Chhotu Mahan Story In Hindi- Chhotu Mahan Kahani

Chhotu Mahan Story In Hindi- Chhotu Mahan Kahani

छोटू महान कहानी

छोटू महान

किसी समय एक गरीब मिल मालिक अपनी बेटी के साथ रहता था।

उसकी बेटी बहुत सुंदर थी।

वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था।

वह अक्सर अपनी बेटी की तारीफ करते हुए अपने पड़ोसियों से कहता,

“मेरी बेटी में राजा की पत्नी बनने के सारे गुण हैं।

मैं तो उसकी शादी राजा से ही करूँगा।”

मिल मालिक की बात सुनकर उसके पड़ोसी उसका मजाक उड़ाते, लेकिन उस पर कोई असर न पड़ता।

एक दिन वह राजा से मिलने उनके दरबार में जा पहुँचा।

उसने राजा का अभिवादन करते हुए कहा,“महाराज ! मेरी बेटी बहुत सुंदर और गुणी है।

उसमें पुआल को कातकर सोना बनाने का विशेष गुण है।"

" अगर तुम्हारी बेटी इतनी योग्य है तो हम उसकी कला अवश्य देखना चाहेंगे।

तुम उसे मेरे महल में भेज दो।

मैं उसके हुनर की परीक्षा लूँगा ।'' राजा ने कहा ।

राजा की बात सुनकर मिल मालिक खुश हो गया।

वह यही तो चाहता था कि राजा एक बार उसकी बेटी को देख ले।

उसे आशा थी कि उसकी बेटी की सुंदरता देखकर राजा अवश्य ही उसे अपनी रानी बना लेगा। मिल मालिक राजा

से विदा लेकर अपने घर लौट आया।

घर लौटकर उसने अपनी बेटी को पुआल से सोना कातने वाली बात बताते हुए कहा,“बेटी !

कल तुझे राजमहल जाना है।

मुझे विश्वास है कि राजा अवश्य ही तेरे गुणों से प्रभावित होकर तुझे अपनी पत्नी बना लेगा।"

‘‘पिताजी ! मैं मानती हूँ कि आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मुझे रानी बना देखना चाहते हैं।

लेकिन आपको राजा से झूठ नहीं बोलना चाहिए था।

आप तो जानते हैं कि मुझे कोई सोना-वोना बनाना नहीं आता।

जब राजा को सच्चाई पता चलेगी तो पता नहीं क्या होगा।''

बेटी ने अपनी शंका व्यक्त करते हुए कहा।

अगले दिन मिल मालिक अपनी बेटी को महल छोड़ आया।

राजा ने एक छोटे से कमरे में पुआल भरवा दिया था।

वह मिल मालिक की बेटी से बोला, “मैंने एक कमरे में पुआल भरवा दिया है।

तुम जाकर अपना काम शुरू कर सकती हो।

पुआल कातने के लिए चरखा भी रखा है।

यदि तुम सुबह तक सारे पुआल को कातकर सोना बनाने में असफल रही तो मैं तुम्हें फाँसी पर चढ़ा दूँगा।"

एक सेवक उसे कमरे में छोड़ आया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया।

मिल मालिक की लड़की को समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ से शुरू करे वह रोने लगी।

उसे अपनी मौत निश्चित दिखाई दे रही थी।

अचानक कमरे का दरवाजा खुला और एक बौना अंदर आया।

वह बोला, “हे सुंदरी ! तुम रोओ मत ! मैं यहाँ तुम्हारी मदद करने के लिए ही आया हूँ।

अगर मैं तुम्हारी मदद करूँगा तो उसके बदले तुम मुझे क्या दोगी?"

'यदि तुम सारी सारी आल को कातकर सोना बना दोगे तो मैं तुम्हें अपना हार दूँगी।”

लड़की ने कहा। बौने ने लड़की से हार लिया और पुआल कातने लगा।

लड़की एक कोने में सो गई।

बौने ने पूरी रात काम करते हुए पुआल को कातकर सोना बना दिया और

सुबह होने से पहले वह वहाँ से चला गया।

सुबह जब लड़की की आँख खुली तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो

रहा था। वह खुश थी कि उसकी जान बच गई। कुछ देर बाद जब राजा आया तो पुआल की जगह सोना देखकर हैरान रह गया। सोना देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। वह बोला,

'वाह! तुमने तो कमाल

कर दिया।”

"तो क्या मुझे घर जाने की

इजाजत है, महाराज।"

लड़की ने कहा।

"नहीं, अभी नहीं। तुम

घर कैसे जा सकती

हो? अभी तो तुम्हें मेरे लिए और सोना बनाना है।" राजा ने कहा ।

राजा पर लालच का भूत सवार हो चुका था।

उसने एक बड़े कमरे को पुआल से भरवा दिया और मिल मालिक की बेटी को आदेश देते हुए कहा,

"तुम्हें रात भर में सारे पुआल को कातकर सोने में बदलना होगा।

यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम जीवित नहीं बचोगी । "

मिल मालिक की लड़की कमरे में एक कोने पर बैठकर रोने लगी।

उसने सोचा, 'कल तो उस बौने ने मेरी मदद कर दी थी, लेकिन आज क्या होगा?

तभी दरवाजा खुला और वही बौना अंदर आया ।

उसे देखकर लड़की के चेहरे पर खुशी छा गई ।

वह बोला,“ यदि मैं तुम्हारा काम करूँगा तो तुम मुझे क्या दोगी ?"

अगूंठी ।" लड़की ने अपनी अँगूठी उतारते हुए कहा।

बौने ने अँगूठी ली और पुआल कातने लगा।

लड़की एक कोने में आराम से सो गई। बौना पूरी रात काम

करता रहा और काम पूरा होते ही वहाँ से चला गया ।

अगली सुबह जब राजा आया तो सोना देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

सोने की ऐसी बरसात होने पर वह बहुत खुश था।

उसका मन नाच रहा था। लेकिन वह संतुष्ट नहीं था।

वह लड़की से बोला, “इस बार पहले दोनों कमरों से बड़े कमरे में पुआल रखी है।

तुम उसको सोने में बदल दो।

यदि तुम सफल रही तो मैं तुम्हें अपनी पत्नी बना लूँगा।"

लड़की उदास होकर पुआल वाले कमरे में बैठी थी कि तभी बौना आकर बोला,

“मैं पुआल कात दूँगा पर पहले यह बताओ कि आज तुम मुझे क्या दोगी?"

लड़की रोते हुए बोली, “इस बार तुम्हें देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है।"

“कोई बात नहीं। लेकिन तुम मुझसे वादा करो कि जब तुम रानी बन जाओगी तो

तुम अपनी पहली संतान मुझे दोगी। तुम्हें मंजूर हो तो बोलो।'' बौने ने शर्त रखी।

लड़की ने बौने की शर्त मान ली।

बौने ने रात भर काम किया और एक बार फिर पुआल को कातकर सोने में बदल दिया।

सुबह जब राजा आया तो सोना देखकर बहुत खुश हुआ और बोला, “हे सुंदरी!

मैंने तुमसे शादी करने का वादा किया था।

मैं अपना वादा पूरा करना चाहता हूँ।

तुम्हें मेरी पत्नी बनने में कोई ऐतराज तो नहीं है?"

“नहीं महाराज ! मुझे कोई ऐतराज नहीं।

बल्कि यह तो मेरा सौभाग्य है।”

मिल मालिक को जब यह खबर मिली तो वह बहुत खुश हुआ।

राजा और मिल मालिक की बेटी की शादी खूब धूमधाम से हुई।

अब मिल मालिक की बेटी रानी बन गई थी।

शादी के एक साल बाद रानी ने एक बच्चे को जन्म दिया।

बच्चे का जन्मोत्सव खूब धूमधाम से मनाया गया।

समय के साथ-साथ रानी बौने से किया गया अपना वादा भूल गई थी।

अचानक एक दिन उसके कमरे में बौना प्रकट हुआ और बोला, “रानी बनते ही तुम अपना वादा भूल गई।

चलो, अब वादानुसार बच्चे को मुझे सौंप दो।"

यह सुनकर रानी भयभीत हो गई।

उसने बच्चे को अपने सीने से लगा लिया। वह

बोली, “तुम मेरा बच्चा छोड़ दो।

इसके बदले तुम धन-दौलत, राजपाट जो चाहे ले लो, लेकिन मेरे बच्चे को छोड़ दो।

मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ।" यह कहकर वह फफक-फफककर रो पड़ी।

लेकिन बौने पर रानी के रोने का कोई असर नहीं पड़ा।

वह बोला, "किसी भी धन दौलत से ज्यादा मेरे लिए बच्चा मायने रखता है।

मैं उसे लेकर ही रहूँगा।" बौने का हठ देखकर रानी उसके पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाने लगी।

तब वह बोला, “अच्छा ! ठीक है, मैं तुम्हारे बच्चे को छोड़ दूँगा।

लेकिन तुम्हें मेरा नाम खोजकर बताना होगा।

इस काम के लिए मैं तुम्हें तीन दिन का समय देता हूँ।

तुम चाहो तो अपने बच्चे को बचा लो।"

यह कहकर वह वहाँ से चला गया।

उसके जाने के बाद रानी ने अपने आदमियों को बुलाया और कहा, “जाओ!

पूरे राज्य में जितने भी नाम हैं, सारे ढूँढकर लाओ।''

और वह स्वयं भी पूरी रात नाम सोचती रही।

अगले न जब बौना आया तो रानी ने एक-एक करके नाम कहने शुरू किए, पर

बौना हर नाम के बाद नाच-नाचकर कहता, "यह मेरा नाम नहीं है। "

इस बार रानी ने अपने आदमियों को पड़ोसी राज्यों से नाम पता कर लाने को कहा।

रानी के आदमी नामों की एक लंबी सूची लेकर आए।

दूसरे दिन जब बौना आया तो रानी ने सूची में से एक छोर से दूसरे छोर तक सारे नाम पढ़ डाले,

पर बौने का जवाब वही था, “नहीं, यह मेरा नाम नहीं है।"

रानी परेशान हो गई। बस उसके पास आखिरी दिन बचा था।

उस दिन जब नामों की तलाश के बाद रानी के आदमी वापस आए तो वे बोले,

“महारानी साहिबा ! हमें बहुत अफसोस है कि आज हमें एक भी नया नाम नहीं मिला।

वही घिसे- पिटे पुराने नाम। लेकिन आज जब हम लौट रहे थे तो घने जंगल के बीच में एक छोटी झोंपड़ी दिखाई दी।

झोंपड़ी के बाहर आग जल रही थी और उस आग के चारों ओर एक अजीब-सा आदमी नाच-गाकर कह रहा था-

‘कल बड़ा मजा आएगा,

रानी का बेटा मेरा हो जाएगा।

मेरी कोई नहीं कर सकता पहचान,

नाम है मेरा-छोटू महान ।

यह सुनकर रानी बहुत खुश हुई।

उसकी खुशी का कोई ओर-छोर न रहा ।

तीसरे दिन जब बौना आया तो वह रानी से बोला, “कहो, रानी मेरा नाम क्या है?

कहो, कहो?" रानी ने बौने को यह जताया कि वह उसका नाम नहीं जानती ।

वह एक के बाद कई नाम लेने लगी।

और हर नाम सुनकर बौने ने खुश होकर कहा, "नहीं, यह मेरा नाम नहीं है ।"

तब रानी ने आखिरी नाम लेते हुए कहा, "शायद तुम्हारा नाम ‘छोटू महान' है।”

यह सुनना था कि बौने का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

वह गुस्से चीखने-चिल्लाने लगा। उसने गुस्से में खुद के दो टुकड़े कर दिए और वहाँ से गायब हो गया।

बौने के गायब होते ही रानी ने चैन की साँस ली और वह अपने बच्चे व पति के साथ सुखपूर्वक रहने लगी ।