शिक्षा का दूसरा नाम ज्ञान है , तो हितोपदेश को ज्ञान का सागर कहना अधिक उचित होगा । हितोपदेश , वही विशिष्ट कृति है जिसकी मूल रचना नारायण पंडित ने संस्कृत भाषा में की थी । आज से कोई सैंकड़ों वर्ष पहले पूरे विश्व में ऐसी रचनाओं को पढ़ने के लिए लोग भारत आये थे , किन्तु धीरे - धीरे जैसे - जैसे संसार में शिक्षा का प्रचार होता रहा , इसके साथ - साथ ही इन महान कृतियों को विश्व की दूसरी भाषाओं में अनुवाद करके प्रकाशित किया जाता रहा । यह बात हम सभी भारतवासियों के लिए बड़े गर्व की होगी कि ' हितोपदेश ' भी विश्व की सबसे अधिक भाषाओं में अनुवाद होने वाली एक भारतीय लेखक की रचना है ।हितोपदेश में ज्ञान और मनोरंजन का खजाना होते हुए भी इसके सारे के सारे पात्र करीब - करीब जानवर और पक्षी हैं ।
हितोपदेश ' को यहाँ हिन्दी भाषा में पढ़कर आप आनन्द लें।