Bhoot Pret Or Aatma Ka Rahasya | क्या भूत प्रेत व आत्माओं का अस्तित्व है? | भूत प्रेत व आत्माओं का रहस्य

Bhoot Pret Or Aatma Ka Rahasya | क्या भूत प्रेत व आत्माओं का अस्तित्व है? | भूत प्रेत व आत्माओं का रहस्य

भूत प्रेत व आत्माओं का अस्तित्व का रहस्य - विश्व-प्रसिद्ध अनसुलझे रहस्य


क्या भूत प्रेत व आत्माओं का अस्तित्व है ?
हैरी प्राइस नामक व्यक्ति ने पहली बार 40 वर्ष लगातार कोशिश करके भूतों और आत्माओं को गिरफ्तार करने की चेष्टा की थी।
स्पिरिट फोटोग्राफरों ने आत्माओं के चित्र खींचकर भूतों के अस्तित्व को सिद्ध करने का अनथक प्रयास किया है।
कनाडा के एक दल ने तो फिलिप्स नामक एक नकली भूत का ही निर्माण कर डाला।
इन सब प्रयासों के बाद भी आज तक भूतों-प्रेतों के अस्तित्व को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं किया जा सका है।
जब भी भूतों पर विश्वास करने वालों के कथनों की जांच की गई तो उसके पीछे या तो धोखाधड़ी निकली या कोई मानसिक रोग ।
विज्ञान ने बार-बार इस तरह की धारणाओं का खण्डन किया है।
फिर भी हर बार आम जनता के बीच इस तरह की घटनाएं घटती रहती हैं, जो घुमा-फिराकर भूतों के अस्तित्व को सिद्ध करती हैं।
ऐसा क्यों होता है?
विश्व के प्रत्येक देश में भूत और आत्माओं के देखे जाने अथवा उनसे मुलाकात की घटनाओं का संबंध उस देश की संस्कृति तथा धार्मिक मिथकों में पाया गया है।
भूत-प्रेत और आत्माओं का अस्तित्व अधिकांशतः दृष्टांतों पर टिका हुआ है।
मस्तिष्क, शरीर, जीवन और मृत्यु के संबंध में विज्ञान द्वारा अनुत्तरित कई प्रश्नों में से एक प्रश्न यह भी है कि क्या वास्तव में जीवित मनुष्य मृतकों के भूत देखते हैं? क्या यह यथार्थ में संभव है? क्या इस प्रश्न का तथ्यात्मक उत्तर खोजा जा सकता है?
मनोरोग विज्ञान (Psychiatry) विज्ञान की ऐसी शाखा है, जिसने इस समस्या के समाधान की चेष्टा की है।
इसके अनुसार भूत-प्रेत और आत्माएं विविध अचेतन इच्छाओं, अपराध बोध तथा कल्पनाशक्ति की उपज होते हैं।
दरअसल हम अपने अचेतन मस्तिष्क द्वारा सचेतन मस्तिष्क पर डाले जाने वाले प्रभाव से इतने प्रभावित होते हैं कि किसी अकेलेपन की शिकार विधवा को अपने मृत पति की छवि खिड़की में दिखाई पड़ सकती है या परेशान व्यक्ति को संकटकाल में अपने प्यारे मां-बाप का दुलार करता भूत दिखाई पड़ सकता है।
मनोरोग विज्ञान की यह परिभाषा उस समय काम नहीं देती, जब ऐसे व्यक्तियों की ऐसे भूतों से मुलाकात होने की खबरें मिलती हैं, जिनका उनसे न पहले से परिचय होता है
और न ही जिनका उनके जीवन में कोई महत्व होता है।

इस चित्र को फोटोग्राफर ने अपनी मां की कब्र के पास खींचा था।
चित्र में कार की पिछली सीट पर मां की आत्मा दिखाई पड़ रही है।

चर्च ऑफ इंग्लैण्ड के पादरी जे. बी. फिलिप्स (J. B. Phillips) ने सन् 1963 में स्वर्गीय सी. एस. लेविस (C. S. Lewis) का भूत दो बार देखा तथा दोनों बार इस भूत ने उन्हें एक ऐसा संदेश दिया, जो उन्हें तत्कालीन संकट से उबार सकता था। लेविस से फिलिप्स की केवल एक बार भेंट हुई थी। वे दोनों केवल पत्र-व्यवहार से ही परिचित थे। अमेरिकी लेखक नेथेनिअल हौथोर्न (Nathaniel Hawthorne) के घर में पादरी डा. हेरिस (Dr. Harris) का भूत आता था,
जबकि दोनों एक दूसरे से ठीक से परिचित भी नहीं थे।
हौथोर्न ने डा. हैरिस के भूत को पुस्तकालय में बैठकर शांतिपूर्वक अध्ययनरत भी देखा लेकिन वे
उससे बात करने का साहस नहीं जुटा पाए क्योंकि उन्हें डर था कि आस-पास बैठे लोग उन्हें खाली कर्सी से बात करते हुए देख कर हंसेंगे।
जाहिर था कि भूत केवल उन्हीं को दिखाई दे रहा था।
इंग्लैंड के अत्यंत प्राचीन भवनों में भूतों के रहने की खबरें अक्सर मिलती रहती हैं।
सन् 1969 में टाम कारबेट (Tom Corbett) के ब्रेडे स्थित पुराने घर की जांच करके यह सिद्ध करने की कोशिश की थी कि उस मकान में दो पुरुषों व एक स्त्री के भूत रहते हैं।
इन्हीं दिनों 3 वर्षीय मार्गरेट शेरिडान (Margarate Sheridan) ने अपने पिता के फ्रेम्पटन (Frampton) नामक घर में नाविक के कपड़े पहने हुए एक बालक का भूत देखा था।
इस तरह के भूत देखने या आत्माओं से मुकाबला होने की विश्वसनीय-सी प्रतीत होने वाली कहानियां समाचारपत्रों एवं पुस्तकों के
पृष्ठों में बिखरी पड़ी हैं।
सन् 1948 में अपनी मृत्यु से पूर्व विख्यात 'गॉस्ट हण्टर' (Ghost Hunter) हैरी प्राइस (Harry Price) ने भूतों का अस्तित्व तकनीकी और वैज्ञानिक तरीकों से

भूतों के शिकारी हैरी प्राइस अपने आधुनिक यंत्रों के साथ ।
साबित करने की चेष्टा की थी।
सन् 1863 में बने एक बोर्ले रेक्टरी (Borley Rectory) नामक पुराने ब्रिटिश घर में रहने वाली एक नन, एक सिर कटे व्यक्ति, एक बग्घी तथा घोड़े व पादरी
रिवरेण्डबुल के भूतों को पकड़ने के लिए हैरी प्राइस ने स्टील का नपना टेप (जिससे दीवालों की मोटाई तथा गुप्त कमरों का रहस्य जाना जा सके),
स्टिल फोटोग्राफी का एक कैमरा (जिससे इनडोर तथा आउटडोर फोटोग्राफी की जा सके), एक रिमोट कंट्रोल से चलने वाला मूवी कैमरा,
उंगलियों की छाप लेने वाला उपकरण तथा अन्य जांचकर्त्ताओं से तुरंत सम्पर्क किए जाने के लिए एक पोर्टेबिल टेलीफोन का प्रयोग किया।
हैरी प्राइस ने 48 साथियों के साथ बोर्ले रेक्टरी नामक इस घर में भूतों-प्रेतों के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए प्रयोगशाला बना डाली।
प्राइस ने सन् 1940 में अपनी पुस्तक 'द मोस्ट हॉटिड हाउस इन इंग्लैण्ड (इंग्लैण्ड का सर्वाधिक भूत-ग्रस्त मकान) में अपने प्रयोगों का निष्कर्षे प्रकाशित किया।
प्राइस को आज भी उनकी 40 वर्षीय भूत साधना के लिए जाना जाता है।
उनके आलोचकों ने उनके ऊपर आरोप लगाया कि उन्होंने मनगढंत तथ्यों को सामने रखा है।
उक्त मकान में रहने वाले पादरी युगल स्मिथ द्वारा उनके मकान में भूत होने की सूचना पर हैरी प्राइस ने उस मकान मैं पहली बार डेरा जमाया था।
स्मिथे की पत्नी नै प्राइस की मृत्यु के बाद कहा कि उन्हें या उनके पति को इस बात का कभी विश्वास नहीं था कि उनका घर भुतहा हो चुका है।
सन् 1956 में तीन खोजकर्ताओं ने प्राइस के प्रयोगों की जांच करके तथा भुतहे घर से संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार लेकर साबित कर दिया कि


प्राइस ने भूतों के सबूत 'येन केन प्रकारेण' कृत्रिम तरीकों से जुटाए थे।
बहरहाल, हैरी प्राइस का प्रयास भूतों को आधुनिक तकनीक द्वारा सिद्ध करने का सबसे प्रसिद्ध प्रयास माना जाता है।
इस विषय से संबंधित दसरी विवादास्पद परिघटना है 'स्पिरिट फोटोग्राफी' (Spirit Photography) कैमरे से खींची गई
किसी फिल्म में यदि धोने के बाद एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभर आए, जिसकी तस्वीर नहीं खींची गई थी,
उसे स्पिरिट फोटोग्राफी का नाम दिया जाता है।
भूतों के पहले से ही विवादग्रस्त विषय में इस परिघटना ने और भी अधिक विवाद जोड़ दिए हैं।
सन् 1860 में स्पिरिट फोटोग्राफी का जन्म हुआ।
इस फोटोग्राफी के अधिकांश उदाहरण जालसाजी के परिणाम साबित हुए हैं।
कई बार यह सिद्ध हो चुका है कि स्पिरिट फोटोग्राफर गुप्त लेंसों का डबलएक्सपोजर करके मृत चित्रों या संबंधियों की मुखाकृति से मिलते-जुलते चित्र बना देते हैं।
इस संबंध में सबसे प्रामाणिक उदाहरण अब्राहम लिंकन की पत्नी मेरी टॉड लिंकन (Mary Tod Lincoln) का माना जाता है।
विलियम मम्लर (Mumler) नामक स्पिरिट फोटोग्राफर ने जब उनकी तस्वीर

खींची तो साथ में उनके स्वर्गीय राष्ट्रपति पति का चित्र भी खिंच गया था।
इस प्रकरण के बाद भी स्पिरिट फोटोग्राफी की सच्चाई को आज तक निर्विवाद रूप से साबित नहीं किया जा सका है।
हैरी प्राइस के प्रयोगों तथा स्पिरिट फोटोग्राफी के अलावा भूतों के अस्तित्व को साबित करने का एक तीसरा प्रयास सन् 1970 में टोरण्टों सोसाइटी फॉर फिजिकल रिसर्च, कनाडा के एक दल ने किया। इस दल के वैज्ञानिक सलाहकार थे डा. ए. आर. जी. ओवॅन (A. R. G. Owon) जो वैज्ञानिक होने के साथ-साथ मनोचिकित्सा में शोध भी कर रहे थे।
इस ग्रुप के प्रयासों के परिणाम 'कंज्योरिंग अप फिलिप' (Conjuring up Phillip) नामक पुस्तक में दिए गए हैं।
5 महिलाओं और 3 पुरुषों के इस दल ने वास्तव में एक नकली व्यक्ति फिलिप की कहानी गढ़ी और उस नकली व्यक्ति की आत्मा बुलाने की कोशिश की,
जो सीधे-सीधे उनकी कल्पना की उपज था।
यह एक भूत की रचना करने की अद्भुत कोशिश थी ।
पुस्तक के अनुसार एक बार इस दल के सदस्य एक कमरे में काल्पनिक फिलिप का चित्र रख कर पुराने जमाने के विक्टोरियन आध्यात्मवादियों की भांति फिलिप की आत्मा बलाने की कोशिश कर रहे थे कि आत्मा वास्तव में अचानक आ गई।
उनकी मेज को किसी ने खटखटाया तथा सभी ने एक कम्पन का अनुभव किया।
इसके बाद ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेज पर प्रहार किया हो।
पहले तो उन लोगों ने समझा कि उनकी स्वयं की आकस्मिक हरकतों से ये सब घटनाएं हो रही हैं लेकिन जब उनकी मेज कमरे में उल्टे-सीधे तरीके से घूमने लगी, उनमें से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया- "क्या फिलिप ही यह सब कर रहा है?" इसके उत्तर में उन्हें जोर की खटखट सुनाई पड़ी।
उनके काल्पनिक भूत का जन्म हो चुका था।
एक खटके को 'हां' और दो खटकों को 'नहीं' मान कर इस ग्रुप ने अपनी उस भुतही संतान से खब बातें कीं।
इसमें मजे की बात यह थी कि भत से सवाल पछने वाले के मेज पर रखे हुए हाथ के नीचे से ही उसके उत्तर में खटके की आवाज होती थी।
इस दल की सदस्या श्रीमती ओवॅन ने बाद में दावा किया कि इन जवाब सवालों के पीछे कोई आत्मा न हो कर गुट के सदस्यों का अवचेतन और एकाग्रता ही थी।
लेकिन श्रीमती ओवॅन ने इस अवचेतन के भौतिक अस्तित्व की जानकारी करने की कोशिश पर भी जोर दिया।
फ्रांस के एक फार्म में सन् 1979 के माह में 80 बार रहस्यमय आग लग चुकी है।
फार्म के मालिक लाहोर (Lahor) परिवार का दावा है कि उस आग के पीछे बुरी आत्माओं का हाथ है।
प्रेत-ग्रस्त घरों, टूटते हुए बर्तनों, डरावनी आवाजों, रहस्यमय रोशनियों, स्पिरिट फोटोग्राफी, नकली भूतों, प्लेनचेट पर आत्माएं बुलाने,
पुराने तहखानों में आने वाली फौजी कवायद की आवाजें, गलियों में घूमते हुए पुराने जमाने के सैनिक

घुड़सवारों, समुद्र में डूब चुके जहाजों का फिर से दिखाई देने से संबंधित विचित्र घटनाओं की कहानियों पर आज तक काफी कुछ लिखा जा चुका है
लेकिन भूत का अस्तित्व अभी तक तथ्यात्मक रूप से प्रमाणित नहीं हो पाया है।
भूतों के अस्तित्व में विश्वास करने वाला सबसे मजबूत तर्क यह है कि जिस तरह आग का अस्तित्व है,
उसी तरह भूतों का अस्तित्व भी है।
आग न तो कोई तत्व है, न गति का नियम है, न जीवित प्राणी है और न ही कोई बीमारी है फिर भी वह संक्रामक है।
इसी तरह भूत भी हैं।
यदि हम आग पर विश्वास कर सकते हैं तो भूत पर क्यों नहीं कर सकते?