केट का अकेलापन

केट के पड़ोस में उसका कोई दोस्त नहीं था ।

वह रोजाना देखती थी कि सारे बच्चे शाम को पार्क में खेलने जाते थे ।

एक दिन केट की मम्मी ने कहा , “ तुम्हारी आंटी वेन अपनी बहन की देखरेख करने के लिए जा रही हैं ,

अतः उनकी बेटी नोरा कुछ दिन हमारे साथ रहेगी ।

वह अपनी छुट्टियां बिताने यहां आ रही है ।

तुम उसकी देखभाल करना और देखना कि उसे अपने घर की याद न सताए ।

नोरा को अकेलापन महसूस न हो , इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है ।

" अगले ही दिन नोरा आ गई ।

वह अपने पालतू कुत्ते को साथ लाई थी ।

नोरा ने बताया कि उसका कुत्ता बहुत बुद्धिमान है , इसलिए उसका नाम ' गूगल ' रख दिया था ।

नोरा ने देखा कि केट खिड़की से पार्क में आने - जाने वाले बच्चों को देख रही थी ।

केट को हमेशा अपनी पहियाकुर्सी पर ही रहना पड़ता था , इसलिए वह किसी से भी नहीं मिल पाती थी ।

उसे लोगों से मिलने में शर्म महसूस होती थी ।

नोरा ने सोचा कि केट को अकेलापन महसूस होता होगा , अतः इसके लिए कोई उपाय करना चाहिए ।

फिर नोरा ने केट की मम्मी से कहा , " आंटी , मुझे अपने गूगल को रोजाना बाहर घुमाने ले जाना पड़ता

क्या मैं केट को भी अपने साथ पार्क

में घुमाने ले जा सकती हूं ? "

केट की मम्मी ने कहा , " नोरा , वह तो पहियाकुर्सी पर बैठती है ।

क्या तुम गूगल और केट को एक साथ बाहर ले जा सकोगी ? "

" जी आंटी ! मैं ऐसा कर सकती हूं । " नोरा बोली ।

कुछ देर बाद केट की मम्मी ने देखा कि केट ने गूगल की चेन पकड़ रखी थी और नोरा उसकी पहियाकुर्सी को धकेलते हुए ले जा रही थी ।

जब बाहर दूसरे बच्चों ने केट को देखा , तो उन्हें बड़ा अजीब सा लगा ।

उन्होंने केट को खिड़की से कई बार देखा था ।

लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वह पहियाकुर्सी पर बैठती थी ।

उन्होंने सोचा कि केट एक घमंडी लड़की होगी , जिसे दूसरों से दोस्ती करना पसंद नहीं है ।

गूगल ने बच्चों को देखा , फिर भौंककर अपनी पूंछ हिलाने लगा ।

तभी बच्चों के दल का नेता उनके पास आया ।

उसने नोरा और केट से पूछा , “ यह तुम्हारा डॉगी है ?

इसका क्या नाम है ?

तुम सामने वाले घर में रहती हो , न ?

" उसने एक साथ बहुत से सवाल पूछ लिए ।

शीघ्र ही नोरा और केट भी बच्चों के दल में शामिल हो गए ।

अब वे भी शाम को पार्क में जाकर सबके साथ खेलने लगीं ।

गूगल भी उनके साथ खेलता ; उसे लुका - छिपी , गेंद लपकना और पार्क में इधर - उधर भागना बहुत अच्छा लगता था ।

केट सबके साथ मिलकर खूब हंसती - खिलखिलाती थी ।

शीघ्र ही सबको पता चल गया कि केट को कागज के सुंदर खिलौने बनाना आता है ।

केट बहुत अच्छी गायिका भी थी ।

बच्चे अक्सर उससे गाना सुनाने की जिद करते ।

उन्हें केट बहुत अच्छी लगने लगी थी ।

जब छुट्टियां खत्म हुई , तो सभी लोग उदास हो गए ।

अब नोरा और गूगल के वापस जाने का समय हो गया था ।

लेकिन केट को अब दोस्त मिल गए थे ।

उसने नोरा तथा गूगल को गले से लगाया और उनके कान में बोली , " तुम दोनों का बहुत - बहुत धन्यवाद ।

तुम लोग फिर जल्दी आना ।

” नोरा ने भी उसे बांहों में भरकर कहा , “ केट ! मैं घर जाकर तुम्हें पत्र लिखूंगी ।

तुम पहले की तरह पार्क में जाती रहना ।

बच्चे शाम को खुद ही तुम्हें अपने साथ ले जाएंगे और बाद में तुम्हारे घर पहुंचा देंगे ।

" नोरा तो लौट गई , लेकिन अब केट अकेली नहीं थी ।

वह रोजाना शाम को पार्क में जाती थी ।

बच्चे खुद ही उसकी पहियाकुर्सी को धकेलकर ले जाते थे और बाद में उसे उसके घर पहुंचा देते थे ।