Shekh Chilli Story In Hindi
शेख चिल्ली की कहानियां - शेख चिल्ली - शेख चिल्ली की कहानी - चिल्ली की कहानी
सूफी संत शेख मिर्च, जिन्हें सूफी अब्दुर-रजाक के नाम से भी जाना जाता है; शेख चिल्ली के नाम से लोकप्रिय, कादिरिया सूफी थे, वे अपनी बुद्धि और उदारता के लिए जाने जाते थे। वह बादशाह शाहजहाँ के बड़े बेटे मुग़ल राजकुमार दारा शिकोह (1650 ई.) के गुरु थे। कई लोग उन्हें एक महान दरवेश मानते हैं। कुरुक्षेत्र में हरियाणा के थानेसर में स्थित एक शेख मिर्च का मकबरा है।ऐसा माना जाता है कि शेख चिल्ली का जन्म बलूचिस्तान के खानाबदोश कबीले में हुआ था। लगातार घुमक्कड़ी का जीवन जीने के कारण चिल्ली कभी भी पढ़ न सके। चिल्ली बचपन से ही चमत्कारों की तलाश में पीर-फकीरों के दीवाने रहे। यह जमाना ही अंधविश्वासों, झाडफ़ूंक और गंडे-ताबीजों का था।
शेखचिल्ली के बारे में यही कहा जाता है कि उसका जन्म किसी गांव में एक गरीब शेख परिवार में हुआ था। पिता बचपन में ही गुजर गए थे, मां ने पाल-पोस कर बड़ा किया। मां सोचती थी कि एक दिन बेटा बड़ा होकर कमाएगा तो गरीबी दूर होगी।
Shekh Chilli Kahani - Sheikh Chilli Ki Kahaniyan - Shekh Chilli Ki Kahaniyann
एक किवदंती के अनुसार शेख की बेसिरपैर की हरकतों से परेशान होकर एक रात कबीले वाले किसी सूखी झाड़ियों के झुंड के पास इन्हें सोता छोड़कर आगे निकल गए, इससे वो अकेले रह गए थे। अकेले होने के कारण उनकी कल्पनाओं को पंख लगा दिए। यहीं से शुरु हुआ उनकी कपोल कल्पनाओं और अजीबोगरीब कारनामों का सफर।
शेख चिल्ली भारत के उपमहाद्वीप में बच्चों के बीच एक प्रसिद्ध चरित्र है। वह अपनी मूर्खता के लिए कुख्यात है।
शेखचिल्ली की कई कहानियां ऐसी ही हैं जिसमें उसने छोटी-सी चीज, जैसे – दही की हांडी से कल्पना करते-करते महल बनाया, शादी हुई, बच्चे हुए, फिर गुस्से में एक लड़के को लात मारी, जो असल में दही की हांडी में लगी और वह फूट गई।
Chilli Ki Kahaniyan - Story Of Shekh Chilli In Hindi