टीना का दोस्त

टीना कुछ ही दिन पहले अपने मम्मी - पापा के साथ नए घर में रहने आई थी ।

यह घर बहुत बड़ा था ।

इसमें बहुत से कमरों के अलावा एक बड़ा - सा बगीचा और सेबों का बाग भी था ।

टीना सारा दिन घर में घूमते हुए पुरानी अलमारियों और कमरों को देखती रही ।

इस घर में टीना को अपने लिए एक अलग कमरा मिला था ।

उस कमरे में खिलौने रखने के लिए एक दराज भी थी ।

पहले उसे अपने सारे खिलौने एक टोकरी में रखने पड़ते थे ।

इस तरह वे टूट भी जाते थे ।

टीना ने अपने सारे खिलौने - जहाज , नाव , रेलगाड़ी , किसान और जानवर भालू तथा गेंद आदि दराज में एक साथ सजा दिए थे ।

एक मर्तबान में उसके कंचे भी रखे थे ।

जब टीना कपड़े पहनकर तैयार हुई , तो उसने तय किया कि वह बाग में गेंद खेलेगी , लेकिन वहां उसकी गेंद नहीं थी ।

वह कहां गई ?

' ओह ! लगता है कि नीचे गिर गई । ' टीना ने सोचा ।

फिर उसने पलंग के नीचे और पदों के पास गेंद ढूंढ़ी , लेकिन वह नहीं मिली ।

फिर टीना बाग में चली गई और तितलियों के पीछे दौड़कर खेलने लगी ।

इसके बाद वह थककर वापस आई और खाना खाकर अपने कमरे में चली गई ।

वहां टीना ने देखा कि उसकी गेंद तो दराज में ही रखी थी ।

उसने सोचा कि मम्मी को मिल गई होगी और उन्होंने उसे दराज में रख दिया होगा ।

अगले दिन शाम को टीना की गेंद दराज में फिर नहीं थी ।

उसने गेंद को इधर - उधर ढूंढा , लेकिन गेंद नहीं मिली ।

उसने सोचा कि कल तो गेंद दराज में रखी थी , फिर कहां चली गई ।

टीना मम्मी के पास गई और उनसे पूछा ।

मम्मी ने कहा कि उन्होंने गेंद नहीं देखी ।

जब रात को टीना अपने कमरे में वापस आई , तो गेंद वहीं रखी थी ।

वह बहुत हैरान हो गई ।

तीसरे दिन उसे गेंद और भालू दोनों नहीं मिले ।

जब रात को वह अपने कमरे में सोने के लिए गई , तो दोनों खिलौने वहां रखे थे ।

उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है ।

उस रात टीना को अपने कमरे में गेंद के उछलने की ' थप थप ' आवाज सुनाई दी ।

उसने बत्ती जलाकर देखा ।

कमरे में गेंद ऐसे उछल रही थी , जैसे कोई उससे खेल रहा हो ।

“ कौन है ? गेंद से कौन खेल रहा है ? " उसने डरते - डरते पूछा ।

“ मैं हूं । " एक आवाज आई । " मैं कौन ? " टीना ने पूछा ।

“ मेरा नाम हडसन है ।

मैं बहुत समय पहले इस घर में रहता था ।

" आबाज ने जवाब दिया ।

“ मैं तुम्हें देख क्यों नहीं पाती ? " टीना ने पूछा ।

“ क्योंकि मैं एक भूत हूं । " आवाज आई । “

तो तुम ही मेरे खिलौनों से खेल रहे थे ? "

“ हां , मैं ही खेल रहा था ।

मेरे पास इतने सुंदर खिलौने नहीं थे , जितने तुम्हारे पास हैं । " हडसन ने कहा ।

“ क्या तुम मेरे साथ भी खेलोगे ?

कभी - कभी मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता है । " टीना ने पूछा ।

" हां , क्यों नहीं । यह तो बड़ी अच्छी बात है ।

मैं भी तो अकेला हूं ।

कितने समय से कोई दोस्त नहीं मिला ।

" हडसन खुशी से बोला ।

अगले दिन टीना फिर अपने कमरे में हडसन से बातें करती रही ।

उस दिन स्कूल की छुट्टी थी ।

दोपहर में हडसन ने उसे अपने स्कूल के मजेदार किस्से सुनाए ।

कई बार तो टीना को अपनी हंसी की आवाज कम करनी पड़ी कि कहीं मम्मी न आ जाएं ।

उस दिन वह बहुत खुश थी ।

शाम को टीना हडसन के साथ बाग में चली गई ।

मम्मी ने खिड़की से टीना को खेलते हुए देखा ।

वह मन ही मन सोचने लगीं , ' यह भी अजीब लड़की है ।

खेलते हुए अकेले ही बातें करती रहती है ।

लेकिन उन्हें क्या पता था कि टीना हडसन नामक भूत के साथ खेल रही थी ।