आत्मा के रखवाले

पेंटागन एक अच्छा दोस्त था ।

वह आत्माओं का रखवाला था ।

सभी आत्माओं को स्वर्ग का दरवाजा पार करने से पहले उसके पास आना होता था ।

वह उनका गाइड और दोस्त था ।

पेंटागन का काम था कि वह नेक आत्माओं को स्वर्ग की ओर भेजे ,

ताकि वे मृत्यु के बाद वाले जीवन में सही तरह से आगे बढ़ सकें ।

पेंटागन अक्सर आत्माओं से कहता , " मृत्यु आप सबके जीवन की अंतिम चीज नहीं है ।

अभी आपको आगे की यात्रा पर जाना है ।

" पेंटागन का यह भी कर्तव्य था कि वह अपने दुष्ट भाई परट्युरिया से अच्छी आत्माओं की रक्षा करे ।

पेंटागन का दुष्ट भाई परट्युरिया बुरी आत्माओं को जमा करता था ।

जो लोग बुरे काम करते थे और स्वर्ग नहीं जा पाते थे , वह उन्हें अपने साथ रख लेता था ।

ये ऐसी आत्माएं होती थीं , जो जीते जी भी सबको कष्ट देती रहीं ।

वहां आकर भी उन्हें यही काम मिलता था ।

परट्युरिया उनसे कहता , “ तुम्हारे दिल में जो आए , वही करो । "

फिर वे उसी तरह गलत काम करतीं , जैसे अपने जीवन में धरती पर करती थीं ।

एक बार स्वर्ग के दरवाजे पर अच्छी आत्माओं का आना बंद हो गया ।

पेंटागन इंतजार करता रहता , लेकिन कोई आत्मा आती ही नहीं थी ।

उसे चिंता होने लगी कि कहीं संसार से सारी अच्छाई खत्म तो नहीं हो गई ।

जब उसने हर जगह देखना शुरू किया , तो उसे एक जगह कुछ आत्माएं खड़ी दिखाई दीं ।

तभी उसने देखा कि परयुरिया अच्छी आत्माओं को पकड़कर नरक की ओर ले जा रहा है ।

आप सबका नरक में परट्युरिया ने अच्छी आत्माओं से कहा , यहां स्वागत हैं ।

" फिर उसने अच्छी आत्माओं को गरम तेल की कड़ाही में डाल दिया ।

कई आत्माओं को उसने कमरे में बंद कर दिया और

को काटने लगा ।

इस प्रकार अच्छी आत्माओं को भयंकर कष्टों का अंदर एक ड्रैगन को भेज दिया ।

वह उनके हाथ , पैर , सिर और टांगों सामना करना पड़ा ।

उनके चीत्कार , दुख , कष्ट और भय के स्वर स्वर्ग के दरवाजे तक सुनाई दे रहे थे ।

पेंटागन ने अच्छी आत्माओं की कराहें सुनीं और निश्चय किया , ‘ मुझे इनकी रक्षा करनी चाहिए ।

' वस्तुतः पेंटागन बहुत दयालु था ।

वह कभी किसी को चोट पहुंचाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था ।

उसने परट्युरिया से लड़ने के लिए भी भलाई और नेकी का आश्रय लिया ।

पेंटागन किसी भी दशा में अच्छी आत्माओं को स्वर्ग में वापस लाना चाहता था ।

स्वर्ग में आकर वे अपने अच्छे कर्मों का फल भुगत सकते थे ।

पेंटागन तत्काल परट्युरिया के पास गया और उस पर दया का फूल फेंका ।

ऐसे में उसके सारे शरीर पर छाले पड़ गए ।

इसके बाद पेंटागन ने उस पर दयालुता का जल छिड़क दिया , जिससे परयुरिया के सभी दुष्ट ड्रैगन कबूतरों में बदल गए ।

फिर उन्होंने नरक को प्रेम की नदी में बदल दिया ।

अब वह जगह खुशियों का बाग लगने लगी थी ।

देखते ही देखते सारा दृश्य बदल गया ।

दुखी और पीड़ित आत्माओं के चेहरों पर मुस्कान खेल उठी ।

ऐसी स्थिति में परट्युरिया वहां से गायब हो गया और पेंटागन किसी तरह अच्छी आत्माओं को स्वर्ग के दरवाजे तक ले आया ।