Jack Or Jaduyi Beej Story In Hindi- Jack Or Jaduyi Beej Kahani

Jack Or Jaduyi Beej Story In Hindi- Jack Or Jaduyi Beej Kahani

जैक और जादुई बीज

जादुई बीज

जैक और जादुई बीज

बहुत समय पहले जैक नाम का एक गरीब लड़का अपनी माँ के साथ

एक टूटी- फूटी झोंपड़ी में रहता था।

उनके पास न तो खाने के लिए भरपेट भोजन था और न पहनने के लिए ढंग के कपड़े।

बस किसी तरह उनकी गुजर-बसर हो रही थी।

जैक की माँ ने एक गाय पाली हुई थी।

उसे इस गाय से बहुत प्यार था और वह उसकी खूब सेवा करती थी।

उनके पास आय का कोई साधन नहीं था।

एक दिन जैक की माँ उससे बोली, “बेटा!

अब गुजारा करना बहुत मुश्किल हो रहा है।

तुम एक काम करो, गाय को बेच दो।

उसे बेचकर जो पैसे मिलेंगे, उससे कुछ समय तो सुख-चैन से कटेगा।''

यह कहते हुए उसकी माँ की आँख भर आई थीं।

“माँ ! गाय तो तुझे बहुत प्यारी है।

तुम उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करती हो।

फिर भी उसे बेचने को कह रही हो।

" जैक ने उदास स्वर में पूछा।

"तो फिर क्या करूँ?

गाय को बेचने के अलावा हमारे पास और कोई चारा भी नहीं है।

घर में अन्न का एक दाना नही हैं। गाय के अलावा और कोई सामान भी

तो नहीं है, जिसे बेचा जा सके।"

माँ ने मन कठोर करते हुए कहा ।

"ठीक है माँ! मैं कल ही इसे बाजार ले जाकर बेच आऊँगा।"

जैक ने कहा ।

अगले दिन जैक सुबह-सवेरे ही गाय को खोलकर बाजार की तरफ चल दिया।

उसने माँ को भी नहीं उठाया।

वह जानता था कि माँ गाय को जाते हुए देखकर दुखी हो जाएगी।

जैक ने अभी आधा रास्ता ही तय किया होगा कि उसे एक राहगीर मिला।

राहगीर ने उससे पूछा,‘“तुम गाय लेकर कहाँ जा रहे हो?

क्या तुम इसे बेचोगे?"

‘“ हाँ-हाँ! क्यों नहीं?

मैं इसे बेचने के लिए बाजार ही जा रहा था।

आप मेरी गाय का क्या दाम देंगे?"

जैक ने उत्सुकता से पूछा।

“मैं तुम्हें गाय के बदले पाँच जादुई सेम के बीज दूँगा।"

वह व्यक्ति बोला, 'तुम इन्हें अपने बगीचे में बो देना और फिर तुम जल्दी ही धनी हो जाओगे।"

जैक कुछ देर तक सोचता रहा।

अन्ततः उसने राहगीर से सेम के बीज ले लिए और बदले में उसे गाय दे दी।

वह जादुई सेम के बीज लेकर तेजी से घर की ओर भागा।

जैक को जल्दी घर आया देखकर माँ ने पूछा, "क्यों रे जैक!

तु इतनी जल्दी घर कैसे आ गया? क्या गाय बिक गई?

कितने में बिकी?"

“माँ! तुमने भी एक साथ कितने सारे सवाल पूछ डाले।

मैं तुम्हारे सारे सवालों का जवाब देता हूँ।"

जैक मुस्कुराते हुए बोला, “माँ! मुझे गाय बेचने के लिए बाजार जाना ही नहीं पड़ा।

रास्ते में ही एक खरीदार मिल गया। उसने हमारी गाय खरीद ली।

मैंने पाँच जादुई सेम के बदले उसे गाय बेच दी।"

जैक ने अपनी मुट्ठी खोलकर माँ को जादुई सेम के बीज दिखाए।

सेम देखकर माँ का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

वह गुस्से से चिल्लाते हुए बोली, "तु गाय को सिर्फ इन पाँच बीजों में बेच आया।

अरे! तेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे क्या?"

यह कहकर माँ ने जैक के हाथ से सेम के बीज उठाकर घर की खिड़की से बाहर फेंक दिए ।

उस दिन जैक को भूखा ही रहना पड़ा।

अगले दिन सुबह जब जैक उठा तो उसे बाहर का मौसम अंधेरा-

कुछ

अंधेरा-सा लगा।

उसने बिस्तर से उतरकर खिड़की से बाहर झाँककर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

बाहर अंधेरा आकाश में बादल घिर जाने के कारण नहीं था,

बल्कि सेम की बड़ी-बड़ी पत्तियों के कारण हो गया था।

रातभर में ही सेम की बड़ी-बड़ी बेल उग आई थी।

उसकी पत्तियाँ बहुत बड़ी-बड़ी और तना पेड़ जैसा मोटा था।

वह बहुत लम्बी बेल थी।

इतनी लंबी कि उसका अंत ही नहीं दिखता था।

जैक जल्दी से घर का दरवाजा खोलकर बाहर आ गया।

उसने सेम की मोटी-मोटी बेलों पर नजर मारी और फिर वह उस पर चढ़ने लगा।

सेम की टहनियाँ मोटी व मजबूत थीं, इसलिए जैक आसानी से चढ़ पा रहा था।

वह जैसे-जैसे ऊपर चढ़ता गया, सेम की बेल पतली होती गई।

अन्तत: वह चढ़ता हुआ बेल की चोटी पर पहुँच गया।

वहाँ से होकर एक रास्ता जा रहा था।

जैक उस रास्ते पर आगे बढ़ चला। कुछ ही

दूर चलने पर उसे एक रहस्यमयी महल दिखाई दिया।

जैक महल के दरवाजे तक पहुँचा।

उसने साहस करके महल का दरवाजा खटखटाया।

थोडी ही देर में एक विशालकाय औरत ने दरवाजा

खोला। दरवाजे पर जैक को देखकर वह बोली,

'अंदर आ जाओ। लेकिन मेरे पति से सावधान

रहना। वे राक्षस हैं। अगर उन्होंने तुम्हें देख लिया तो वे तुम्हें मारकर खा जाएंगे।"

यह सुनकर डर के मारे जैक का चेहरा पीला पड़ गया।

उसे डरा हुआ देखकर राक्षसी बोली, “डरो नहीं ।

अभी वह घर पर नहीं है। तुम अंदर आओ।"

वह जैक को अपने साथ रसोई में ले गई

उसने एक थाली में जैक को खाना दिया। जैक भूखा

था, इसलिए वह जल्दी-जल्दी खाने लगा।

अभी उसने दो-चार निवाले ही खाए थे कि पूरा कमरा हिलने लगा।

राक्षसी बोली, "लगता है मेरा पति आ

गया। तुम जल्दी से छुप

जाओ।" उसने जैक को

अलमारी में छुपा दिया।

राक्षस घर के अंदर घुसते ही बोला, "मनुष्य की गंध। मुझे मनुष्य की गंध

आ रही है। यदि कोई भी मनुष्य यहाँ हुआ तो मेरे हाथों नहीं बचेगा। मैं उसे

मारकर खा जाऊँगा।"

यह सुनकर राक्षसी बनावटी

मुस्कुराहट के साथ बोली,

"नहीं स्वामी! यहाँ कोई नहीं है। मैंने आपके लिए गोश्त बनाया है।

यह उसी की गंध है । आप बेवजह ही - शक कर रहे हैं।"

जैक अलमारी को हल्का-सा खोलकर राक्षस को देख

रहा था। वह विशालकाय

राक्षस था। खाना खाने के

बाद राक्षस अपनी पत्नी से बोला, “जाओ, सोने के अंडे देने वाली मेरी प्यारी मुर्गी को ले आओ।"

राक्षसी तुरंत मुर्गी ले आई।

राक्षस मुर्गी से बोला, “मेरी प्यारी मुर्गी ! अब मुझे सोने के अंडे दे।”

मुर्गी ने उसकी बात मानते हुए अंडे दे दिए।

राक्षस ने वे सारे अंडे उठाए और उन्हें अपनी जेब में रखकर सोने चला गया।

जल्दी ही वह खटि भरने लगा। अच्छा अवसर जानकर जैक अलमारी से बाहर आया।

उसने मुर्गी को पकड़ा और वहाँ से भाग निकला।

उसने तब तक पीछे मुड़कर नहीं देखा, जब तक वह सेम के तने तक नहीं पहुँच गया।

वह जल्दी से तना पकड़कर नीचे उतरा। अपने घर पहुँचकर उसने चैन की साँस ली।

जैक को सही-सलामत देखकर उसकी माँ बहुत खुश हुई। जैक माँ को मुर्गी

दिखाते हुए बोला, “माँ! यह

मुर्गी हमारा भाग्य बदल देगी। यह सोने के अंडे देने वाली

मुर्गी है।"

यह जानकर माँ हैरान रह गई।

जैक ने मुर्गी को एक स्थान पर

रखा और सोने के अंडे देने को

कहा। मुर्गी ने कई सारे अंडे

दिए। जैक उन अंडों को बेच

आया।

अंडे बेचकर जो पैसे मिले,

उनसे वह घर का जरूरी

सामान और खाना ले आया।

अब तो मुर्गी रोज सोने के अंडे देती।

इस प्रकार जैक और उसकी माँ के दिन फिर गए।

जैक अपनी प्यारी गाय को भी खरीदकर वापस ले आया।

और फिर वे तीनों आराम से रहने लगे।

कुछ समय बाद जैक ने एक बार फिर सेम की बेल पर चढ़ने का फैसला किया।

इसलिए वह अगले दिन सुबह-सवेरे उठकर सेम की बेल पर चढ़कर राक्षस के महल पहुँचा।

उसने महल पहुँचकर दरवाजा खटखटाया तो पिछली बार की तरह ही इस बार भी दरवाजा राक्षस की पत्नी ने खोला ।

राक्षस की पत्नी जैक को नहीं पहचान पाई, क्योंकि इस बार जैक ने सुंदर-सुंदर नए कपड़े पहने हुए थे ।

उसने पहले की तरह ही जैक को अंदर आने को कहा और उसे अपने पति से सावधान किया।

वह जैक को लेकर रसोई की तरफ जाने लगी।

अभी वे पहुँचे भी नहीं थे कि राक्षस आ गया।

राक्षस की पत्नी बोली, "तुम जल्दी से लकड़ियों की टोकरी में छुप जाओ।"

जैक लकड़ियों के अंदर छुप गया।

राक्षस आते ही बोला, "मानव गंध, मानव गंध। मानव की गंध आ रही है। यदि

यहाँ कोई मानव हुआ तो मैं उसे मारकर खा जाऊँगा।"

“नहीं स्वामी, नहीं। यह तो सूप की खुशबू है।

मैंने आपके लिए सूप बनाया है।

" यह कहकर उसकी पत्नी ने एक कटोरे में गर्मागर्म सूप परोस दिया।

राक्षस सूप पीने लगा।

सूप पीने के बाद पत्नी को आवाज देते हुए बोला, “मेरी वीणा ले आओ। अब मैं संगीत सुनूँगा।'

राक्षसी ने वीणा लाकर राक्षस के हाथ में थमा दी।

राक्षस वीणा से बोला, सोना चाहता हूँ।

तुम मुझे मधुर लोरी गाकर सुनाओ।”

राक्षस का इतना कहना था कि वीणा खुद-ब-खुद बजने लगी।

उसकी ध्वनि मधुर और मादक थी।

वीणा की लोरी सुनकर राक्षस को जल्दी ही नींद आ गई।

जैक ने इतना मीठा संगीत पहले कभी नहीं सुना था, उसने सोचा, 'क्यों न इस वीणा को मैं ले लूँ?

इसका संगीत कितना मीठा है ? '

राक्षस के सोते ही जैक ने वीणा उठा ली और उसे लेकर भागा।

महल के दरवाजे से बाहर निकलते ही वीणा चिल्लाई, "बचाओ ! मालिक, मुझे बचाओ। कोई

मुझे चुराकर ले जा रहा है । "

यह सुनकर राक्षस उठ

गया और वह

महल से बाहर की ओर दौड़ा।

उसे जैक हाथ में वीणा लेकर भागते हुए दिखाई दिया।

वह गुस्से से चिल्लाकर बोला, "रूक जा लड़के! मैं तुझे छोडूंगा नहीं।

तूने ही मेरी मुर्गी चुराई और अब वीणा चुराकर भाग रहा है।

आज तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता।" राक्षस जैक

का पीछा करते हुए सेम के तने के सिरे तक आ पहुँचा था।

जैक तेजी से नीचे उतरने लगा। उसके पीछे-पीछे राक्षस भी तने की सहायता से नीचे उतरने लगा।

जैक को लगा कि राक्षस के भार से तना टूट रहा है।

जैक और तेजी से उतरने लगा।

वह जैसे ही नीचे उतरा उसने वैसे ही पास रखी कुल्हाड़ी से सेम के तने को काटना शुरू कर दिया।

कुल्हाड़ी के निरंतर प्रहार से तना जल्दी ही कटकर भूमि पर आ गिरा।

तने के साथ राक्षस भी भूमि पर आ गिरा।

उसके भार से जमीन में एक गहरा गड्ढा हो गया और वह उसके अंदर गायब हो गया।

इसके बाद वह फिर कभी दिखाई नहीं दिया।

अब जैक अपनी माँ के साथ सुखपूर्वक जीवनयापन करने लगा।