बर्फ वाला राक्षस

हमारे मोहल्ले में जैकब नामक एक शरारती लड़का रहता था ।

वह हमेशा दूसरों को परेशान करने के बहाने तलाश करता था ।

जैकब को बर्फ पर खेलना और अपने दोस्तों पर बर्फ के गोले मारना बहुत पसंद था ।

वह अक्सर बड़े और भारी गोले बनाकर अपने दोस्तों पर मारता था ।

कई बार उसके दोस्तों को चोट भी लग जाती थी ।

एक बार हाइडी की नाक से खून बहने लगा और कई दिनों तक उसके सिर में दर्द होता रहा ।

लेकिन जैकब तब भी नहीं माना ।

वह लगातार दोस्तों पर बर्फ के गोले मारकर उन्हें चोट पहुंचाता रहा ।

एक दिन जैकब के पास बहुत समय था ।

उसने स्कूल से छुट्टी कर ली थी ।

जैकब ने सोचा कि वह बर्फ के बहुत से गोले तैयार रखेगा ।

जब उसके दोस्त स्कूल से वापस आएंगे , तो वह उन्हें गोले से मारेगा ।

ऐसा करने में उसे सचमुच बहुत आनंद आता था ।

उसने बर्फ के गोले बनाकर एक जगह रखना शुरू कर दिया ।

' अभी उनके आने में थोड़ा समय बाकी है ।

क्यों न मैं कुछ देर आराम

कर थोड़ा खा - पी लूं ।

' जैकब ने सोचा और अपने कमरे में जाकर लेट गया ।

कुछ ही देर में उसे गहरी नींद आ गई ।

जब जैकब सोकर उठा , तो शाम हो चुकी थी ।

वह बड़बड़ा उठा , ' अरे , शाम हो गई ।

मेरे दोस्त तो चले गए होंगे ।

चलो , कोई बात नहीं ।

यह काम मैं कल भी कर सकता हूं ।

' जैकब अपने कमरे में था ।

तभी अचानक बाहर रखे सारे गोले आपस में मिल गए और बर्फ वाले एक बड़े से राक्षस में बदल गए ।

उस रात जैकब अपनी खिड़की पर तेज आवाजें सुनता रहा , ' धड़ाम ! धप्प ! कड़ाक ! ' जब उसने बाहर देखा ,

तो उसे बर्फ वाला एक बड़ा - सा राक्षस दिखाई दिया , जो उसकी खिड़की पर बर्फ के गोले मार रहा था ।

बर्फ वाले राक्षस को देखकर जैकब घबरा गया ।

उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे ।

तभी अचानक ' चटाक ' की आवाज के साथ खिड़की का कांच टूट गया और बर्फ के गोले सीधे उसके मुंह पर आकर पड़ने लगे ।

“ आह ! यह क्या कर रहे हो ?

मुझे चोट लग रही है ।

प्लीज ! ऐसा मत करो ।

" जैकब ने चिल्लाकर प्रार्थना की ।

लेकिन राक्षस ने उसकी एक न सुनी ।

यह क्रम सारी रात चलता रहा ।

अंततः जैकब को पलंग के नीचे रात बितानी पड़ी ।

अगली सुबह सब कुछ पूरी तरह शांत था ।

जैकब खुश था कि राक्षस चला गया ।

लेकिन उस रात भी वही सब हुआ ।

उससे अगली रात भी यही हुआ ।

राक्षस उसके पीछे ही पड़ गया था ।

जैकब बर्फ वाले राक्षस से बुरी तरह परेशान हो गया था ।

वह सोना चाहता था , लेकिन नहीं सो पा रहा था ।

एक रात जैकब ने पलंग के नीचे लेटकर प्रार्थना की , ' काश ! यह सब एकदम बंद हो जाए ।

भगवान , अब मैं कभी किसी दोस्त पर बर्फ के गोले मारकर उसे कष्ट नहीं पहुंचाऊंगा । '

अचानक सब कुछ शांत हो गया ।

बर्फ के गोले कमरे में आने बंद हो गए ।

उस रात वह आराम से अपने पलंग पर सोया ।

अगली सुबह जैकब ने देखा कि बर्फ वाले राक्षस की जगह पानी बिखरा हुआ था ।

उसकी प्रार्थना भगवान ने स्वीकार कर ली थी ।

अब उसकी समझ में आ गया था कि दूसरों को परेशान करने और कष्ट देने वाले बच्चों को भगवान कभी पसंद नहीं करते ।