इंद्रधनुष का सोना

वह कितना सुंदर इंद्रधनुष था !

मेलीसा हमेशा इंद्रधनुष निकलने का इंतजार करती रहती थी ।

एक दिन उसने सोचा , ' मैं इस इंद्रधनुष का दूसरा छोर खोजने जाऊंगी ।

उसमें निश्चित रूप से सोने से भरा एक बर्तन छिपा होगा । '

फिर मेलीसा ने कई बार इंद्रधनुष के दूसरे छोर तक जाना चाहा , लेकिन वह नहीं जा सकी ।

इंद्रधनुष बहुत बड़ा होता है , इसलिए उसका अंत पाना असंभव था ।

लेकिन मेलीसा मन - ही - मन में सोचती थी कि एक दिन वह सोने से भरा बर्तन अवश्य प्राप्त कर लेगी ।

एक दिन इंद्रधनुष के निकलते ही मेलीसा उसके दूसरे छोर की ओर दौड़ने लगी ।

वह हवा और समुद्र के किनारे उड़ने वाली रेत के समान तेजी से भाग रही थी ।

उसे हर हाल में सोने से भरा बर्तन खोजना था ।

उसका दिल कह रहा था कि आज कुछ खास होने वाला है और वह उसमें कामयाब हो गई !

वह बड़ा चमत्कारी दृश्य था ।

इंद्रधनुष एक गुफा में खत्म हो रहा था ।

मेलीसा उसके अंदर चली गई ।

जब वह भीतर पहुंची , तो उसने एक तेज और भयंकर फुफकार सुनी ।

ऐसी आवाज उसने अपने जीवन में कभी नहीं सुनी थी ।

मेलीसा बुरी तरह डर गई , लेकिन वह देखना चाहती थी कि आवाज कहां से आ रही है ।

मेलीसा धीरे - धीरे आगे बढ़ी , ताकि उसके कदमों से कोई आवाज न हो ।

कुछ दूर चलने पर मेलीसा गुफा के बीच खाली हिस्से में पहुंच गई ।

उसके भीतर कुएं जैसी जगह थी । उसने उसके अंदर झुककर देखा ।

वहां उसे एक बड़ा , मोटा और भद्दा राक्षस दिखाई दिया ।

उसका शरीर एक टोड जैसा और सिर सांप जैसा था ।

वह राक्षस उसे ही देख रहा था ।

जब उसने अपना मुंह खोला , तो उसमें से आग की तेज लपटें बाहर निकलीं ।

मेलीसा समझ गई कि वह राक्षस उसे जान से मारना चाहता है ।

यह दृश्य बहुत डरावना था । मेलीसा एक बहादुर लड़की थी ।

वह इतनी दूर से इसलिए नहीं ।

आई थी कि आग उगलने वाले राक्षस से डर जाए ।

उसने अपने आसपास देखा और एक पत्थर उठाकर राक्षस की आंख पर दे मारा ।

मेलीसा का निशाना बिल्कुल ठीक लगा ।

मोटा और भद्दा राक्षस जोर - जोर से चिल्लाने लगा ।

दर्द के कारण उसके चीखने - चिल्लाने की आवाज मेलीसा के कानों तक पहुंच रही थी ।

फिर मेलीसा ढेर से पत्थर उठाकर उसे मारने लगी ।

वह तब तक उसे मारती रही , जब तक राक्षस पत्थरों के ढेर में दब नहीं गया ।

तभी मेलीसा को गुफा के दूसरी ओर से रोशनी आती दिखाई दी ।

पहले उसका ध्यान उस ओर नहीं गया था ।

जब मेलीसा ने पास जाकर देखा , तो वहां सोने से भरा एक बर्तन रखा हुआ था ।

उसे वह बर्तन लेने में कोई दिलचस्पी नहीं थी ।

वह जल्द से जल्द अपने घर वापस जाना चाहती थी ।

उसने इंद्रधनुष का दूसरा छोर देखने का शौक पूरा कर लिया था ।

अब उसे पता चल गया था कि सचमुच इंद्रधनुष का दूसरा छोर होता है और इंद्रधनुष के दूसरे छोर वाली गुफा में सोने से भरा बर्तन भी छिपा रहता है ।

अब मेलीसा घर पहुंच गई थी ।