सबसे पहले हम यह जानते है की , एक नैतिक कहानी का क्या अर्थ है ?
एक नैतिक कहानी वह है जो आपको एक महत्वपूर्ण जीवन पाठ सीखने में मदद करती है । कम उम्र से ही बच्चों को कई पारंपरिक कहानियों से परिचित कराया जाता है जो सांस्कृतिक मूल्यों को व्यक्त करने के लिए उपकरण के रूप में काम करती हैं ।
बच्चों के लिए कुछ प्रसिद्ध नैतिक कहानियों का संग्रह जो उन्हें जीवन के अमूल्य सीख प्रदान करेगी। तो बच्चों आप एक-एक कहानी को अंत तक जरूर पढ़े क्यूंकि हर कहानी के अंत में आपको उस कहानी से जो सीख मिलेगी वो जानने को मिलेगा।
एक गांव में एक अमीर जमींदार रहता था।
उसे अपने पैसों पर बड़ा घमंड था।
जितने अधिक पैसे उसके पास थे, उतना ही वह कंजूस भी था।
अपने खेतों में काम करने वाले किसानों से वह खूब काम करवाता, मगर पगार कौड़ी भर भी न देता।
मजबूर गरीब किसान मन मारकर उसके खेत में काम करते।
उसी गांव में रामू नामक एक किसान रहता था।
उसके पास थोड़ी सी जमीन थी। उसी में खेती-बाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था।
रामू बड़ा मेहनती था।
वह दिन भर अपने खेत में काम करता और अपनी मेहनत के दम पर इतनी फसल प्राप्त कर लेता कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके।
गांव के बाकी किसानों के पास रामू के मुकाबले अधिक जमीनें थीं।
वे रामू की मेहनत देखकर हैरान होते कि कैसे इतनी सी जमीन में वह इतनी फसल उगा लेता है।
एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा।
बिना बारिश के खेत खलिहान सूखने लगे।
गरीब किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था न थी।
वे सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर थे।
इसलिए उनकी सारी फसल बर्बाद हो गई।
रामू के साथ भी यही हुआ।
अपने छोटे से खेत में वह किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था।
अब उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई।
मजबूरी के कारण वह गांव के जमींदार के पास कर्ज मांगने गया।
जमींदार कंजूस तो था।
उसने सोचा कि यदि उसने रामू को पैसे दिए, तो यह लौटा तो पाएगा नहीं।
इसलिए इसे अपने खेत में काम पर लगा लेता हूं।
मेहनती तो ये है ही, और मजबूर भी। कम पैसों में दुगुनी मेहनत करवाऊंगा।
उसने रामू से कहा, “देख रामू! मैं तुझे कर्ज तो दे नहीं सकता, लेकिन तेरी इतनी मदद कर सकता हूं कि
तुझे अपने खेत में काम पर रख लूं।
तुझे महीने के हजार रुपए दे दिया करूंगा।”
“पर मालिक दूसरे किसान तो दो हजार पाते हैं।” रामू बोला।
“करना है तो कर। वरना मेरे पास किसानों की कमी नहीं।” जमींदार बोला।
मजबूर रामू क्या करता ?
हामी भरकर घर लौट आया।
अगले दिन से जमीदार के खेत में काम करने लगा।
मेहनती तो वह था ही। वह खूब मेहनत और लगन से काम करता।
उसने चार महिने का काम दो महीने में ही कर दिया। यह देख जमींदार बहुत खुश हुआ।
लेकिन इसके मन में मक्कारी जाग उठी।
उसने सोचा कि चार महीने का काम तो इसने दो ही महीने में कर दिया। क्यों न इसे निकाल दूं। इससे मेरे दो महीने के पैसे बच जायेंगे।
उसने रामू को बुलाया और उसके दो महीने के पैसे देकर कहा, “रामू यह ले तेरे पैसे।
कल से मत आना। अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।”
ये सुनकर रामू परेशान हो गया।
बड़ी मुश्किल से उसका घर चल रहा था।
अब अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा ?
वह जमींदार के सामने गिड़गिड़ाने लगा कि उसे काम से न निकाले।
लेकिन जमीदार ने उसकी एक न सुनी और उसे काम से निकाल दिया।
रामू आंखों में आंसू लेकर घर लौटा।
चिंता से रात भर उसे नींद नहीं आई।
सुबह उठकर उसने फैसला किया कि वह फिर से जमींदार के पास जायेगा
और उससे विनती करेगा कि उसे वापस काम पर रख ले।
वह जमींदार के घर के सामने जाकर बैठ गया।
सुबह उठकर जाट जमीदार अपने घर से बाहर निकला, तो रामू को घर के सामने बैठा हुआ देखा।
उसने रामू से पूछा, “क्या हुआ रामू, क्यों आया है ?”
रामू जमीदार की पैरों पर गिर पड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “मुझ पर दया कीजिए मालिक।
मुझे काम पर रख लीजिए। मेरा परिवार भूखा मर जाएगा।”
जमीदार ने उसकी एक न सुनी और उसे धक्के मार के वहां से निकाल दिया।
रामू उस समय तो वहां से चला गया, लेकिन अगली सुबह फिर सेठ के घर के सामने जाकर बैठ गया।
जमींदार ने उसे फिर बुरा भला कह कर भगा दिया।
अब से रोज यही क्रम चलने लगा।
रामू रोज जमींदार के घर के सामने जाकर बैठ जाता और जमींदार उसे भगा देता।
पूरे गांव में इस बात की चर्चा होने लगी। सब जमींदार को भला बुरा कहने लगे।
तंग आकर जमींदार ने सोचा कि क्यों ना कुछ दिन परिवार सहित दूसरे गांव चला जाऊं।
मुझे घर पर ना देख कर रामू यहां आना बंद कर देगा।
अगले दिन वह परिवार सहित दूसरे गांव अपने रिश्तेदार के घर चला गया।
दस पंद्रह दिन रिश्तेदार के घर रहने के बाद जब वह अपने घर लौटा, तो मोहन को अपने घर के सामने बैठा नहीं पाया।
वह मन ही मन खुश हुआ कि चलो उससे पीछा छूटा।
लेकिन वह चकित भी हुआ कि आखिर रामू ने आना बंद क्यों कर दिया।
उसने गांव वालों को बुलाकर पूछा, तो पता चला कि रामू घायल है और अपने घर पर पड़ा हुआ है।
जमींदार ने पूछा, “क्या हुआ उसे ?”
एक जमींदार ने कहा, “मालिक! आज जब दूसरे गांव चले गए थे, तब भी रामू आपके घर के सामने बैठा रहता था।
एक दिन आपका खाली घर देखकर कुछ चोर चोरी करने के इरादे से आपके घर में घुसे।
लेकिन वे रामू की नजर में आ गेम रामू अपनी जान की परवाह न कर उनसे उलझ गया और उन्हें भगा दिया।
उनके बीच हुई हाथ पाई के कारण रामू घायल हो गया।”
ये जानकर जमींदार को खुद पर शर्म आने लगी कि उसने रामू के साथ कितना बुरा किया लेकिन इसके बाद भी
रामू उसके घर चोरी होने से बचाने के लिए चोरों से उलझ गया। वह पछताने लगा।
उसने रामू के घर जाने का फैसला किया।
वह रामू के घर पहुंचा, तो देखा कि रामू बड़ी दयनीय अवस्था में चारपाई पर पड़ा हुआ है।
उसके बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। ये देख जमींदार का दिल भर आया।
उसने रामू से अपने किए की माफी मांगी। उसका इलाज करवाया।
और ठीक होने के बाद अच्छी पगार के साथ उसे फिर से काम पर रख लिया।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ कभी किसी के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए। सदा जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। ❤
एक बार महात्मा गाँधी के पास एक व्यक्ति गीता का रहस्य जानने के लिए आया।
उसने महात्मा गाँधी से गीता के रहस्य के बारे में पुछा ।
गाँधी जी उस समय फावड़े से आश्रम की भूमि खोद रहे थे ।
उन्होंने उस व्यक्ति को पास बिठाया और फिर से आश्रम की भूमि खोदने में लग गए ।
इसी तरह काफी समय हो गया लेकिन महात्मा गाँधी उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोले ।
आखिर में अकेले बैठे-बैठे परेशान होकर वह व्यक्ति महात्मा गाँधी से बोला – “में इतनी दूर से आपकी ख्याति सुनकर गीता का मर्म जानने के लिए आपके पास आया था लेकिन आप तो केवल फावड़ा चलाने में लगे हुए हैं ।
गाँधी जी ने उत्तर दिया – “भाई! में आपको गीता का रहस्य ही समझा रहा था।”
महात्मा गाँधी की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला – आप कहाँ समझा रहे था आप तो अभी तक एक शब्द भी नहीं बोले ।
गाँधी जी बोले – “बोलने की आवश्यकता नहीं है ।
गीता का मर्म यही है कि व्यक्ति को कर्मयोगी होना चाहिए ।
बस फल की आशा किए बगेर निरंतर कर्म करते चलो । यही गीता का मर्म है।”
गाँधी जी के इस उत्तर को सुनकर व्यक्ति को गीता का रहस्य समझ में आ गया ।
तो दोस्तों व्यक्ति को फल की चिंता किए बगैर हमेशा कर्म करते रहना चाहिए।
इसका मतलब यह कतई नहीं हैं कि हर कुछ काम करने लग जाओ, बाद मेँ जेल जाना पड़े ।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ कोई काम हमने स्टार्ट किया, और हम बार बार फल (Result) के बारे में ही सोचते रहे, यह गलत हैं। इससे हम उस काम को करने में सही से ध्यान नहीं लगा पाएंगे और उसमे असफल होने के चांस ज्यादा बढ़ जायेंगे। इसलिए जो काम कर रहे हैं उस पर फोकस करो, फल अपने आप अच्छा मिलेगा। ❤
एक बार की बात हैं, एक किसान ने अपने पड़ोसी को भला बुरा कह दिया ।
लेकिन कुछ दिन बाद उसे अपनी इस गलती का एहसास हो गया ।
लेकिन वापस सुलह कैसे करें, इसकी सलाह लेने के लिए एक संत के पास गया ।
किसान ने संत से कहा, “मैं अपने पड़ोसी को कहे हुए बुरे शब्द वापस लेना चाहता हूँ ।
आप कोई रास्ता बताइये।”
तो संत ने किसान को बहुत सारे पंख देते हुए कहां, “जाओ, इन सब पंख को शहर के बीचो बीच चौराहे पर जाकर रख के आ जाओ।”
किसान ने संत के कहे अनुसार पंख रख कर आया और वापस संत के पास पहुंच गया ।अब संत ने कहा, “अब वापस वहां जाओ औऱ सारे पंख समेट कर मेरे पास ले आओ।”
किसान वापस वहां चौराहे गया, जहां उसने वो पंख रखे थे ।
लेकिन उसने जाकर देखा तो पाया कि वहां एक भी पंख नहीं बचा ।
सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ गए ।
अब किसान वापिस खाली हाथ लौट कर संत के पास आया और सारी घटना उनको बता दी ।
तब संत ने समझाया, “यही घटना तुम्हारे शब्दों के साथ भी होती हैं ।
तुम अपने मुंह से उन्हें आसानी से निकाल तो देते हो ।
लेकिन उन्हें वापस नहीं ले सकते ।
तुम वापस उस आदमी से जाकर माफी तो मांग सकते हो लेकिन उसके दिल के अंदर कहीं ना कहीं चोट जरूर लगी रहती हैं ।
जो वह कभी नहीं भूल पाएगा ।”
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ बोली की चोट गोली से भी गहरी होती है। इसलिए अपने शब्दों से किसी को चोट ना पहुंचे इसका जरूर ध्यान रखें। एक बार किसी रस्सी को तोड़ दो और वापिस जोड़ो तो उसमें एक गठान सी रह जाती है । इसलिए बोलने से पहले एक बार जरूर सोच लें। भले ही आप को गुस्सा आ रहा हो। लेकिन कुछ देर शांत रहें। पहले इसके परिणामों के बारे में सोचें और फिर कुछ बोलें। ❤
दो परिवार एक दूसरे के पड़ोस में ही रहते थे ।
एक परिवार हर वक्त लड़ता था जबकि दूसरा परिवार शांति से और मैत्रीपूर्ण रहता था।
एक दिन, झगड़ालू परिवार की पत्नी ने शांत पडोसी परिवार से ईर्ष्या महसूस करते हुए अपने पति से कहा,
“अपने पडोसी के वहा जाओ और देखो की इतने अच्छे तरीके से रहने के लिए वो क्या करते हैं।”
पति वहा गया, और छुप के चुपचाप देखने लगा ।
उसने देखा कि एक औरत फर्श पर पोछा लगा रही हैं ।
अचानक किचन से कुछ आवाज आने पर वो किचन में चली गई ।
तभी उसका पति एक रूम कि तरफ भागा ।
उसका ध्यान नहीं रहने के कारण फर्श पर रखी बाल्टी से ठोकर लगाने के कारण बाल्टी का सारा पानी फर्श पर फेल गया।
उसकी पत्नी किचन से वापिस आयी और अपने पति से बोली, “आई एम सॉरी, डार्लिंग ।
यह मेरी गलती थी कि मेने रास्ते से बाल्टी को नहीं हटाया ।”
पति ने जवाब दिया, ” नहीं डार्लिंग, आई एम सॉरी ।
क्योकि मेने इस पर ध्यान नहीं दिया ।”
झगड़ालू परिवार का पति जो छुपा हुआ था वापस घर लोट आया ।
तो उसकी पत्नी ने पडोसी की खुशहाली का राज पूछा ।
पति ने जवाब दिया, “उनमे और हम में बस यही अंतर हैं कि हम हमेशा खुद सही होने कि कोशिश करते हैं…
एक दूर को गलती के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं ।
जबकि वो हर चीज़ के लिए खुद जिम्मेदार बनते हैं और अपनी गलती मानने के लिए तैयार रहते हैं।”
दोस्तों एक खुशहाल और शांतिपूर्ण रिलेशन के लिए जरुरी हैं कि हम अपने अहंकार(Ego) को
साइड में रखे और अपने स्वयं के हिस्से के लिए व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखे ।
एक दूसरे को दोषी ठहराने से दोनों का नुकसान होता हैं और अपने रिलेशन भी खराब हो जाते हैं ।
दोस्तों परिवार में दूसरे की जीत भी अपनी जीत होती हैं ।
अगर हम बहस करके दूसरे सदस्य को नीचा दिखा दे, ये उसकी हार नहीं बल्कि आपकी हार हैं ।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ परिवार को तोडना नहीं जोड़ना सीखे, ऐसा करने से आप एक खुशहाल और शांति पूर्ण परिवार का हिस्सा बन जायेंगे । ❤
एक बार की बात हैं एक शहर में एक बहुत ही मशहूर चित्रकार रहता था ।
एक दिन उस चित्रकार ने एक बहुत खूबसूरत तस्वीर बनाई और
उसे शहर के बीच चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिखा कि जिसको जहाँ भी इस तस्वीर में कोई कमी नजर आये तो वो वहाँ निशान लगा दे।
जब शाम को चित्रकार वापस वहां गया और तस्वीर देखी ।
वो स्तब्ध रह गया क्योंकि उसकी पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी ।
उसे यह सब देखकर बहुत दुख हुआ ।
उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे ।
वह दुःखी बैठा हुआ था ।
तभी चित्रकार का एक दोस्त वहाँ से गुजरा ।
उसके दोस्त ने पूछा,”दोस्त क्या हुआ, इतना दुखी क्यो बैठे हो ।”
तब चित्रकार ने सारी घटना दोस्त को बता दी ।
तब दोस्त ने कहा,”एक काम करो कल एक ओर तस्वीर बनाना और उस पर लिखना कि जिसको
भी इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी दिखे, उसे सही कर दे।”
अगले दिन चित्रकार ने ऐसा ही किया ।
उस शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया, तस्वीर वेसी की वेसी थी।
अब चित्रकार संसार की रीति समझ चुका था ।
वह जान गया कि “कमी निकालना, निंदा करना, दुसरो की बुराई करना आसान हैं लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यधिक कठिन होता हैं।”
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ दोस्तो हमे अपनी एनर्जी को दूसरों की बुराई करने में या उनमे कमिया निकलने में बर्बाद नही करना चाहिए। अपनी एनर्जी को रचनात्मक कार्यो में लगाये । अगर कमिया निकालनी ही है तो अपनी कमिया निकालो ओर उन्हें दूर करने का प्रयास करो । ❤
बहुत समय पहले कि बात हैं, एक बार एक राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा लेने की सोची ।
उसने एक बड़ा सा पत्थर रास्ते में रख दिया ।
और खुद कही दूसरी जगह चुप गया और देखने लगा कि कोई इस पत्थर को हटाता हैं या नहीं ।
बहुत सारे लोग रास्ते से गुजरे लेकिन किसीने उस पत्थर को नहीं हटाया।
कई लोगो ने तो राजा को गालिया दी और कहा कि राजा सड़क को साफ़ रखने के लिए कुछ भी नहीं करता हैं।
राजा के करीबी भी उस रास्ते से गुजरे लेकिन उन्होंने भी पत्थर को नहीं हटाया।
तभी एक किसान उधर से निकला ।
उसके पास बहुत भारी सामान भी था ।
लेकिन उसने अपने सामान को साइड में रखा और उस भारी पत्थर को धक्का मारने में लग गया ।
कुछ देर तक कोशिश करने के बाद आख़िरकार उसने पत्थर को साइड में कर दिया।
वापिस जब वो अपना सामान उठाने गया तो देखा कि जहा से पत्थर हटाया था वहा एक छोटा सा बेग पड़ा था।
उसने बेग उठाया और खोला ।
उसने देखा कि बेग में बहुत सारे सोने के सिक्के और राजा का एक सन्देश लिखा हुआ था ।
सन्देश में लिखा हुआ था कि यह बेग उस व्यक्ति के लिए जिसने पत्थर को हटाया हैं ।
किसान बहुत खुश हुआ और अपने घर जाके सबको वो बैग दिखाया और सारी बात भी बतायी ।
उनके बच्चे भी बहुत खुश हुए । दोस्तों हमारे रास्ते में भी बहुत सारी बाधाएं आती हैं। हमे भी शिकायत करना छोड़ कर बाधाओं को हटाकर अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहिए।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ जरुरी नहीं कि कोई देख रहा हो तभी अच्छे काम करे। जब भी मौका मिले उदार भावना से सेवा करे, आपको इतनी ख़ुशी मिलेगी कि आप सोच भी नहीं सकते। ❤
एक दिन एक आदमी ने अपनी ज़िंदगी से परेशान होकर आत्महत्या करने का मन बना लिया ।
उसको ओर जीने का कोई मतलब नहीं दिख रहा था ।
उस आदमी ने लास्ट बार भगवान् से बात करने की ठानी ।
उसने भगवान् से पूछा, ” प्यारे भगवान, मुझे कोई एक अच्छा सा कारण बता सकते हो आत्महत्या नहीं करने का”
भगवान ने जवाब दिया, “अपने आसपास देखो ।
क्या तुम घास ओर बांस को देख रहे हो ?”
“जी, बिलकुल देख रहा हूँ” आदमी बोला ।
भगवान् बोले, “जब मेने घास ओर बांस के बीज बोये थे, मेने उनकी बड़ी देखभाल की।
मैने प्रकाश दिया। मैने पानी सींचा।
घास बहुत जल्दी जमीन से निकल कर बढ़ने लगी।ओर जल्दी ही जमीन को हरी भरी कर दिया
लेकिन बांस के बीज से अभी कुछ भी नहीं निकला।फिर भी मैने उस पर हार नहीं मानी । में लगातार पानी देता रहा ।
दूसरे साल घास बहुत ही अच्छी ओर भरपूर हो गई ।
लेकिन बांस के बीज से कुछ नहीं निकला । मेने फिर भी उस पर हार नहीं मानी ।
तीसरे साल भी बांस के बीज से कुछ नहीं निकला ।
तभी चौथे साल जमीन से एक छोटा अंकुर उभरा । घास के मुकाबले ये कुछ भी नहीं था, यानि की ये बहुत छोटा था।
लेकिन सिर्फ 6 महीनो में बांस 100 फ़ीट तक लम्बा हो गया।इसने अपनी जड़ो को फैलाने ओर मजबूत बनाने में 3 साल लगाए ।
इन जड़ो ने बांस को मजबूत बनाया ओर वो दिया जो इसको जीवित रहने के लिए जरुरी था।”भगवान ने आगे ओर कहा, “प्यारे बालक, में अपने किसी भी जीव को या रचना को इतनी चुनोतिया ही देता हूँ जो वो सहन कर पाए।“
“क्या तुम जानते हो, अभी जो भी तुम चुनोतियो का सामना कर रहे हो, वो वास्तव में तुम्हे अपनी जड़ो को मजबूत करने के लिए हैं।“
“मैने जिस प्रकार बांस की देखभाल नहीं छोड़ी, उसी प्रकार में तुमको भी अकेला नहीं छोडूंगा ।“
“अपने आप की किसी से तुलना मत करो । बांस का घास की तुलना में एक अलग उद्देश्य हैं । फिर भी वे दोनों जंगल को सुंदर बनाते हैं।“
“तुम्हारा समय भी आने वाला हैं और मुझे पता हैं यह जरूर आएगा ।
तुम बहुत ऊपर उठोगे”, भगवान् ने उस आदमी से कहा ।“कितना ऊपर में उठ सकता हूँ” उस आदमी ने पूछा ।
“जितना तुम चाहो उतना । और महान बनके मेरी शोभा बढ़ाओ ।” भगवान् ने कहा ।
वो आदमी वापस आ गया। और दुगुने उत्साह के साथ अपनी जड़े मझबूत करके महान बन गया।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ कभी हार नहीं माने…कभी नहीं…कभी भी नहीं। ❤
एक अमीर आदमी था ।
उसने कड़ी मेहनत करके ढेर सारी दौलत इक्कठी की ।
ताकि उसके रिटायर होने के बाद भी ऐशो आराम से रह सके ।
लेकिन इसी बीच यमदूत जी आ गए और वो बोले, “सेठ जी, आपका समय अब समाप्त हो गया हैं आपको मेरे साथ चलना होगा।”
सेठ ने सोचा कि मैं बहुत अमीर आदमी हूँ, तो ठीक हैं, मैं कुछ समय खरीद लेता हूँ यमदूत से, चाहे कितनी भी कीमत लगे ।
सेठ से यमदूत से बोलै तो यमदूत ने साफ़ मना कर दिया ।
काफी समय तक मिन्नते करने के बाद भी यमदूत टस से मस नहीं हुआ ।
आखिरकार सेठ ने लास्ट प्रस्ताव रखा कि मेरी सारी दौलत ले लो
और मुझे मेरी ज़िन्दगी का एक घंटा दे दो ।
ताकि मैं प्रकृति की तारीफ कर सकू और मैं अपने घरवालों और दोस्तों के साथ कुछ वक्त बीता सकू क्योकि मैं उनसे बहुत समय से मिला नहीं हूँ ।
लेकिन यमदूत ने फिर मना कर दिया ।
आखिर में, सेठ ने यमदूत से कहा कि मुझे केवल एक मिनट दे दो ताकि मैं एक गुडबाय नोट लिख सकू ।
यमदूत ने ये बात मान ली और एक मिनट का समय दे दिया
उसने नोट लिखा -“अच्छा समय बिताओ, जो तुम्हे मिला हैं । अपनी सारी दौलत से अपनी ज़िन्दगी का एक घंटा भी नहीं खरीद सका । तो तुम कमाने के साथ साथ अपनी ज़िन्दगी पूरी तरह से जिओ । अपने दिल की सुनो । अपने चारो ओर एक बेहतर वातावरण का निर्माण करो। अपने ज़िन्दगी के हर मिनट को ज़िंदादिली से जिओ ।”
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ अपनी ज़िन्दगी पूरी तरह से जिओ हमेशा अपने दिल की सुनो। और अपने जिंदगी का हर पल को खुश होके जियों । ❤
एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रास्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ ।
भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो,
कर्मवश सांप होने से क्या हुआ, यह भी तो एक आत्मा है ।
तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?”
व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे काटेगा ही,
अगर तुम सांप को नहीं मारोगे, तो वह तुम्हें क्यों काटेगा/
ग्रामीण संत एकनाथ का काफी सम्मान करते थे, इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया ।कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे ।
तभी उन्हें रास्ते में सामने फन फैलाए एक सांप दिखाई दिया ।
संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की ।
लेकिन वह टस से मस न हुआ ।
आख़िरकार एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए ।
उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था ।
अगर सांप ने रास्ता न रोका होता, तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कब के समां चुके होते ।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ दया और परोपकार हमेशा आपके पर लौटकर आते हैं और अच्छा फल ही देंगे। ❤
एक बार की बात है, एक राजा तलवारबाजी कर रहा था
तो अचानक से उसके अंगुली में कट लग गया ।
तो पास खड़े मंत्री अचानक बोल उठे, “राजा साहब चिंता ना करें ।
जो होता है अच्छे के लिए होता है ।”
यह सुनते ही राजा को गुस्सा आ जाता हैं ।
राजा उस मंत्री को कारागृह में बंद करने का आदेश दे देता है
और बोलता है इसको फांसी पर चढ़ा दिया जाए ।
यह सुनकर मंत्री घबरा गया, उसने राजा से निवेदन किया, ” महाराज! मैंने आपके यहां इतने वर्षों तक काम किया है।
क्या आप मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं करेंगे ?”
राजा बोला,” ठीक है बताओ क्या है तुम्हारी अंतिम इच्छा ?”
मंत्र बोला, “कृपया मुझे 10 दिन का समय दीजिए ।
उसके उसके बाद आप मुझे जो चाहे वो सजा दे दीजिए ।”
राजा ने उसकी अंतिम इच्छा मान ली।
राजा दूसरे दिन अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार पर निकला ।
जंगल के बीच में राजा अपने सैनिकों से बिछड़ गए और रास्ता भटक गए ।
रास्ता ढूंढते हुए राजा वनवासियों के बीच पहुंच गए, जो बली देने के लिए किसी को ढूंढ रहे थे ।
वनवासियों ने राजा को पकड़ लिया और वन की देवी को बली देने के लिए ले गए।
बली देने की सारी तैयारियां पूरी हो गई ।
जैसे ही राजा को बली देने के स्थान पर ले जाया गया, वहा खड़े बुजुर्ग की नजर राजा की खंडित अंगुली पर पड़ी ।
उसने आवाज लगाई कि ये तो खंडित हैं, इसकी बली नही दी जा सकती ।
तो वनवासियों ने राजा को छोड़ दिया ।
राजा जैसे तैसे वहा से निकला और अपने राज्य पहुंचा ।
सबसे पहले कारागृह में अपने मंत्री से मिलने पहुंचा।
राजा ने मंत्री से कहा,”आपने सही कहा था अगर मेरी अंगुली नही कटी होती तो मैं जिंदा नही होता, यानी जो होता है वो अच्छे के लिए होता हैं।”
राजा ने फिर पूछा,”मेरा तो फायदा हुआ लेकिन आपका कैसे फायदा हुआ । मैंने तो आपको सजा दी ।”
मंत्री बोला, “मैं आपके साथ शिकार पर हमेशा रहता हूं, उस दिन भी रहता, लेकिन मेरे खंडित नहीं होने के कारण मेरी बली चढ़ जाती ।
इसलिए मेरे साथ भी जो हुआ अच्छा हुआ।”
राजा प्रसन्न हुआ लेकिन छोटी सी बात पर मंत्री को सजा देने का दुख भी हुआ ।
इसलिए राजा ने मंत्री को कारागृह से निकल कर फिर से अपने साथ रख लिया ।
कहानी की नीति (Moral Of The Story) ➡ ❤ दोस्तो अपने जीवन में भी बहुत से उतार चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कभी कुछ चीज़ें मन मुताबिक नहीं होती हैं। इस कारण से कभी निराश नहीं होना चाहिए । ❤