तेनाली रामकृष्णिष्टु एक भारतीय कवि, विद्वान, विचारक और श्री कृष्णदेवराय के दरबार में एक विशेष सलाहकार थे। वह एक तेलुगु कवि थे, जो अब आंध्र प्रदेश क्षेत्र से हैं, जो आमतौर पर लोक कथाओं के लिए जाने जाते हैं। जो उसकी बुद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है। तेनाली राम का जन्म 16वीं शताब्दी में आंध्रप्रदेश राज्य में हुआ था। जन्म के समय इनका नाम गरलापति रामाकृष्ण था। तेलगु ब्राह्मण परिवार से नाता रखने वाले रामा के पिता गरलापति रमय्या एक पंड़ित हुआ करते थे, जबकि उनकी मां लक्ष्मम्मा घर संभालती थी। कहा जाता है कि जब तेनाली रामा छोटे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. जिसके बाद उनकी मां, उनको लेकर अपने माता-पिता के यहां चली गई थी। उनके नाम के आगे तेनाली इसलिए जोड़ा गया क्योंकि वो जिस गांव से आते थे उसका नाम तेनाली था। तेनाली रामा द्वारा लिखे गए पांडुरंग महात्म्यं काव्य को तेलुग साहित्य में उच्च स्थान दिया गया है। इस काव्य को इस भाषा के पांच महाकाव्यों में गिना जाता है। इतना ही नहीं इसलिए उनका उपनाम “विकट कवि” रखा गया है।
महाराज कृष्णदेव राय – वर्ष 1509 से 1529 तक विजयनगर की राजगद्दी पर विराजमान थे, तब तेनालीराम उनके दरबार में एक हास्य कवी और मंत्री सहायक की भूमिका में उपस्थित हुआ करते थे। इतिहासकारों के मुताबिक तेनालीराम एक हास्य कवी होने के साथ साथ ज्ञानी और चतुर व्यक्ति थे। तेनालीराम राज्य से जुड़ी विकट परेशानीयों से उभरने के लिए कई बार महाराज कृष्णदेव राय की मदद करते थे। उनकी बुद्धि चातुर्य और ज्ञान बोध से जुड़ी कई कहानियाँ है। इन कहानियों की सत्यता को लेकर आप संदेह कर सकते हैं परन्तु इनके गुणों पर नहीं ।