ाना चाहता था ।

“ नहीं , नहीं ! मुझे छोड़ दो ।

मैं तुमसे वादा करता हूं कि आज के बाद किसी भी कीड़े - मकोड़े को परेशान नहीं करूंगा ।

" वह हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगने लगा ।

तभी एलेक्स पलंग के नीचे गिरा और उसकी आंख खुल गई ।

वह पसीने से तर - ब - तर था । लेकिन वहां कोई नहीं था ।

वह तो एक सपना देख रहा था । लेकिन एलेक्स को अपना वादा याद था ।

उस दिन के बाद उसने कीड़े - मकोड़ों को मारना और सताना बंद कर दिया ।

उसने प्रकृति के उन जीवों से प्यार करना सीख लिया था ।

अब वह एक अच्छा लड़का बन गया था ।

एलेक्स के सभी दोस्त अब उसे काफी पसंद करने लगे थे और उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे ।

इसके बाद एलेक्स को कभी ऐसा सपना नहीं दिखाई दिया ।