बहुत समय पहले एक धोबी के पास एक गधा था।
उस गधे ने सालों तक धोबी की सेवा की।
समय के साथ-साथ अब वह धोबी के किसी काम का नहीं रह गया था,
इसलिए धोबी उससे मुक्ति पाना चाहता था।
एक दिन धोबी ने अपनी पत्नी से कहा, “मैं अब इस बूढ़े गधे को और नहीं खिला सकता।
एक तो यह किसी काम का नहीं है और दूसरा इसके दाने-पानी का खर्च |
अब मुझसे और नहीं होता। मैं इसे जंगल में छोड़ आऊँगा।"
धोबी की पत्नी भी उससे सहमत थी।
जब गधे ने धोबी और धोबन की बात सुनी तो उसे बहुत दुख हुआ ।
उसने उसी रात घर छोड़ दिया।
वह खुद से बोला, “ऐसे एहसानफरामोश मालिक के यहाँ रहने से तो अच्छा है
कि मैं खुद ही यहाँ से चला जाऊँ। यह मेरी कद्र नहीं करता।
अब मैं बर्मन जाकर संगीतज्ञ बनकर खूब नाम कमाऊँगा।
तब इसे मेरा मूल्य समझ आएगा।"
यह सोचकर वह आगे बढ़ चला।
रास्ते में उसे सड़क के किनारे एक कुत्ता हाँफता हुआ दिखाई दिया।
वह उसके पास गया और बोला, “कुत्ते भाई!
तुम इतना हाँफ क्यों रहे हो?
मुझे बताओ, क्या बात है?"
कुत्ता उदास होकर बोला, “अब मैं बूढ़ा और
बर्मन के संगीतकार
बहुत समय पहले एक धोबी के पास एक गधा था।
उस गधे ने सालों तक धोबी की सेवा की।
समय के साथ-साथ अब वह धोबी के किसी काम का नहीं रह गया था,
इसलिए धोबी उससे मुक्ति पाना चाहता था।
एक दिन धोबी ने अपनी पत्नी से कहा, “मैं अब इस बूढ़े गधे को और नहीं खिला सकता।
एक तो यह किसी काम का नहीं है और दूसरा इसके दाने-पानी का खर्च अब मुझसे और नहीं होता।
मैं इसे जंगल में छोड़ आऊँगा।"
धोबी की पत्नी भी उससे सहमत थी।
जब गधे ने धोबी और धोबन की बात सुनी तो उसे बहुत दुख हुआ ।
उसने उसी रात घर छोड़ दिया। वह खुद से बोला,
“ऐसे एहसानफरामोश मालिक के यहाँ रहने से तो अच्छा है कि मैं खुद ही यहाँ से चला जाऊँ।
यह मेरी कद्र नहीं करता। अब मैं बर्मन जाकर संगीतज्ञ बनकर खूब नाम कमाऊँगा।
तब इसे मेरा मूल्य समझ आएगा।"
यह सोचकर वह आगे बढ़ चला।
रास्ते में उसे सड़क के किनारे एक कुत्ता हाँफता हुआ दिखाई दिया।
वह उसके पास गया और बोला, “कुत्ते भाई! तुम इतना हाँफ क्यों रहे हो?
मुझे बताओ, क्या बात है?"
कुत्ता उदास होकर बोला, “अब मैं बूढ़ा और
“हाँ-हाँ! चाहो तो तुम भी संगीतकार बन सकती हो।
तुम भी हमारे साथ बर्मन चलो।'' कुत्ते ने अपनी बात रखी।
बिल्ली भी उनके साथ हो चली।
अब वे दो से तीन हो गए थे और तेजी से बर्मन जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ रहे थे।
जब वे तीनों एक पुराने घर के सामने से गुजर रहे थे तो उन्हें एक मुर्गे की बाँक सुनाई दी।
वह घर की छत पर बैठकर बहुत जोर-जोर से बाँक पर बाँक दे रहा था।
तीनों का ध्यान मुर्गे की तरफ गया। गधे ने पूछा,“ अरे मुर्गे भाई !
इतना चिल्ला क्यों रहे हो?"
“मैं भारी कष्ट में हूँ।" मुर्गे ने उन तीनों के पास आकर कहा ।
“तुम्हें क्या कष्ट है?" बिल्ली ने पूछा।
“ अब तुम देख ही रही हो कि मेरी उम्र हो चली है।
मेरे मालिक को लगता है कि
मेरा बुलावा कभी भी आ सकता है,
इसलिए वह आज रात की दावत के लिए मुझे मारना चाहता है ।" मुर्गे ने उदास होकर कहा।
कुत्ता बोला,‘“तुम हमारे साथ बर्मन क्यों नहीं चलते?"
‘“हाँ-हाँ! तुम हमारे साथ चलो और संगीत की दुनिया में नाम कमाओ।
हम वहाँ संगीतकार बनने जा रहे हैं।"
गधे ने मुर्गे के सामने प्रस्ताव रखा।
मुर्गे को गधे का प्रस्ताव पसंद आया और वह भी उनके साथ हो लिया।
गधा बोला, “मैं तो अकेला ही चला था,
लेकिन तुम तीनों के मिलने पर मुझे साथ मिल गया।
अब हम चारों अपना एक संगीत समूह बनाएँगे और बर्मन के सारे संगीतकारों की छुट्टी कर देंगी।"
‘“ हाँ-हाँ ! तुमने एकदम सही कहा।"
कुत्ते, बिल्ली और मुर्गे ने गधे की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा।
वे चारों तेजी से बर्मन की ओर चल पड़े।
चारों पूरा दिन चलते रहे. लेकिन बर्मन अभी दूर था।
अँधेरा होने लगा था।
लगातार चलते रहने से वे थक गए थे,
अत: उन्होंने रास्ते में पड़ने वाले जंगल में ही रूकने का फैसला
किया। गधा और कुत्ता एक पेड़ के नीचे लेट गए।
बिल्ली पेड़ की टहनी पर जा बैठी और मुर्गा पेड़ के सबसे ऊपर एक डाल पर जा बैठा।
वहाँ से मुर्गे की नजर कुछ दूरी से आती हुई रोशनी पर पड़ी।
वह जोर से चिल्लाकर बोला, “दोस्तो !
यहाँ से कुछ दूरी पर रोशनी दिखाई दे रही है।
मुझे लगता है कि वहाँ किसी का घर होगा।
हमें वहाँ चलकर देखना चाहिए।" “हाँ, तुम ठीक कहते हो ।
शायद वहाँ
हमें खाना मिल जाए। चलो, वहीं चलकर रात बिताते हैं ।” गधे ने कहा।
बस, फिर वे चारों तेजी से
रोशनी की तरफ बढ़ चले।
वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा
कि वह रोशनी एक घर के
अंदर से आ रही थी। उस घर में चार चोर रहते थे।
गधे कुत्ते बिल्ली और मुर्गी ने खिड़की से घर के अंदर देखने का निर्णय लिया। सबसे पहले गधा आगे के
दो पैरों पर खिड़की पर
खड़ा हुआ। फिर उसके
ऊपर कुत्ता, उसके ऊपर
बिल्ली और सबसे ऊपर
मुर्गा खड़ा हुआ।
उन चारों ने देखा कि चार
चोर एक मेज के चारों ओर बैठकर मजे से दावत उड़ा रहे हैं।
मेज पर खाने-पीने की कई चीजें रखी हुई थीं।
ऐसा लग रहा था कि आज चोरों ने तगड़ा हाथ मारा था।
यह देखकर गधे, कुत्ते, बिल्ली और मुर्गे के मुँह से लार टपकने लगी।
मुर्गा बोला,‘“मेज पर हम लोगों की पसंद का खाना लगा हुआ है।
हमें इन चोरों को यहाँ से भगाकर खाने पर अपना कब्जा कर लेना चाहिए।"
“हाँ दोस्त ! बड़े जोरों की भूख लगी है और लजीज खाना देखकर तो भूख
और
भी बढ़ गई है।'' बिल्ली ने कहा।
"तुम दोनों सही कह रहे हो।
” गधा बोला, “मेरे पास इन्हें भगाने की एक योजना है।''
यह कहकर उसने धीरे से उनके कान में कुछ कहा।
फिर अपनी योजना को मूर्त रूप देते हुए गधा बोला,
“एक, दो, तीन...।'' और चारों के चारों अपनी-अपनी आवाज में एक साथ चिल्लाने लगे।
इसके साथ ही खिड़की के शीशे को अपने-अपने पैरों से खड़खड़ाने लगे।
जब चोरों ने यह आवाज सुनी तो उन्होंने खिड़की की तरफ देखा।
खिड़की पर उन्हें अजीबोगरीब आकृतियाँ दिखाई दीं।
उन्होंने सोचा कि भूत आ गए हैं और वे डरकर भाग खड़े हुए।
चोरों के भागते ही गधा, कुत्ता, बिल्ली और मुर्गा घर के अंदर चले आए।
चारों ने पेट भरकर खाना खाया और फिर गधा घर के आँगन में, कुत्ता घर की दहलीज पर,
बिल्ली चूल्हे के पास और मुर्गा ऊपर छत पर जाकर सो गए।
थके होने के कारण जल्दी ही चारों को नींद आ गई।
रात काफी बीत जाने पर चोरों ने निर्णय लिया कि वे एक बार अपने घर की स्थिति का मुआयना करेंगे ।
शायद वे दोबारा अपने घर में रह सकें ।
इसलिए उनमें से एक चोर घर की स्थिति जानने आया।
वह रसोई की खिड़की के रास्ते घर में
घुसा। वहाँ एकदम घुप्प अँधेरा था।
उसने सोचा कि मोमबत्ती जलाकर घर का मुआयना कर लूँ।
वह मोमबत्ती जलाने के लिए चूल्हे के पास आया।
अंधेरे में उसने बिल्ली की आँखों को कोयला समझकर उससे मोमबत्ती जलानी चाही।
लेकिन उसने जैसे ही बिल्ली के पास जाने की कोशिश की, बिल्ली ने उसके
,
चेहरे पर झपट्टा मार दिया। वह दौड़कर बाहर की ओर भागा।
जल्दबाजी में भागते हुए उसका पैर कुत्ते की पूँछ पर पड़ गया।
कुत्ते ने पलटकर उसके पैर में काट लिया। वह दर्द से चिल्लाता हुआ आँगन की ओर भागा तो गधे ने उसे जोरदार लात मारी।
मुर्गा जोर से बाँक देता हुआ बोला, “कूकडू-कूँ ।
रूको, ऐ चोर रूको। कहाँ भाग रहे हो?"
चोर समझा वहाँ पर भूतों ने अपना बसेरा बना लिया है।
वह सिर पर पैर रखकर वहाँ से ऐसा भागा कि वह फिर कभी लौटकर नहीं आया ।
अब गधा, कुत्ता, बिल्ली और मुर्गा वहीं पर खुशी-खुशी रहने लगे ।