जैसे को तैसा

तेनालीराम माँ काली का महान भक्त था।

देवी माँ की कृपा से तेनालीराम के दिमाग में निति व ज्ञान की बातों का भंडार था।

बचपन में तेनालीराम, तेनाली गाँव के पास तुमुलुरु नामक स्थान पर रहता था। एक बार तेनाली का पड़ोसी राजामौली उसे वहां के अमीर जमींदार नागेन्द्र राव के पास ले गया।

यह तेनालीराम है। बड़ा होशियार लड़का है। राजामौली ने नागेन्द्र को बताया।

मैंने आज तक तेनाली से ज्यादा समझदार लड़का नहीं देखा। इसके पास हर बात का जवाब होता है।

नागेन्द्र एक मतलबी और नकचढ़ा इंसान था। वह स्वयं को पूरे राज्य में सबसे होशियार समझता था। उसे तेनाली की तारीफ बर्दाश्त नहीं हुई।

मुझे तो इसमें कुछ ख़ास नजर नहीं आ रहा है। नागेन्द्र ने तेनाली को देखते हुए कहा। दरअसल बचपन में कोई बालक जितना होशियार होता है, बड़ा हो कर वह उतना ही उदासीन और मूर्ख हो जाता है।

आपने सही फ़र्माया, श्रीमान! तेनाली भोलेपन से बोला, मेरे विचार से आप बचपन में मुझसे कहीं ज्यादा होशियार रहे होंगे।

एक पल को नागेन्द्र चुप खड़ा रह गया, फिर वह जोर से हंसा। तेनाली की वाचालता और सटीक जवाब ने उसका दिल जीत लिया था।