मुल्ला नसरुद्दीन तुर्की और संभवतः सभी इस्लामी देशों का सबसे प्रसिद्द विनोद चरित्र है। उसकी चतुराई और वाकपटुता के किस्से संभवतः किसी वास्तविक इमाम पर आधारित हैं। कहा जाता है कि उसका जन्म वर्ष 1207 में तुर्की के होरतो नामक एक गाँव में हुआ था और वर्ष 1237 में वह अक्सेहिर नामक मध्यकालीन नगर में बस गया जहाँ ईसवी 1285 में उसकी मृत्यु हो गई।तुर्की में वह नसरुद्दीन होजा या ख़ोजा के नाम से मशहूर हैं, पर अन्य देशों में उनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे - नसरुद्दीन, अवंति, अतेंती, आपन्ती, रूमेलिया का जोहा आदि। लंबी दाढ़ी और बड़ी सी पगड़ी वाला ख़ोजा एक ऐसा पात्र है, जो अपने दुबले-पतले गधे पर बैठकर जगह-जगह, देश-परदेश घूमता फिरता है। वह अपनी अनोखी सूझ-बूझ, तेज़ बुद्धि, साहस और हास्य-व्यंग्य-विनोद से सबको चकित कर देता है।
उनके किस्सों में सीखने के लिए कुछ ना कुछ जरूर होता है लेकिन वो उपदेश के रूप में नहीं होते। उनकी हास्यास्पद हरकतें होती हैं जो आखिर में कोई ना कोई संदेश देती हैं। वैसे भी व्यंग्य में कहीं हुई बात ही लोगों के याद रहती है। ओशो अक्सर अपनी बातों में मुल्ला नसरुद्दीन के किस्सों का जिक्र करते थे। यहां मुल्ला नसरुद्दीन के कुछ किस्से हैं, जिससे उनकी हाज़िर जवाबी का पता चलता है और यह भी कि कैसे वे हंसी हंसी में बड़ी बात कह देते थे।
मुल्ला नसरुद्दीन के किस्सों में एक तरफ तो चूमती शैली में शासकों द्वारा जनता के शोषण-उत्पीड़न और अधिकारियों की मूर्खता, लालच व बेईमानियों पर तीखे प्रहार हैं, तो दूसरी तरफ सीधे-सादे किसान, मज़दूर और आमा जनता की ज़िन्दगी की कशमकश है, साथ ही निकम्मेपन, स्वार्थ, घमंड व अंधविश्वासों पर चोट भी। यह किस्से मनोरंजन ही नहीं, शिक्षा और प्रेरणाप्रद भी हैं। नीचे मुल्ला नसरुद्दीन की कुछ प्रमुख कहानियाँ का संग्रह है एक बार जरूर पढ़े।