Ved Upnishad Puran Kahani In Hindi

Ved Upnishad Story In Hindi | Short Story Of Ved, Upnishad & Puran In Hindi

वेद क्या है ? :- संस्कृत शब्द है जो "ज्ञान" या "ज्ञान का स्रोत" के अर्थ में आता है। वेद हिंदू धर्म के प्राचीनतम और पवित्र ग्रंथों का संग्रह है। इन्हें चार भागों में विभाजित किया गया है - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद । वेदों को श्रुति माना जाता है, यानी वेदों को सुना गया था और गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित किया गया था। वेदों का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है, और इन्हें आध्यात्मिक, धार्मिक, और दार्शनिक ज्ञान का प्रमुख स्रोत माना जाता है।

उपनिषद क्या है ? :- उपनिषद हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं जो वेदों का अंतिम हिस्सा माने जाते हैं। इन्हें वेदांत के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह वेदों का अंतिम और महत्वपूर्ण भाग हैं। "उपनिषद" शब्द का अर्थ है "पास बैठना," जो यह दर्शाता है कि ये ज्ञान गुरुओं के निकट बैठकर सुना और सीखा जाता था।

पुराण क्या है ? :- पुराण हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों का एक महत्वपूर्ण समूह है जो प्राचीन कथाओं, धर्म, इतिहास, और दर्शन का संग्रह है। "पुराण" शब्द का अर्थ "प्राचीन कथाएँ" या "पुरानी बातें" होता है। पुराणों में ब्रह्मांड की उत्पत्ति, देवताओं की कहानियाँ, राजाओं और ऋषियों के जीवन, और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

ये कथायें ज्ञानवर्धक, रुचिकर होने के साथ-साथ जनसामान्य के लिए पथप्रदर्शक भी हैं, और इसमेंवर्तमान समय के अनुसार सरल भाषा और शैली का प्रयोग किया गया है।

वेद,उपनिषद,पुराणों की 108 रोचक कथा-कहानियाँ

पुराण पुराणों का विषय
उपनिषद् का प्रसिद्ध मंत्र उपनिषद्
अवतार नन्हा ध्रुव
ध्रुव तपस्यारत हो गया ध्रुव तारा की कथा
त्रिदेव वेदव्यास की कथा
वेद आत्मा
सृष्टि की रचना ऐतरेय ब्राह्मण का उद्भव
यज्ञ की महत्ता व्यास ने भागवत लिखी
घोड़े के सिर वाले ऋषि सुकन्या की निष्ठा
महाद्वीप का उद्भव धर्म का फल
पुरञ्जय ककुष्ठ कहलाया वचन पालन में चूक
वेदों का आशीर्वाद अतिथि का मान
अनित्य शरीर का दुःख क्यों? भक्त की रक्षा
शत्रु पर कभी विश्वास न करें भगवद् नाम की महिमा
अदृश्य आत्मा आरुणि उद्दालक बने
क्षत्रिय द्वारा ब्राह्मण को ज्ञान बालकी का गर्व चूर
आत्म-ज्ञान नचिकेता को वर
समुद्र मंथन ज्ञान अनंत है
गाड़ीवान रैक्व दिव्य संपत्ति
दधीची का बलिदान भृगु का अहंकार टूटा
ज्ञान की पिपासा ज्ञानी अश्वपति
सर्वशक्तिशाली ब्रह्मा मायामोह
त्रिशंकु का स्वर्ग मनु और प्रलय
गृतसमाद की चालाकी तपस्या या सत्संगति
कूर्म अवतार वराह अवतार
नृसिंह अवतार वामन अवतार
कालिया मर्दन नलकुबेर और मणिग्रीव
परशुराम अवतार राम अवतार
बलराम के जन्म की कथा कृष्णावतार का उद्देश्य
कल्कि अवतार कृष्ण और गोवर्धन पर्वत
कृष्ण और बलराम की गुरुदक्षिणा कृष्ण और सुदामा
स्यमंतक मणि शाल्व का अंत
अक्रूर को दिव्य दर्शन मुचुकुन्द की निद्रा
अक्षय पात्र नर और नारायण
पौण्ड्रक का गर्व पौण्ड्रक की मृत्यु का बदला
प्रतिशोध जरासंध वध
राजा हूहू की कथा गजेन्द्र और हूहू की श्राप मुक्ति
शिव द्वारा क्षमा गजेन्द्र का पूर्व जन्म
पराशर ने क्षमा किया वैष्णवास्त्र की कथा
नीलकंठ शिव सर्पों को शरण
इन्द्र और राजा राजी सिंहासन का दावा
अजेय सहस्त्रार्जुन गंगा का अवतरण
सती का आत्मदाह शक्ति पीठ का उद्भव
अर्धनारीश्वर मार्कण्डेय को शिव का आशीर्वाद
मणिकुंडल और गौतम धर्म ही रक्षक
यम की कथा सूर्य की तीव्रता में कमी
विष्णु की लीला शंखचूड़ का अंत
शंखचूड़ का जन्म शंखचूड़ का दुस्साहस
पुरुरवा की कथा पुरुरवा की असामयिक मृत्यु
धरती पर तुलसी का जन्म तुलसी और शंखचूड़
नंदी शिव के वाहन बने विंध्याचल पर्वत के अहंकार का नाश
गरुड़ और सौतेले भाई साँप की जीभ के विभक्त होने का कारण
दो वर नंदी का जन्म
रह्मा और विष्णु में मतभेद त्रिमूर्ति की व्याख्या