Best 10 Story In Hindi

Best 10 Story In Hindi | 10 बेहतरीन कहानियाँ

Story - 1 : लालची पड़ोसन (The Greedy Neighbor) | laalachi padosan



कामनी बहुत ही खूबसूरत औरत थी।

उसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमंड था लेकिन उसकी शादी बहुत ही साधारण दिखने वाले आलोकनाथ से हो गई थी जिसे वह बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी।

आलफ्तर के मार्केटिंग विभाग में क्लर्क का कम करता था।

महीने के पंद्रह दिन वो टूर पर ही रहता ।

तनख्वाह भी ठीक ही थी । लेकिन कामिनी की हर दिन फरश को पूरा करने के चक्कर में महीने के पहले हफ्ते ही उसकी सारी तनख्वात हो जाती थी ।

एक दिन की बात है सुबह का समय था ।

कामिनी बिस्तर पर लेटी हुई थी. तभी आलोकनाथ ने उसे जगाते हुए कहा। क्या बात है काममिनी आज बहुत देर तक सोई हुई हो, जिसकी किस्मत ही सो गई हो, वो जा क्या.

आलोकनाथ बोले क्या बात है आज सुबह- सुबहबह ही ताने कामिनी ।

तो क्या चाहते हैं आप सुबह-सुबह आपकी आरती उतारना शुरू कर डन या पैर दबाऊ।

आलोकनाथ समझ गया कि कामिनी को कोई चीज़ चाहिए।

क्योंकि जब भी उसे कोई चीज चाहिए वो इसी तरह का नाटक करने लगती थी।

क्या चाहिए तुम्हें? बोलो ना कामिनी हाहा

बोल तो ऐसे रहे हो जैसे चंद तारे लेकर ए जाओगे मेरे लिए

कितने दिनों से आपको सोनी की रिंग के लिए बोल रही हूं, लेकिन तुम तो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हो ।

अब जितनी हैसियत है मेरी, उतना ही तो कर पाऊंगा मैं और अभी.

दोती महीने रुक जाओ ना फिर दिला दूंगा मैं।

कामिनी तो फिर मुझसे पूछते क्यों ह कि क्या चाहिए।

जाइए अपना काम करि मेरे सिर में बहुत दर्द है।

आलोकनाथ क्या करता? किसी तरह कर्ज लेकर काम आया लेकिन कामिनी बहुत ही लालची औरत थी।

उसे हमेशा कुछ नया चाहिए होता था।

इस बीच कामिनी के पड़ोस में एक नया शादीशुदा जोड़ा अमन और सुप्रिया रहने के लिए आये।

जब अपनी बड़ी सी कार में से अमन और सुप्रिया उतरे तो कामिनी अपनी बालकनी से उन्हें घूरते हुए सोचने लगी।. कामनी.

वाह कितना हैंडसम लड़का है । क्या मस्त कपल हैं दोनों,

काफी अमीर भी लग रहे हैं दोनों कितनी महंगी कर है इनकी और एक मेरे पति है न शक्ल अच्छी है और न कमाई।

कामिनी को जब पता लगा कि ये जोड़ा बिल्कुल उनके बगल में रहने के लिए आया है तो वो उनसे दोस्ती करने के लिए मचल उठी।

खास तौर पर अमन से उसकी दोस्ती करने की बहुत इच्छा थी।

एक दिन वो उस खटखटाया दरवाजा अमन ने ही खोला।

सामने से अमन को देखकर वह उसे पर और भी लट्टू हो गई । मैं आपके पड़ोस में रहती हूं. थोड़ी चीनी चाहिए थी ।

मुझे अमन जी अभी देता हूँ।

अमन सुप्रिया- सुप्रिया ज़रा कटोरी में चीनी तो ले आना सुप्रिया चीनी लेकर ए गई अमन ने उसे कामनी को देने को कहा इस बीच कामिनी की नजर अमन के घर पर थी ।

काफी महंगी और एंटीक चीजों से सजा हुआ था उनका घर

जब सुप्रिया ने कामिनी को चीनी की कटोरी दी तो उसकी नजर सुप्रिया के गले में पहने नेकलेस पर गई ।

उसने अंदाजा लगाया कि ये डायमंड का ही होगा।

सुप्रिया और अमन दोनों ने कामिनी को घर के अंदर आने को कहा तो उसने कहा कि फिर किसी दिन।

काममिनी जब चीनी की कटोरी लेकर अपने घर गई तो आलोकनाथ की नर उस पर गई।

घर में तो इतनी सारी चीनी पड़ी है।

फिर तुम पड़ो से मांगकर क्यों ले आए?

काममिनी ये बात आपकी समझ में आ जाती तो अपने ऑफिस में क्लर्क नहीं होते ।

धीरे-धीरे कामिनी अमन और सुप्रिया से दोस्ती बढ़ाने लगीं।

जल्द ही वो उनका विश्वास जीतने में कामयाब हो गई।

कभी-कभी सुप्रिया किसी काम से बाहर गई होती तो वो सुप्रिया की गैरहाजिरी में भी अमन के पास चली जाती और उससे घंटों बातें करतीं।

अमन हँंसते हुए अरे बस करिए भाभी आप तो हँंसा-हंसा कर जान ही ले लेगी।

ऐसा मत कहिए अमन।

आपकी जान हमारे लिए बहुत की़ीमती है।

हम तो आपके लिए अपनी जान भी.

बार बोलिएम रही.

कामिनी बोली आप तो सीरियस ही हो गए।

अब आपकी भाभी को आपसे मजाक अधिक नहीं. क्या इनडायरेक्टली वो अमन को कई तरह के इशारे भी करती और उसे अपने झूठे प्रेम जाल में फंसाने की कोशिश भी करती।

क्योंकि उसे प. अमन बहुत ही अमीर है और वह उसकी साड़ी ख्वाहिशें को पूरा कर सकता है.

लेकिन अमन अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था इसीलिए वह कामिनीों का कोई जवाब नहीं देता था।

एक दिन की बात है काममिनी अमन और सुप्रिया से मिलने उनके घर आई।

सुप्रिया बोली आइए आइए भाभी हम आपकी ही बातें कर रहे थे।

काममिनी मेरी बात।. सुप्रिया अरे ये।

कामिनी अच्छा क्या कहते हैं अमन सुप्रिया यही कि आप बहुत अच्छी हैं।

कितनी मज़ेदार बातें करती है आपकी जैसी पड़ोसी मिलना तो आजकल के समय में बहुत ही मुश्किल है ।

सुप्रिया मुंह से अपने लिए अच्छी अच्छी बातें सुनकर कामिनी मां ही मां बहुत खुश हो रही थीं और उसे लग रहा था कि एक न एक दिन तीर निशाने पर लग ही जाएगा।

इस बीच सुप्रिया के भाई की शादी तय हो गई । उसके मायके वाले उसे बार-बार बुला.

इसलिए सुप्रिया को शादी के बीस दिन पहले ही जाना पड़ा । अमन को इतनी लंबी छुट्टी नहीं मिलती इसलिए उसने शादी के कुछ ही दिन पहले जाने का तय किया था।

इधर कामिनी को जब पता लगा कि सुप्रिया बीस दिनों के लिए अपने मायके जा रही है तो उसने मन ही मन एक प्लान बनाया।

कामिनी मन में यही सह अमन को फंसने का आलोक भी बाहर है और सुप्रिया भी अपने मायके गई हुई है।

सुप्रिया को मायके गए हुए अभी दो ही दिन हुए थे।

रात कोम के दवाजा खटखटाया।

अमन ने ज़रा देर से दरवाजा खोला।

काममिनी क्या बात है अमन बहुत देर कर दी दरवाजा खोलने में बना रहा था ।

आपको तो पता है ना मुझे बाहर का खाना बिल्कुल पसंद नहीं है, तो मुझे कह दिया होता मैं बना देती. लगता है अमन. अरे नहीं नहीं भाभी इसी.

मेरे रहते हुए आप किचन में खाना बनाएं।

काममिनी भले ही अपने में कम ही खाना बनाती थी लेकिन यहां तो उसका मकसद कुछ और था।

वह किचन में गई और उसके लिए फटाफट खाना बनाने लगी।

उसने ना सिर्फ खाना बनाया बल्कि अमन को खिलाया भी, कामनी सुबह शाम उसके घर आती और उसका खाना बनाती, अमन को कामिनी का यह स्वभाव बहुत अच्छा लगा ।

एक दिन अमन कामिनी भाभी मैं आपको क्या कहूं.

सच में आप मेरी बहुत मदद नहीं तो खाना बनाना और ऑफिस भी संभालना. सच में बहुत मुश्किल काम.

एक दिन की बात है।. कामिनी सुबह-सुबह अमन के घर आई। अमन को लगा कि हर दिन की तरह वो खाना बनाने आई होगी। लेकिन हर दिन वो आठ बजे के बाद आती थी.

लेकिन आज तो साथ ही बज रहे द. वह क्या है? मेरा शवर खराब हो गया है. बुरा ना मानो तो मैं आज तुम्हारे बाथरूम में नहा लूं. अमन ने हामी भर दी. इधर कामिनी तो किसी और फिराक में थी. उसने अमन के बाथरूम में कैमरा छुपाया और उसमें ऑटोमेटिक क्लिक बटन ऑन कर दिया. थोड़ी देर बाद वह जोर से चिल्लाई. अमन दर गया की आखिर क्या हो गया वह भाग भाग के पास गया. उसे देखकर कामिनी अचानक से उससे लिपट गई और उसे जोर से पकड़ लिया. अमन को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है. इधमरा अपना कम कर रहा था. कामिनी बहुत देर तक जब उसे लिपटी रही तो अमन को भी अब अच्छा लगे लगा था. लेकिन अचानक अमन को लगा की उससे गलती हो रही है।

इसलिए उसने उसे झटके से हटाया. काममिनी ओह.

सॉरी कि नहाते नहाते अचानक से पता नहीं कहाँ से दो- दोो छिप बाथर निकल आए।.

उसे देखकर ही मैं डर गई और ज़ोर से चिल्ला पड़ी।. अमन अब भी कामिनी से अपनी नज़रें नहीं मिला पा रहा था।.

इधर कामिनी अपने प्लान में कामयाब हो गई थी।

अमन के साथ उसकी सारी तस्वीरें कैमरे में कैद हो गई थी जिसमें उन दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा रखा था।

अगले दिन वह सारी अमन को लिफाफे में अपने घर के बाहर पड़ी मिली. उन तस्वीरें को देखकर उसका दिमाग जानना गया।

तभी कामिनी वहां गई. उसके हाथ में भी एक लिफाफा था।. कामनीम ये देखो किसी ने, कल हमारी तस्.

वो मुझे ब्लैकमेल कर रहा है और कह रहा है कि अगर मैं एक लाख रुपए उसे नहीं दूंगी तो वह यह तस्वीरें मेरे पति को दिखा देगा।.

अमन देखो मैं एकधी भारतीय नारी हूं.

मुझे नहीं पता कल किसने यह हरकत की है. अमन को भी कुछ समझ नहीं ए रहा था. उसने एक लाख रुपए कामिनी को दे दिए. हालांकि उसे कामिनी पर रत्ती भर भी शक नहीं था. लेकिन कामिनी ने एक बार फिर से उसे पाँच लाख मांगे तो उसका दिमाग थन का फिर भी उसे ज्यादा श नहीं हुआ. उसने पाँच लाख भी उसे दे दिए. लेकिन जब अमन सुप्रिया के पास जाने की तैयारी कर रहा था तो कामिनी ने फिर से उसे दौ लाख।. इस बार अमन को लगा की डाल में जरूर कुछ काला है।

हालांकि ग. अमन ने बहुत सोचा और उसने सुप्रिया से माफी मांगते हुए उसे सारी बातें बता दीं।. सुप्रिया उसी समय अपने मायके से अमन के पास लौट आई.

उसे दिन कामिनी जब शाम को दौ लाख लेने आई तो उसने सुप्रिया को देखा।.

सुप्रिया को देखकर उसका चेहरा उतर गया।. तुम तुमु. कब आई सुप्रिया सुप्रिया जी अभी आई हँ भाभी।.

उसके बाद सुप्रिया ने अमन और काम दिखाई और कहा सुप्रिया भाभी आपने मुझे बताया क्यों नहीं. कोई आपको इन तस्वीरें के लिए ब्लैकमेल कर रहा है।

मैं अभी इनवीर को लेकर पुलिस स्टेशन जा रही हूं।. पुलिस का नाम सुनते ही काममिनी के.

उसे अपनी पोल खुलने का दर सताने लगा.

उसने पुलिस स्टेशन ना जाने की बात उनसे कही लेकिन सुप्रिया अ. रही. आखिरकार कामनी और रोते-रोते उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।.

सुप्रिया मुझे शर्म आती है आप जैसी औरतों पर जो अपने मतलब के लिए दूसरे मर्दों को फंसाती है.

मैं क्या कमी है वह बेचारे तो आपको हर खुशी देने की कोशिश करते हैं।

लेकिन पता नहीं आपको ऐसा क्या चाहिए जो आपका लालच खत्म ही नहीं होता।

कामिनी को अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसने उन दोनों से माफी मांग ली।

लेकिन अमन और सुप्रिया ने कुछ दिनों बाद अपना फ्लैट खाली कर दिया और वो कहीं और रहने चले गए।

Story - 2 : दुखी व्यक्ति यह कहानी जरूर पढ़े - अपनी जीवन देखे | आत्मविश्वास



यह कहानी बहुत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक होने वाली है।

कृपया कहानी में अंत तक जरूर पढ़े ।

दोस्तों एक समय की बात है एक गांव में एक लड़की रहती थी।

वह लड़की सुंदर नहीं थी और उसका कोई भी नहीं था।

वह अकेले ही रहा करती थी।

वह खुद ही मेहनत करती और अपने लिए दो वक्त की रोटी का प्रबन्ध किया करती।

यूँ तो उसे दो वक्त की रोटी मिल ही जाया करती थी लेकिन फिर भी वह अपने आप से खुश नहीं थी.

उसे दुनिया में सभी लोग सुखी नजर आते । सभी लोग खुशहाल नजर आते ।

दूसरों का जीवन देखकर वह खुद को को करती, खुद को तरह तरह की बातें कहती

वह कहती थी हे ईश्वर आपने सभी को खुशहाल बनाया है।

सभी को सुख दिया है, सभी को सुंदर बनाया है तो मुझे क्यों नहीं?

आखिर मैंने किया क्या था? आखिर मेरी गलती क्या थी? मैं जानती हूं आप मुझेसे कोई बदला ले रहे हैं।

इसी प्रकार एक दिन वह अपने आप से नाराज होकर निरसा होकर एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी और रो रही थी। तभी वहां सेक्षु गुर्जर रहे थे।

उन्होंने जब उसे लड़की को रोते हुए देखा तो वह उसके पास गए और उन्होंने उस लड़की से कहा पुत्री क्या बात है?

तुम क्यों रो रही हो? इसका जवाब देते हुए वह लड़की बौ भिक्षु से कहती है है गुरु मुझे कोई प्यार नहीं करता,

मुझे कोई पसंद नहीं करता क्योंकि मैं काली हूँ, मैं सुंदर नहीं हूँ और मेरे रंग को लेकर लोग मेरा मजाक बनाते हैं मेरा कोई नहीं मेरे पास तो धन भी नहीं है।

इस दुनिया में हर कोई सुखी है, हर किसी के पास सब कुछ है।

हर कोई अपना जीवन खुशहाली से जी रहा है, सभी के पास सब कुछ है तो मेरे पास क्यों नहीं?

आखिर मैंने क्या किया था? आखिर इसमें मेरा क्या कसूर है?

क्या मुझे सुखी होने का हक नहीं? क्या मुझे अपना जीवन खुशहाली से जीने का हक नहीं?

उन बौद्ध भिक्षु ने उस लड़की की साड़ी बातें ध्यानपूर्वक सुननी और उसके बाद वह उस लड़की से कहते हैं पुत्री अगर तुम मुझे उस अपने जीवन में सुखी हो तो मैं तुम्हें एक ऐसी चीज दूंगा जिससे तुम सुंदर और सुखी दोनों बन जाओगीे।

उन बौद्ध भिक्षु के मुख से यह सुनकर वह लड़की बहुत प्रश्न्न हुई और तुरंत ही उन बौद्ध भिक्षु से कहती हैं

क्या सचमुच ऐसा हो सकता है?

इस पर वह बौद्ध भिक्षु उसे लड़की से कहते हैं हा अवश्य ही हो।

तभी वह लड़की उन बौद्ध भिक्षु से कहती है ही गुरुवार.

यदि यहमुच संभव है, तो मैं एक ऐसे आदमी को जानती हूं जो बहुत सुखी है।

मैं उसे अभी लेकरती हूं आप मेरा यहीं पर इंतजार करना।

इस पर वह बौद्ध भिक्षु उसे जब तक तुम वापस नहीं lautogi मैं तुम्हारा यहीं पर इंतजार करूंगा।

इतना कहकर वह लड़की वहां से भाग अपने मलिक के पास पहुंची जो की एक किसान.

उसने किसान से कहा मलिक आप मेरे मुझे एक ब भिक्षु मिले।

जिन्हें मैं आपसे मिलवा चाहती हूं। उन्होंने कहा है की अगर मैं एक किसी सुखी व्यक्ति को उनके पास ले जाऊंगी तो वह मुझे सुंदर और सुखी दोनों बना देंगे।

उसे लड़की से कहता है मैं तुम्हें कहां से सुखी लगता हूं।

इस पर वह लड़की उसके कह मलिक आपके पास तो सब कुछ है।

आपके पास तो घर है अच्छा खाने के लिए है. रहने के लिए अच्छा मकान है, आपका अपना परिवार है।

और तो और आपके पास धन भी है. तो आप दुखी कैसे हो सकते हो.

इस पर वह किसान जवाब देते हुए कहता है अरे मूर्ख मेरी फसल अच्छी नहीं हो रही इसलिए उसके दाम भी अच्छे नहीं मिल रहे और राजा को लगान भी देनी है।

मेरे पास तो अब इतने पैसे भी नहीं है की मैं फिर से अच्छे किस्म के बीच खरीद सकूं और इस बार बरसात में मेरी सारी की सारी फसल भी खराब हो गई थी।. अब तो मेरे हालात और अधिक खराब हो चुके हैं और ऐसे हालातो में मैं सुखी कैसे र सकता हूं.

जाओ, किसी और को ढूंढ लो जो सचमुच में सुखी हो।

इस पर वह लड़की अपने मालिक से कहती है, मालिक तो आप ही बताइए आपके हिसाब से कौन सबसे ज्यादा सुखी है जिसे मैं अपने साथ ले जा सुकून.

इस पर वह किसान कुछ देर विचार कर उसे लड़की से कहता है।

मुझे लगता है की व्यापारी बहुत सुखी है। उन्हें ना तो फसल उगने की चिंता है और ना ही फसलों की देखरेख करने की

उन्हें तो बस फसल खरीदनी होती है और वह उसे कहा से भी खरीद सकते हैं और तो और वे अन्य चीजों का भी व्यापार करते हैं जिनका मौसम से कोई लेना देना नहीं होता और वे लोग हमसे कहानी ज्यादा अधिक धन भी कमाते. लोग उनका आदर सम्मान भी करते हैं।

मुझे तो लगता है कि वही सबसे सुखी है तुम उन्हें के पास जो वह लड़की अपने मलिक की बात सुनकर वहां से भाग भाग एक व्यापारी के पास जा पहुंची

और उसे व्यापारी से कहती है.

आप मेरे साथ चलिए. मुझे भिक्षु मिले हैं, जिन्हें मैं आपसे मिलवा

उन्होंने कहा है की किसी ऐसे सुखी व्यक्ति को ले आओ जो सचमुच सुखी हो और उसके बाद वो मुझे एक ऐसी चीज देंगे जिससे मैं सुंदर और सुखी दोनों हो जाऊंगी।.

उस लड़की की बात सुनकर वह व्यापारी दुःख भरे शब्दों में उस लड़की से कहता है अरे हमारे जीवन में कहाँ सुख है चारों और से तो हमें दुख नहीं घर रखा है चोर लुटेरे हमें सबका ध्यान पड़ व्यापार में अभी बहुत घटा भी चल रहा है और तो और राजा हमसे अतिरिक्त कर्ज भी वसूल रहे हैं जिससे व्यापार करने में बहुत दिक्कत आने लगी है।

हमें सुरक्षा भी नहीं मिल का रही। जीवन पर हमेशा कोई ना कोई संकट मंडराता ही रहता है।

मुझे तो ऐसा लगता है कि मुझसे दुखी इस दुनिया में और कोई नहीं।

इस पर वह लड़की उस व्यापारी से कहती है परंतु मालिक आपके पास तो इतना धन है, आपके पास इतनी ज़न जायदाद है,

आपके पास इतना अन्न है रहने के लिए इतना बड़ा मकान और खानेपीने के लिए हर प्रकार की सुविधाएं हैं।

इसके बाद भी आप दुखी हैं. यह बहुत अजीब सी बात है. मुझे तो लगता था की आप बहुत सुखी होंगे.

नहीं कृपया करके मुझे कोई ऐसा व्यक्ति जो आपके हिसाब से बहुत सुखी हो जिसे मैं उन बौद्ध भिक्षु के पास ले जा

क. इस पर वह व्यापारी कुछ डर सोच विचार कर उसे लड़की से कहता है. मुझे लगता है कि राज्य के अधिकारी बहुत सुखी हैं.

वह सीधा राजा से संबंध रखते हैं. उनके पास अधिकार है और वह धनवान भी है. वह चोर लुटेरे और डकैत से भी नहीं डरते और वही लोग हमसे धन भी वसूलते और हमें उनके सामने उनके आदर में झुकना ही पड़ता है और सभी लोग उनका बहुत मान सम्मान भी करते हैं।

मुझे नहीं लगता की उनके जीवन में कोई भी दुख होगा और मुझे लगता है की वही सबसे सु सुखी है.

काश मैं भी राजा अधिकारी होता तो मैं भी अपना जीवन आराम से बीता रहा होता.

इस पर वह लड़की उसे व्यापारी से कहती है मलिक.

क्या किसी अधिकारी को जानते? क्या आप मुझे उनसे मिलवा सकते हैं?

मैं उन्हें अपने साथ ले जाऊंगी अगर वह सबसे सुखी हुए तो. इसके बाद मुझे वह बौद्ध भिक्षु कुछ ऐसी चीज मुझे देंगे जिससे मैं भी सुंदर और सुखी हो जाऊंगी. बताइए ना, मुझे किसी अधिकारी से मिलवा सकते हैं. मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी. व्यापारी को उसे लड़की पर दया ए गई. उसने उसे लड़की को एक अधिकारी से मिलवा ही दिया जिसे वह व्यापारी जानता था. लड़की ने अधिकारी से मिलने के उसे अधिकारी से कहा, मलिक आप मेरे साथ चलिए, मुझे भिक्षु मिले हैं जिन्हें मैं आपसे मिलवाना चाहती हूं. उन्होंने मुसे कहा है की अगर मैं एक सुखी व्यक्ति को उनसे मिलवा दूंगी तो वह मुझे एक ऐसी चीज देंगे जिससे मैं सुंदर और सुखी दोनों हो जाऊंगी.

इस पर वह अधिकारी उसे लड़की से कह तुम्हें किसने का दिया की मैं सुखी हूं, अरे मेरे जैसा दुखी व्यक्ति तो इस दुनिया में और कोई नहीं होगा, तुम्हें नहीं पता लेकिन हम पर कितना दबाव होता है, हमारे ऊपर कितनी जिम्मेदारियां होती हैं, हमें हर एक आदेश को पूरा करना होता है और वह आदेश भी इतनी आसानी से पूरे नहीं होते उनके लिए हमें कितनी मुश्किलें उठानी पड़ती है, कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है राज, कुछ भी आदेश पार और उसे हमें लागू करना पड़ता है।

जनता का गुस्सा और तरह परिणाम हमें ही झलना पढ़ते हैं और तुम्हें लगता है की मैं सुखी हूं ऐसा कुछ भी नहीं है अगर वह भिक्षु तुम्हें सुखी कर दे तो तुम उसे मुझे भी मिलवाना मैं भी तो सुखी होना चाहता हूँ मुझे भी अपना जीवन खुशहाली से बिताना ।

अधिकारी बनकर मुझे क्या मिला रोजरोज की तरह की त. इस पर वह लड़की आश्चर्य से उसे अधिकार से कहती है.

तक मैं सोचती थी की आप सबसे सुखी हैं लेकिन आप भी सुखी नहीं ग. परंतु आपको क्या लगता है इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सबसे सुखी होगा? क्या आप मुझे बता सकते हैं? मैं आपकी बहुत-बहुत आभा. उसे लड़की की साड़ी बातें सुनने के बाद उसे अधिकारी को उसे लड़ दया ए गई. उसे अधिकारी ने उसे लड़की से कहा, देखो, मुझे तो ऐसा की इस पूरे राज्य में एकमात्र व्यक्ति ही सुखी है और वह है इस राज्य का राजा.

मुझे तो केवल वही सुखी लगते हैं. उन्हें किसी की सुी नहीं पड़ती. वह नियम बनाते हैं, आदेश देते हैं, सुरक्षा से घिरे रहते हैं और सब उनके सामने झुकते भी हैं. ना उन्हें धन की कमी है और ना जमीन जायदाद की सारी धरती को उन्होंने जीत लिया है, वह सब के मालिक है और सबसे उच्च वही है जो एकमात्र सुखी व्यक्ति है. काश मैं भी किसी राजा के घर पर जन्मा होता तो आज मैं भी बहुत सुखी होता.

उस अधिकारी की यह सारी बातें सुनकर वह लड़की उसे अधिकारी से कहती है मलिक आपसे एक विनती है. क्या आप मुझे एक बार राजा से मिलवा सकते हैं? कृपया कीजिए आपका बहुत बस एक बार मुझे राजा से मिलन है. मैं उनसे कुछ पूछना चाहती हूं. लड़की का चेहरा देखकर अधिकारी को लड़की पर दया ए गई. उसने कहा चलो ठीक है. मैं अभी राज दरबार ही जा रहा ह. एक काम करो. तुम भी मेरे साथ ही चलो और वहां पर राजा से पूछना है वह पूछ लेना. इतना कहकर वह उसे लड़की को राजदरबार ले गया. राजदरबार में पहुंचने के बाद करने राजा उसे लड़की की बात सुनने के लिए तैयार हो गए और उसे लड़की को राज दरबार में बुलाया गया. राजा ने उसे लड़की से कहा.

तुम अपनी बात निडर होकर कहो तुम्हें क्या कहना है?

तुम मुझसे क्या पूछने आई हो? इस पर वह लड़की थोड़ा घबराते हुए थोड़ा डरते हुए राजा से कहती है ।

राजन मैं एक संपूर्ण सुखी व्यक्ति को ढूंढ रही हूंँ. मुझे एक भिक्षु मिले हैं और उन्होंने मुझसे कहा है कि यदि तुम कोई ऐसा सुखी व्यक्ति मुझसे मिलवा दो तो मैं तुम्हें एक ऐसी चीज दूंगा जिससे तुम सुंदर और सुखी दोनों हो. जोगी.

काफी लोगों से मिलने के बाद मुझे यह पता चला की आप ही हैं जो इस दुनिया में एकमात्र सुखी व्यक्ति है. तो क्या आप मेरे साथ उसे भिक्ष आपका बड़ा एहसान होगा? राजा उसे लड़की की बात ध्यान पूर्वूर्वक और उसके बाद जोर-जोर से हंसने लगता है और उसे लड़की से कहता है. अच्छा सब की तरह तुम्हें भी लगता है की मैं इस दुनिया का सबसे सुखी व्यक्ति हूं लेकिन यदि कोई मुझे पूछे की इस दुनिया में सबसे दुखी व्यक्ति कौन है? तो वह मैं ही हूँ.

मेरे पास नींद नहीं है. मेरे पास आराम नहीं है. मैं आराम से सो नहीं. पता.

अंगरक्षक हमेशा मेरे आसपास रहते. उनके बिना मैं अकेले कहानी जा भी नहीं सकता. जरा सी आर्ट होती है तो नींद टूट जाति है.

डर हमेशा लगा राहत है क्योंकि मेरे दुश्मन मेरे घर में ही रहते हैं जिनका मुझे पता तक नहीं कौन, कब और कहाँ से मुझमें पर वार कर दे कोई नहीं कह सकता. यहाँ पर बैठे सभी लोग मेरे दुश्मनी ही तो हैं. वे सभी मेरे शत्रु हैं.

यहां पर बैठा हर एक व्यक्ति मेरे राज दरबार का ही है. किंतु मुझे सब पर शक करना पड़ता है. हर एक मुझे भारी मालूम पड़ती है. इतने बड़े राज्य की जिम्मेदारी उठाना इतना आसान नहीं।. तुम्हें लगता होगा कि राजा के पास तो सभी ऐशो आराम है, धन है, दौलत है, ज़मीन जायदाद है, उनके पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है और इस हिसाब से तो उन्हें सुखी होना ही चाहिए. किंतु मैं तुम्हे बता दूँ कि यह सब सुख नहीं देते.

इस पर वह लड़की राजा से कहती है ही राजन क्षमा कीजिएगा परंतु यदि सुख धन दौलत नहीं देती, जमीन जायदाद नहीं देती, ऐशों आराम नहीं देता तो क्या हुआ? कम से कम सुंदरता तो सुख देती है. इस पर वह राजा एक बार फिर मुस्कुराते हुए उसे लड़की से कहता है पुत्री सुंदरता जो मैंने देखी है.

जो लोग शक्ल से सुंदर होते हैं उनके मन सुंदर नहीं होते.

वे लोग तो एक मुखौटा लगाए घूमते रहते हैं वे दूसरों को दिखाते हैं की मैं कितना सुंदर हूं लेकिन समय सबकी सुंदरता छीन ले एकमात्र सुंदरता मन में ही रहती है और जिसका मन सुंदर है वह हमेशा ही सुंदर रहता है. इस पर वह लड़की राजा से कहती है तो आप ही बताइए.

की आपके हिसाब से इस दुनिया में सबसे सुंदर और सुखी कौन है? इस पर वह राजा लड़की से कहता है, मेरे हिसाब से तो एक गरीब व्यक्ति जो दो वक्त की रोटी का प्रबंध कर सके, जो किसी तंत्र बिना किसी बंदिशों के, बिना किसी भी दिशा में घूम सके, उसे कुछ भी छिन जाने का डर ना हो, कुछ भी लूट जाने का खौफ न हो, जिसे रात को अच्छी नींद आती हो.

मुझसे पूछोगे तो सबसे ज्यादा सुखी वही होगा. और इस हिसाब से मैं तुम्हें देखता हूँ कि तुम सबसे सुखी हो, तुम्हारे पास नींद है, अच्छा मन है, चारों दिशाएं हैं और कोई डर नहीं, कोई साज़िश नहीं, कोई षड्यंत्र नहीं, बस जीवन है. खुला जीवन मेरे हिसाब से तुम ही सबसे सुखी हो.

राजा की यह सारी बातें सुनकर एक पल के लिए वह लड़की सोच में पड़ गयी और तभी उसे इस बात का एहसास भी हो गया. वाकई में वह एकमात्र सुखी है, वही सुंदर है और अब वह जो थी, जैसी भी थी. उसे खुद के होने पर गर्व होने लगा. पूरे दिन यहाँवहााँ भटकते हुए आखिरकार थक हार कर सम्पूर्ण सुख लिए वह चेहरे पर मुस्कान लायी।. प्रकृति से बातें करते हुए वह उन बौद्ध भिक्षु के पास वापस लौटी और उसने उन बौद्ध भिक्षु से कहा, हे गुरुवार मैं यहाँ से गई थी तो मुझे लग रहा था की मैं ही सबसे दुखी हँ.

और मैं ही सबसे बदसूरत हँ.

लेकिन यहाँ से जाने के बाद जैसे जैसे मैं लोगों से मिलती गयी मुझे यह एहसास होने लगा की इस दुनिया में सबसे सुखी व्यक्ति तो मैं ही हूँ.

हाँ.

यह बात और है मैं किसी सुखी व्यक्ति को आपके पास लाना साकी.

क्योंकि मुझे लगता था की मुझे छोड़कर सब सुखी है. लेकिन बात तो कुछ उल्टी ही हो गयी. यहाँ तो मुझे छोड़कर सभी दुखी हैं. सभी को किसी न किसी चीज़ का डर है, कुछ ना कुछ खो जाने का डर है, कुछ ना पाने का डर खुलकर ना जी पाने का डर. इस हिसाब से तो मेरे पास सब कुछ है. मैं खुशशी से झूम सकती हूँ, गा सकती हूँ. जहाँ मन करे वहाँ जा सकती हूँ. और दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए मेरे पास यह हाथ और पैर भी है. मुझे किसी चीज का कोई गम नहीं. मेरे पास ऐसा कुछ नहीं जिसके खोने का डर मुझे सताए. इस पर वह बौद्ध भिक्षु उस लड़की से कहते हैं पुत्री आखिरकार तुम्हें वह सुंदरता और सुख मिल ही गया.

अब से तुम सुंदर और सुखी हो यह कहकर वह ब अपने आश्रम लोट गए और वह लड़की भी अब जान चुकी थी की वही सबसे सुन्दर और सुखी है. अब उसे किसी बात का कोई गम नहीं था. वह कभी अपने आप पर अफसोस नहीं करती थी बल्कि वह अपने आप में हमेशा खुश रहती थी, हमेशा मस्त रहती थी. दोस्तों हमें भी ऐसा ही लगता है कि हमारे पास कुछ नहीं और सामने वाले के पास सब कुछ है. वह कितना सुखी है. उसके पास हर चीज़ है, है, हर सुविधाएं हैं किंतु ऐसा है नहीं. यह केवल आपके देखने का निया है. असली सुख तो आपके पास ही है और वे है संन्तुष्टि.

यदि आप अपने आप से संतुष्ट हैं. आपके पास जो कुछ भी है उसमें यदि आप खुश हैं तो आपको कोई भी गम डरा नहीं सकता. आपको कोई भी दुख परेशान नहीं कर सकता.

किन्तु हमारी सबसे बड़ी तकलीफ यही है कि हम खुद को नहीं बल्कि दूसरों को ज्यादा देखते हैं. दूसरों से हम ज्यादा प्रेरित होते हैं और उनकी खुशी देखकर हमारे भीतर ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होने लगता है. हमें तकलीफ होती है की उनके पास इतना सुख कैसे हैं और हम इतने दुखी क्यों हैं?

हम केवल हरफ नजर गराये हुए हैं हमने तो अपने पास देखा ही नहीं. हमारे पास क्या है हम उस पर कभी ध्यान नहीं देते बल्कि हम तो हमेशा इस पर ध्यान देते हैं कि हमारे पास क्या नहीं है और यही नजरिया आपको दुख और तकलीफ की ओर ले जाता है. आप चाहकर भी सुखी नहीं रह पाते क्योंकि आपने अपना नजर क्या नहीं है उस पर गड़ाा रखा है. वहीं पर यदि आप इस तरह से सोचे कि मेरे पास बहुत कुछ है रहने के लिए अच्छा घर है, खाने के लिए अच्छा खाना है, पहने के लिए अच्छे कपड़े हैं, कम से कम दो वक्त की रोटी का आपके लिए इंतजाम भी हो जाता है. लेकिन बहुतों के पास तो यह भी नहीं होता. तो क्या आप सुखी नहीं है? क्या आपके पास वह सब नहीं है जो उनके पास नहीं ज़रा एक पल के लिए सोच कर देखिएगा.

Story - 3 : 5 करोड़ भी ठुकरा दिये | प्रतिस्पर्धा



इस संसार में जब से हम आते हैं तभी पैदा होने के साथ ही एक तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है।

यह दौड़, यह प्रतिस्पर्धा जीवन भर आखिरी सांस तक चलती रहती है।

इन सबके बीच ईश्वर ने जो हमें बहुमूल्य जीवन दिया है, उसका मोल हम नहीं समझ पा. राहुल पच्चीस वर्ष का एक युवा है. इतना युवा होकर भी वह अभी.

उसे लगा था की वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा।

अच्छी नौकरी करके सेटल हो चुके था।

जबकि राहुल की एक छोटी सी नौकरी थी जो छूट गई थी।

राहुल अब एक नई नौकर की तलाश में भटक रहा था।

वह हमेशा मन ही मन निराशा में ईश्वर से शिकायत करता कि उसने किसी का बुरा नहीं किया फिर भी उसके साथ ऐसा हो रहा है।

वह परेशान और भटकता हुआ महसूस कर रहा था।

नौकरी के लिए वह लोकल बस में सफ़र करता था।

उसके चेहरे पर निराशा ही रहती थी।

वह किसी से अच्छे से बात भी नहीं करता था।

बस में कई लोग सफ़र करते थे।

लेकिन एक विशेष व्यक्ति ऐसा था जो सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता था।।

वह व्यक्ति लगभग पैंतीस साल का था।।

वह रोज विंडो सीट पर बैठता था और अगर उसे विंडो सीट नहीं मिलती तो जो भी वह बैठा रहता उससे विनती करता कि उसे खिड़की पर बैठने दे.

वह व्यक्ति बढा अजीब था. रंग-बिरंगे कपड़े पहनता था और हाथ में सात रंगों के बंद पहनता था।

बस में हमेशा जोश में रहता था।

उसकी आंखें बाहर खिड़की की ओर ही देखती रहती थी।

कभीकी तो वह बाहर देखते-देखते खुशी में उछल पड़ता था।

बस में कुछ लोग उससे खुश रहते तो कुछ को उसकी हरकतें अजीब लगती।

लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

वह हमेशा खुश रहता था. सभी ने उसका नाम रंगीला रख दिया था।

एक दिन वह बस में चडढा तो उसने राहुल से विनती की की. उसे खिड़की पर बैठने दे।

राहुल कई दिनों से उसे देख रहा था।

इसलिए उसकी आदत जानता था कि वह हमेशा किसी न किसी से यह request करता है।. राहुल ने उसे सीट पर बैठ गया.

रंगीले की ऊर्जा से राहुल प्रभावित हुआ और उसे हंसते देख राहुल के चेहरे पर भी मुस्कान ए गई।

रंगीले की अजीब हरकतें और अपने आप में ही कुछ बोलते रहना राहुल को अच्छा लगा।

उसके इस तरह के स्वभाव के कारण राहुल का उससे बात करने का मन हुआ।

राहुल ने उससे पूछ लिया तुम क्या करते हो? वो बोला, अभी मैं कुछ नहीं करता.

राहुल को थोड़ा अजीब लगा और उसने कहा क्या मतलब कुछ नहीं करते कोई कम नहीं करते?

वह बोला नहीं मैं कम नहीं कर रहा हूं।

राहुल ने सोचा की शायद वह अमीर घराने से होगा वह बोला तो फिर तुम अमीर घराने से होंगे रंगीला हंसते हुए बोला अ. पास कोई दौलत नहीं है जो भी था वह भी सब चला गया को उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ और उसने सोचा की शायद वह झूठ बोल रहा है इसलिए राहुल ने उसे बात को वहीं खत्म कर दिया और फिर से चुपचाप बैठ गयांगीला बोला अरे क्या हुआ तुम तो चुप हो गए मैं तो तुम्हें अक्सर देखता हूँ तुम हमेशा निराश रहते हो।

हँसते ही नहीं क्या हुआ कुछ बताओगे।

राहुल ने थोड़ा तंज कस हुए कहा, भाई हंसने के लिए भी पैसा चाहिए।

हम तुम्हारी तरह नहीं हैं।. खुश होने की कोई वजह तो हो. हमारी किस्मत में यही लिखा है।

हमारा साथ तो भगवान भी नहीं देता।

रंगीला हँसते हुए बोला, अच्छा ऐसी बात है तो तुम मेरे आज से पक्के दोस्त।

मैं तुम्हें अभी दौ करोड़ दूंगा. राहुल ने उसकी इस बात को हसीी में उड़ा दिया. वह फिर बोला, सच में दूँगा लेकिन मेरी एक शर्त है दो करोड़ के बदले. क्या तुम मुझे अपनी आँखें दोगे.

राहुल को यह सुनकर बड़ा बुरा लगा और उसने कहा क्या बकवास करते हो पागल हो क्या रंगीला?

फिर बोला अच्छा चलो पाँच करोड़. अब दोगे. राहुल ने कहा अगर तुमने बकवास की तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।

र बोला अरे भाई बुरा मत मानो. समझो तुम पाँच करोड़ तो क्या कितने भी पैसों में अपनी आँखें किसी को नहीं दोगे

मतलब तुम्हारी आंखों का कोई मोल नहीं है।

यह अनमोल है और ईश्वर ने तुम्हें यह मुफ्त में दी है।

न सिर्फ आँखें बल्कि तुम्हारे पास जो कुछ भी है वह अनमोल है. तो बताओ तुम गरीब कैसे हुए को सुनने लगा।

रंगीला बोला सोचो अगर तुम्हारी आँखें नहीं होती और तुम कुछ देख नहीं सकते तो क्या करते?

राहुल बोला मैं किसी भी तरह से अपनी आंखें मांगता. रंगीला बोला ईश्वर ने तुम्हें सब कुछ दिया है उसका धन्यवाद करो।

मैं भी तुम्हारी तरह ही सोचता था फिर आज से सात साल पहले एक बीमारी की वजह से मेरी आंखें नहीं रहीं।

तब मुझे एहसास हुआ की मेरे पास कितनी अनमोल चीज थी जिसकी मैंने कद्र नहीं की. कई सालों बाद ऑपरेशन से मुझे अब आंखें मिली और मैं सिर्फ यही मांगता था की मुझे मेरी आंखें मिल जाए.

अब जब मैं देख सकता हूँ तो मुझे लगता है कि मुझे कुछ भी नहीं चाहिए. ईश्वर की बनाई यह दुनिया मैं फिर से देख सकता हूं।

सारे रंगों में मेरे घरवालों ने जो कुछ भी किया सिर्फ इसलिए किया।

अब मैं बस यही मानता हूं की मेरी जिंदगी में सब कुछ है और मुझे ईश्वर का आभार मानना चाहिए।

उसकी बातें राहुल के दिल तक पहुंच गई. उसी क्षण राहुल की निराशा खत्म हो गई।

एक क्षण ही उसे जगाने के लिए काफी था।

अब वह सिर्फ ईश्वर का धन्यवाद देने लगा और जीवन को एक न नजर से देखने लगा बिना किसी शिकवे के सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देने लगा।

इस कहानी का संदेश यही है कि हम अक्सर अपनी जिंदगी की अनमोल चीजों की कद्र नहीं कर पाते.

निराशा और असफलताओं के बीच हम भूल जाते हैं की ईश्वर ने हमें बहुमूल्य उपहार दिए हैं जैसे हमारी आंखें, हमारा शरीर और यह खूबसूरत दुनिया.

दोस्तों जिंदगी में किसी भी मुश्किलड़ी में हमें याद रखना चाहिए की जो हमारे पास है वह किसी वरदान से कम नहीं है।

हर एक दिन एक नया मौका है इसे जिए ।