कंप्यूटर का राक्षस

नीना को अपने दोस्तों के साथ गली में खेलना बहुत पसंद था ।

लेकिन अब वह हमेशा अपने कमरे में बंद रहती थी ।

उसके लिए एक कंप्यूटर आ गया था ।

वह उसी पर वीडियो गेम्स खेलती थी ।

“ नीना ! सब लोग इंतजार कर रहे हैं ।

" नीना की मां कहतीं । “ नीना ! बाहर जाकर कुछ देर खेलो । "

नीना के पिता कहते ।

नीना के माता - पिता कितना ही क्यों न कहें , परंतु वह बाहर नहीं जाना चाहती थी ।

उसे वीडियो गेम्स के खेल में ही आनंद आने लगा था ।

अनेक बार नीना बाहर जाना भी चाहती , तो अचानक कोई नया वीडियो गेम सामने आ जाता और वह उसे ही खेलने में मग्न हो जाती ।

फिर वह बाहर जाना ही भूल जाती ।

एक रात नीना को एक नया वीडियो गेम मिला ।

उसका नाम था , ' द मॉनस्टर ' ।

उसने सोचा , ' यह तो बहुत मजेदार गेम लग रहा है ।

मैं थोड़ी देर खेलकर सोने चली जाऊंगी । '

जब नीना ने गेम को डाउनलोड करने का बटन दबाया , तो पहले स्क्रीन का रंग नीला और फिर लाल हो गया ।

फिर स्क्रीन पर एक बड़ा - सा राक्षस दिखने लगा ।

नीना डर के कारण पीछे हट गई , क्योंकि वह भयानक राक्षस अपनी लाल - हरी आंखों से उसे घूर रहा था ।

तभी अचानक उसकी सांप -जैसी हल्की नीली बाजू कंप्यूटर से बाहर आई और उसने नीना को भीतर खींच लिया ।

नीना चिल्लाई , “ बचाओ ! " लेकिन अब वह गेम का एक हिस्सा थी ।

वह बाहर से दिखने में गेम का एक पात्र लग रही थी ।

कमरे में सब कुछ सामान्य था ।

बस , नीना ही वहां नहीं थी ।

राक्षस गरजा , " गेम जीतने के लिए तुम्हें खेलना होगा , वरना मारी जाओगी ।

तुम अपने घर कभी नहीं लौट पाओगी ।

" नीना ने राक्षस से आग्रह किया कि उसे उसके घर जाने दिया जाए , लेकिन वह उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं था ।

यह एक खतरनाक खेल था ।

नीना को मगरमच्छों से भरी नदियों आग एवं लावा से भरे गड्ढों को पार करना था ।

उसे खड़ी और तीखी चट्टानों पर चढ़ना था तथा जंगली जानवरों एवं जहरीले सांपों का सामना करना था ।

उसे किसी भी हाल में यह गेम जीतना तथा था , वरना अपने घर जा पाना असंभव था ।

नीना ने उदास होकर सोचा , ‘ अगर मैं इन चुनौतियों से हारकर मर गई , तो अपने परिवार वालों से कभी न मिल सकूंगी । '

यह सोचकर वह जी - जान से गेम खेलने लगी ।

नीना बहुत थकी हुई थी ।

उसे भूख और प्यास सता रही थी , लेकिन उसने उनकी परवाह नहीं की ।

वह हर चुनौती का सामना करती रही ।

हर बार जीतने के बाद उसका हौसला काफी बढ़ जाता था ।

आखिरी स्टेज में नीना को राक्षस से लड़ना था ।

वह सोचने लगी , ‘ मुझे इस राक्षस को मारना है , लेकिन यह कैसे हो सकता है ।

' तभी एक नन्ही गिलहरी उसके पास से गुजरी और बोली , “ राक्षस की नाक काट दो , वह मर जाएगा ।

चाकू उसकी जेब में है । ” " यह सुनकर नीना उस राक्षस से बहादुरी के साथ लड़ी ।

उसने राक्षस की जेब से चाकू निकालकर उसकी नाक काट दी ।

राक्षस के मरते ही वह आजाद हो गई ।

अगले ही पल उसने स्वयं को अपने कमरे में पाया और भगवान को लाख - लाख धन्यवाद दिया ।