आंखों की भूख

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

गांव में एक बूढ़े सेठ को मरे हुए कई दिन हो चुके थे,

मगर उसकी दोनों आंखें अभी तक खुली थीं।

इमाम ने उसके लिए कुरान शरीफ की आयतें पढ़ीं और बार-बार फातिहा पढ़ा।

फिर भी मृतक की आंखें बंद नहीं हुईं।

लाचार होकर उसके घर वालों ने खोजा को बुलवाया।

खोजा ने मृतक को गौर से देखने के बाद कहा, "इसके लिए फातिहा पढ़ना बेकार है।

यह समस्या मुझे अपने तरीके से हल करनी पड़ेगी।

" खोजा की इस घोषणा ने घर के लोगों को कुछ राहत तो पहुंचाई पर अब नई उलझन ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया था।

वे सभी यह जानने के लिए अपना दिमाग दौड़ाने लगे कि खोजा किस तरीके से यह समस्या हल करेगा।

यह तो तय था कि जो आदमी सामने मुर्दे की तरह लेटा है,

तो खोजा की किसी तजवीज में उसकी मदद नहीं कर सकता।

फिर खोजा कैसे इसका हल निकालेगा ?

तभी खोजा ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहना शुरू किया,

"फौरन एक प्लेट में पुलाव लाओ और इन्हें खिला दो। इनकी आंख जरूर बंद हो जाएंगी।"

"तुम पागल हो गये हो क्या ख़ोजा ?" इमाम बौखला कर बोला, जब आदमी में जान ही न रहे, तो वह खाना कैसे खा सकता है ?"

खोजा! हम लोग दुख के सागर में डूबे हुए हैं, और तुम्हें मजाक सूझ रहा है।

" सेठ जी की पत्नी ने शिकायती स्वर में कहा।

“सेठ जी को ज्यादा पुलाव खाने के कारण अपने प्राण गंवाने पड़े हैं।

"तब तो मेरी बात बिल्कुल ठीक है।"

खोजा भौंहें सिकोड़ कर बोला, "कहावत है कि लालची आदमी के पेट की भूख तो बुझ सकती है, पर उसकी आंखों की भूख कभी नहीं बूझती।

सेठ जी की आंखें अभी तक खुली हुई हैं, क्या इससे यह जाहिर नहीं होता कि इनकी आंखों की भूख अभी नहीं मिटी ?"

खोजा की बात पर किसी को यकीन तो भला क्या होता, लेकिन कहते हैं न, मरता क्या न करता।

फिर यहां तो सवाल मरने का नहीं, मरे हुए का था।

इसलिए सेठ की पत्नी चुपचाप उठ कर रसोई घर में गई।

उसने चूल्हा जलाया और पुलाव तैयार करके सबके सामने रख दिया।

खोजा ने पुलाव का पूरा भगोना उठाया और उसे मुर्दा सेठ के ठीक सामने रख दिया।

फिर मुर्दे का कंधा पकड़ कर अपना एक हाथ मुर्दे के पीछे ले गया और दूसरे हाथ से मुर्दे को कुछ इस तरह से उठाया कि उसकी आंखें ठीक पुलाव के भगोने पर पड़ी।

थोड़ी ही देर बाद यह देखकर सब हैरान रह गये कि सेठ मृतक की आंखें ठीक उसी तरह बंद हो गईं जैसे कि किसी भी मुर्दे की हुआ करती हैं।

यह देखकर सबने चैन की सांस ली।

मुर्दे के कफन दफन की तैयारियां होने लगी और खोजा अपने गधे पर बैठकर अपने घर की ओर रवाना हो गया।