Khattar Kaka Story In Hindi

खट्टर काका के तरंग - खट्टर काका - खट्टर काका के कहानी

Khattar Kaka Kahani In Hindi | Story Of Khattar Kaka | Khattar Kaka Ke Tarang | Harimohan Jha

खट्टर काका, हरिमोहन झा द्वारा अविस्मरणीय चरित्र निर्मित है जो अन्य साहित्य में मिलना कठिन है। हरिमोहन झा पटना विश्वविद्यालय में ही दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और फिर विभागाध्यक्ष रहे। अपने बहुमुखी रचनात्मक अवदान से मैथिली साहित्य की श्री-वृद्धि करनेवाले विशिष्ट लेखक रहे और भारतीय दर्शन और संस्कृति-काव्य साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान के रूप में विशेष ख्याति अर्जित की।

प्रो. हरिमोहन झा की खट्टर काका मस्त जीव हैं। ठंडाई छानते हैं और आनंद-विनोद की वर्षा करते हैं। उनकी बातें एक-से-एक अनूठी, निराली और चौंकानेवाली होती हैं। अनूठी व्यंग्य-कृति है। संस्कृत साहित्य में काव्य-शास्त्र-विनोद की जितनी भी रस-धाराएँ हैं, खट्टर काका उन सभी को एक अपूर्व भंगिमा सौंपते हैं। उनके रूप में लेखक ने एक अद्भुत चरित्र की सृष्टि की है, जो हँसी-हँसी में भी अगर "उल्टा-सीधा बोल जाते हैं तो उसे प्रमाणित किए बिना नहीं छोड़ते। रामायण, गीता, महाभारत, वेदान्त, वेद, पुराण सभी उलट जाते हैं। बड़े-बड़े दिग्गज चरित्र बौने बन जाते हैं। सिद्धान्तवादी सनकी सिद्ध होते हैं और जीवनमुक्त मिट्टी के लौंदे। कट्टर पंडितों को खंडित करने में खट्टर काका बेजोड़ हैं। प्रमाणों और व्यंग्य-बाणों की झड़ी लगा देते हैं। शास्त्रों को गेंद की तरह उछालकर खेलते हैं और खेल-खेल में ही फलित ज्योतिष को छलित ज्योतिष, मुहूर्त-विद्या को धूर्त-विद्या, तन्त्र-मन्त्र धूर्त-विद्या, तन्त्र-मन्त्र को षड्यंत्र और धर्मशास्त्र को स्वार्थशास्त्र प्रमाणित कर देते हैं।" यहाँ तक कि आत्मा, परमात्मा, स्वर्ग, मोक्ष, पुनर्जन्म आदि अवधारणाओं की भी धज्जियाँ उड़ाकर रख देते हैं। वस्तुतः वे एक ऐसी आँख हैं, जो हमें हमारी ही 'गोपन ज्ञान-सम्पदा' के 'दर्शन' तक ले जाती हैं। खट्टर काका हँसी-हँसी में भी जो उलटा-सीधा बोल जाते हैं, उसे प्रमाणित किये बिना नहीं छोड़ते। श्रोता को अपने तर्क-जाल में उलझाकर उसे भूल-भुलैया में डाल देना उनका प्रिय कौतुक है। वह तसवीर का रुख यों पलट देते हैं कि सारे परिप्रेक्ष्य ही बदल जाते हैं।

खट्टर काका को कोई 'चार्वाक' (नास्तिक) कहते हैं, कोई ‘पक्षधर' (तार्किक), कोई 'गोनू झा' (विदूषक)! कोई उनके विनोद को तर्कपूर्ण मानते हैं, कोई उनके तर्क को विनोदपूर्ण मानते हैं। खट्टर काका वस्तुतः क्या हैं, यह एक पहेली है। पर वह जो भी हों, वह शुद्ध विनोद-भाव से मनोरंजन का प्रसाद वितरण करते हैं, इसलिए लोगों के प्रिय पात्र हैं। उनकी बातों में कुछ ऐसा रस है, जो प्रतिपक्षियों को भी आकृष्ट कर लेता है। आज से लगभग पचीस वर्ष पहले खट्टर काका मैथिली भाषा में प्रकट हुए। जन्म लेते ही वह प्रसिद्ध हो उठे। मिथिला के घर-घर में उनका नाम खिर गया। जब उनकी कुछ विनोद-वार्ताएँ 'कहानी', 'धर्मयुग' आदि में छपी तो हिंदी पाठकों को भी एक नया स्वाद मिला। गुजराती पाठकों ने भी उनकी चाशनी चखी। उन्हें कई भाषाओं ने अपनाया। वह इतने बहुचर्चित और लोकप्रिय हुए कि दूद-दूर से चिट्ठियाँ आने लगीं-“यह खट्टर काका कौन हैं, कहाँ रहते हैं, उनकी और-और वार्ताएँ कहाँ मिलेंगी?" खट्टर काका के तरंग प्रसिद्ध मैथली साहित्य के कुछ कहानियाँ का हिंदी में अनुवाद किया हुआ कहानियाँ, का संग्रह।

हरिमोहन झा की कहानी - हरिमोहन झा - हरिमोहन झा की व्यंगात्मक कहानियाँ