हितोपदेश की कहानियां - Hitopadesh Story In Hindi

हितोपदेश की कहानियां I Hitopadesh Ki Kahaniyan | हितोपदेश कथाएँ

शिक्षा का दूसरा नाम ज्ञान है , तो हितोपदेश को ज्ञान का सागर कहना अधिक उचित होगा । हितोपदेश , वही विशिष्ट कृति है जिसकी मूल रचना नारायण पंडित ने संस्कृत भाषा में की थी । आज से कोई सैंकड़ों वर्ष पहले पूरे विश्व में ऐसी रचनाओं को पढ़ने के लिए लोग भारत आये थे , किन्तु धीरे - धीरे जैसे - जैसे संसार में शिक्षा का प्रचार होता रहा , इसके साथ - साथ ही इन महान कृतियों को विश्व की दूसरी भाषाओं में अनुवाद करके प्रकाशित किया जाता रहा । यह बात हम सभी भारतवासियों के लिए बड़े गर्व की होगी कि ' हितोपदेश ' भी विश्व की सबसे अधिक भाषाओं में अनुवाद होने वाली एक भारतीय लेखक की रचना है ।हितोपदेश में ज्ञान और मनोरंजन का खजाना होते हुए भी इसके सारे के सारे पात्र करीब - करीब जानवर और पक्षी हैं ।

हितोपदेश ' को यहाँ हिन्दी भाषा में पढ़कर आप आनन्द लें।

हितोपदेश की नैतिक कहानी - Hitopadesh Story In Hindi

नीतिशास्त्र का ज्ञान एक पंथ दो काज
बूढ़ा शेर , लालची यात्री चूहा बना कबूतरों का मित्र
चूहे और कौए की मित्रता हिरण और गीदड़
गिद्ध और बिलाव हिरण , गीदड़ और कौआ
चूहे और कौए की दोस्ती कौआ , चूहा और कछुआ
दो साधू एक और नया मित्र
गीदड़ का कमाल दोस्ती का लाभ
शेर और बैल पागल बंदर
कहानी गधे की शेर , चूहा और बिलाव
चतुर नारी जैसी करनी वैसी भरनी
चालाक कौआ बुद्धिमान खरगोश
सागर और टिटहरी युद्ध
बंदरों का तमाशा मूर्ख गधा
खरगोश ने भगाए हाथी बुरे के साथ का बुरा नतीजा
बुरों से सदा दूर रहो रंगा गीदड़
वफादार नौकर लालची नाई
संधि हंस और कछुआ
तीन मच्छ दुःखों से बचने के लिए बुद्धि चाहिए
मूर्खों के सहारे कभी न सुख व्यर्थ की दया मत करो
ढोल की पोल झूठे सपनों का फल
बुरे दिन पूछकर नहीं आते क्रोध का फल