बहुत समय पहले एक मिल मालिक अपने तीन बेटों के साथ रहता था।
जब वह हो गया तो बीमार रहने लगा।
एक दिन उसने अपने तीनों बेटों को बुलाकर कहा,“बच्चो ! तुम मुझे देख ही रहे हो!
मैं अक्सर बीमार रहता हूँ और कमजोर भी हो गया हूँ।
अब मुझे लगता है, मैं नहीं बचूँगा, इसलिए मेरे पास जो भी है
, वो तुम तीनों में बाँटना चाहता हूँ।
मेरे पास तुम्हें देने के लिए सिर्फ तीन चीजें हैं।''
उसने सबसे बड़े बेटे को मिल, दूसरे बेटे को गधा और सबसे छोटे बेटे को बिल्ला दिया।
तीनों बेटों में बँटवारा करने के बाद मिल मालिक चल बसा।
मिल मालिक के दोनों बड़े बेटे तो अपने-अपने हिस्से आए सामान से खुश थे,
लेकिन छोटा बेटा खुश नहीं था।
वह खुद से बोला, “मेरे दोनों भाई तो गधे और मिल से अपना जीवन चला लेंगे,
लेकिन मैं इस बिल्ले का क्या करूँगा?
यह तो मेरे किसी काम
का नहीं है। यदि मैं इसे बेचूँगा भी तो मुझे दो-चार रुपए ही मिलेंगे।
मेरे दोनों भाई बड़े किस्मत वाले हैं। मेरी ही किस्मत फूटी थी।”
बिल्ले ने उसकी बात सुन ली। वह बोला, “मालिक !
आप निराश न हों।
बस, आप मेरे लिए एक जोड़ी बूट, एक कोट, एक हैट व शिकार करने वाला थैला ले आइए।
फिर देखिए, मैं कैसे आपको धनी बनाता हूँ।”
मिल मालिक का बेटा आश्चर्यपूर्वक बिल्ले को देखता रह गया।
उसे अपनी आँखों और कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई बिल्ला बोल भी सकता है ।
वह बोला,‘“ठीक है। मैं तुम्हारी बातों पर विश्वास कर लेता हूँ।"
फिर उसने बिल्ले को दुकान से जूते, कपड़े और हैट दिलवाया।
बिल्ले ने कोट, बूट और हैट पहने तो उसका कायाकल्प हो गया।
मिल मालिक के बेटे ने उससे पूछा,“ भला तुम्हारे इन कपड़ों का मेरे अमीर बनने से क्या रिश्ता है?"
“मालिक! आप तो बस देखते जाइए कि मैं क्या करता हूँ।"
बिल्ले ने कहा, "लेकिन मालिक अपना काम शुरू करने से पहले मुझे शिकार पकड़ने के लिए
एक बोरे की जरूरत पड़ेगी।"
"बोरा तुम्हें मिल में मिल जाएगा।
तुम वहाँ से एक बोरा उठा लाओ।"
बिल्ला तुरंत मिल में गया और एक बोरा उठा लिया।
बोरे के साथ ही उसने कुछ अनाज भी उठा लिया।
बोरा लेकर वह सीधे जंगल गया। उसने एक पेड़ के नीचे
बोरे का मुँह खोलकर उसे बिछा दिया।
और बोरे के मुँह पर अनाज के दाने बिखेर दिए और खुद झाड़ियों के पीछे जाकर छिप गया।
थोड़ी देर में वहाँ तीन तीतर आए।
जब उन्होंने अनाज के दाने देखे तो वे उन्हें खाने के लिए बोरे की ओर बढ़े।
जब तीतर दाने खाने में व्यस्त हो गए तब बिल्ला झाड़ियों से निकलकर वहाँ आया और उसने तीतरों को मार डाला।
फिर उसने उन्हें बोरे में बंद किया और बोरा कंधे पर उठाकर चल पड़ा।
वह बोरा लेकर सीधे राजा के महल गया।
उसने पहरेदारों से कहा, "मैं राजा से मिलना चाहता हूँ।
मैं उनके लिए स्वादिष्ट भोजन लेकर आया हूँ।"
पहरेदारों ने बिल्ले को अंदर जाने दिया।
बिल्ले ने राजा के समक्ष पहुँचकर अपना हैट उतारकर सिर झुकाकर उनका अभिवादन करते हुए कहा,
“महाराज ! मेरे मालिक कारबा के मार्क्सिस ने आपके भोजन के लिए तीतर भेजे हैं।
उनकी यह भेंट स्वीकार करें ।"
हालाँकि राजा ने कारबा के मार्त्विस का नाम पहली बार सुना था।
लेकिन उसने इस बारे में बिना कोई सवाल-जवाब किए बिल्ले से कहा, “अपने मालिक को
_मेरी तरफ से धन्यवाद कहना। और तुम मेरे खजाने से जितना धन अपने बोरे में
भरकर ले जा सकते हो, ले जाओ।"
बिल्ले ने स्वर्ण मुद्राओं से अपना थैला भरा और उसे लेकर अपने मालिक के पास लौट आया।
उसने बोरे का सारा धन मिल मालिक के बेटे के सामने उड़ेल दिया।
इतना सारा धन देखकर युवक को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
वह हैरानी से बोला, “मेरे प्यारे बिल्ले! मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि इतना सारा धन हमारा है ।
मैं तुम्हारी जितनी तारीफ करूँ, उतनी कम है।”
“मालिक। यह तो बस शुरूआत है ।
आगे-आगे देखिए होता है क्या?"
अगले दिन बिल्ले ने ठीक पहले दिन की तरह ही तीन खरगोश पकड़े और उन्हें राजा की सेवा में दे आया
और बदले में धन ले आया। इसी प्रकार बिल्ला कुछ दिनों तक राजा की सेवा में शिकार प्रस्तुत करता रहा
और बदले में धन व प्रशंसा बटोरता रहा।
बिल्ले के इस अद्भुत काम से उसका मालिक बहुत खुश था।
एक दिन बिल्ले ने सुना कि राजा अपनी पुत्री के साथ नगर भ्रमण पर निकलने वाले हैं।
बस, फिर क्या था? उसने तुंरत एक योजना बना डाली ।
वह दौड़ता हुआ अपने मालिक के पास पहुँचा और बोला, “मालिक! आज
दोपहर को आप नदी पर स्नान करने जाएंगे और
मैं आपके कपड़े घनी झाड़ियों में छुपा दूँगा,
जिससे वे किसी को भी नजर न आएँ।
और हाँ, मेरा इशारा मिलते ही आप नदी में हाथ-पैर मारने के साथ ही बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगना।”
“तुम क्या बोल रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।''
मिल मालिक के बेटे ने हैरानी से कहा ।
" आप वैसा कीजिए, जैसा मैं कह रहा हूँ। बाकी सब मुझ पर छोड़ दीजिए।"
दोपहर में बिल्ला मिल मालिक के बेटे को लेकर नदी पर पहुँचा।
उसने उसे नदी में उतरने को कहा।
फिर जैसे ही राजा का रथ नदी के पास आता दिखा, बिल्ले ने उसे इशारा कर दिया और खुद चिल्लाने लगा,
“बचाओ-बचाओ! कारबा के मार्व्विस डूब रहे हैं।''
और इधर बिल्ले का इशारा मिलते ही मिल मालिक का बेटा नदी से बाहर निकलने के लिए
अपने हाथ-पाँव मारने के साथ ही सहायता के लिए चिल्लाने लगा।
राजा ने जब बिल्ले की आवाज सुनी तो उसने अपने रथ की खिड़की से बाहर झाँककर देखा।
वह बोला, “लगता है यह वही व्यक्ति है जो मेरे लिए स्वादिष्ट- स्वादिष्ट भोजन भेजता है।
सैनिको, तुरंत जाओ और उसे बचाओ।"
सैनिकों ने मिल मालिक के बेटे को तुरंत नदी से बाहर निकाला।
वह ठंड से काँप रहा था।
फिर बिल्ला राजा के रथ के पास गया और राजा का अभिवादन करने के बाद बोला.
"महाराज ! मेरे मालिक की तो किस्मत ही खराब है।
वे जब यहाँ से गुजर रहे थे, तभी कुछ लुटेरे आए और उन्होंने हमारा सब कुछ लूट लिया।
रथ, पैसे यहाँ तक कि मेरे मालिक के वस्त्राभूषण भी।
लूटने के बाद उन्होंने मालिक को नदी में फेंक दिया।
यदि आज आप समय पर न आते तो पता नहीं क्या हो जाता।"
यह सुनकर राजा ने अपने सैनिकों को तुरंत राजमहल
भेजकर मिल मालिक के बेटे के लिए कपड़े मँगवाए।
सैनिक महल जाकर कपड़े ले आए।
मिल मालिक के बेटे ने जब वे राजसी कपड़े पहनें तो वह उनमें बहुत ही सुंदर और आकर्षक लग रहा था,
एकदम राजकुमार की तरह। फिर राजा ने कहा, “
आइए कारबा के मर्व्विस, हम आपको छोड़ देते हैं। "
‘धन्यवाद महाराज।'' कहकर मिल मालिक का बेटा राजा के रथ में बैठ गया।
जब राजकुमारी ने उसे देखा तो वह उससे प्रेम करने लगी। मिल मालिक का बेटा
भी राजकुमारी की सुंदरता पर मोहित हो गया।
अब राजा का रथ आगे बढ़ चला।
बिल्ला रथ में बैठने के बजाए रथ के आगे-आगे भागने लगा।
वह आगे-आगे चलता हुआ एक बड़े-से खेत में पहुँचा।
वहाँ पर बहुत सारे किसान काम कर रहे थे।
वह किसानों के पास गया और बोला, "तुम सब मेरी बात ध्यान से सुनो !
अभी थोड़ी देर में राजा का रथ यहाँ से होकर गुजरेगा।
यदि वे तुमसे पूछें कि ये खेत किसका है तो कहना कि कारबा के मार्व्विस का।
यदि तुमने मेरी बात नहीं मानी तो समझो कि तुम्हारी खैर नहीं।
हाँ, नाम याद करना। जरा एक बार मुझे नाम तो बताओ।"
सभी किसान एक साथ बोले, “कारबा के मासि । "
फिर बिल्ला आगे बढ़ गया।
वह दौड़ते-दौड़ते एक मक्के के खेत में पहुँचा।
वहाँ पर कुछ मजदूर काम कर रहे थे।
उसने उनसे कहा, "अभी कुछ देर में यहाँ से होकर राजा का रथ गुजरेगा।
खेत के मालिक के बारे में पूछने पर तुम कहना कि ये खेत कारबा के मार्क्सिस के हैं।
यदि तुमने ऐसा नहीं कहा तो मैं तुम्हें ऐसी सजा दूँगा कि तुम याद करो।”
मजदूर बिल्ले की धमकी सुनकर डर गए। वे बोले,“हम वैसा ही कहेंगे, जैसा
तुम कह रहे हो।"
बिल्ला खुश होकर आगे बढ़ चला।
वह दौड़ते हुए एक महल में पहुँचा।
वह महल एक दुष्ट जादूगर का था।
उस जादूगर को रूप बदलने की जादुई शक्ति प्राप्त थी।
बिल्ला यह बात अच्छी तरह जानता था।
बिल्ला जब महल के अंदर पहुँचा तो उस समय जादूगर खाने की मेज पर बैठकर खाना खाने जा रहा था.
तभी बिल्ला बोला,‘“हे महान जादूगर ! मैंने तुम्हारे बारे में बहुत सुना था।
आज तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है।
मैंने सुना है कि आप कोई भी रूप बदल सकते हैं !”
अपनी प्रशंसा सुनकर जादूगर घमंड से भरकर बोला,
“तुमने एकदम सही सुना है।मुझे अपना रूप बदलने की शक्ति प्राप्त है।”
बिल्ला बोला,‘“ तो क्या आप मुझे रूप बदलकर दिखा सकते हैं?"
‘“हाँ-हाँ। क्यों नही?” जादूगर खाने की मेज से उठते हुए बोला ।
"तो आप हाथी बनकर दिखाइए।" बिल्ले ने फरमाइश की। जादूगर
तुरंत हाथी बन गया।
फिर बिल्ले ने उसे भालू, शेर आदि बनने को कहा।
अपनी तरकीब कामयाब होते देख बिल्ला बोला, “अब आप चूहा बनकर दिखाइए !
मुझे तो विश्वास नहीं होता कि आप इतना छोटा रूप भी बना सकते हैं?"
“अरे! कैसे नहीं बन सकता?" यह कहकर जादूगर चूहे में बदल गया।
बिल्ला यही तो चाहता था।
उसने तुरंत झपटकर चूहे को अपने पंजों में दबा लिया और उसे निगल गया।
फिर वह महल के बाहर जाकर खड़ा हो गया ।
उधर जब रास्ते से गुजरते हुए राजा ने किसानों और मजदूरों से खेतों के मालिक के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा,
"हमारे मालिक कारबा के मार्व्विस हैं। ये खेत उन्हीं के हैं ।"
राजा बहुत प्रभावित हुआ। अन्तत: उसका रथ महल के बाहर पहुँचा।
बिल्ले ने राजा का स्वागत करते हुए कहा, "महाराज!
कारबा के माविस के महल में आपका स्वागत है ।
स्वादिष्ट, गर्मा-गर्म खाना आपका इंतजार कर रहा है।"
बिल्ला सबको खाने की मेज पर ले गया। राजा महल की भव्यता देखकर चकित
रह गया। सबने खाना खाया।
राजा ने इतना स्वादिष्ट खाना पहले कभी नहीं खाया था।
खाना खाने के बाद राजा बोला, "हे कारबा के माविस !
मैं आपकी समृद्धि देखकर प्रभावित हूँ।
मैं आपके सामने एक प्रस्ताव रखना चाहता हूँ।
आप उसे स्वीकार कर लें।"
‘“महाराज! आप कैसी बातें कर रहे हैं।
आप तो बस आज्ञा दीजिए।" मिल मालिक के बेटे ने कहा ।
“मेरी इच्छा है कि आप राजकुमारी से विवाह कर लें।
राजकुमारी के लिए आपसे अधिक सुयोग्य वर और कोई हो ही नहीं सकता।"
राजा ने कहा।
मिल मालिक के बेटे ने अपनी सहमति जता दी।
दोनों का विवाह खूब धूमधाम से संपन्न हुआ।
मिल मालिक का बेटा अब राजमहल में ही रहने लगा।
बिल्ला भी राजमहल में आ गया और बड़ी शान से रहने लगा।
राजा की मृत्यु के बाद मिल मालिक का बेटा ही उसका उत्तराधिकारी बना।
उसने बिल्ले को अपने दरबार में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया।
उसने उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इस प्रकार एक बिल्ले ने एक मामूली मिल मालिक के बेटे का भाग्य
बदल दिया ।