एक जीजा के चार सारे रहत हैं।
जीजा रहत हे नग ओर चारई सारे रहत हैं ठग।
बे जीजा हे तंगात रहत हें।
कभऊँ भी कछु भी माँगबे चले आत हैं, भलेई बा चीज जीजा के जोरे होय या नं होय।
एक बार का भओ चारई सारे
जीजा के झाँ रुपया-पईसा माँगबे गए।
जीजा ने बिन्हें टरकाबे काजे बोलो, “मेरे जोरे तो फूटी कोड़ी भी नई हाँ।
फिर कभऊँ अजइयो, में इन्तजाम करके धरहूँ।”
जीजा के झाँ एक सीकों थो। बा पे एक कुम्हड़ा धरो थो।
चारई सारे ने जीजा से पूछी, “जीजा जो सींके पे का
धरो है ?” जीजा बोलो, “हथ्थी को अण्डा हे।”
छोटो सारे बोलो, “तबई तो इत्तो बड़ो हे।” बड़ो सारे बोलो, “जीजा
जीजा, जामें से हथ्थी के कित्ते पिल्ला निकर हैं ?
” जीजा बोलो, “भोत सारे ! मूरखों तुम्हें तो जा भी नईं मालुम हुए
जिन्दो हाथी लाख को होत है ओर मरो हाथी सबा लाख को।
” सारे बोले, “जो अण्डा तो हमें चइए |” जीजा बोलो,
“फोकट में तो में देहूँ ने, काय से जो भोव मेंघो हे।”
बड़ी चिक-चिक के बाद, बाने पाँच सो रुपैया में बो अण्डा
सारों है टिका दओ।
बड़ो सारो अण्डा अपने कन्धा पे धरके घर लेके चलो। अण्डा हथो बड़ो भारी। बो पसीना-पस्नीना हो गओ।
एक दरे में बा की धोती उरझ गई ओर बो कुम्हड़ा धम्म से, दरे में गिर पड़ो। बई दरे में सुअर बेठे थे, बे निकर-
निकरके भगे। सारे बोले, “सत्यानास हो गओ। जे हाथी के सबरे पिल्ला भगे जा रए हैं, बिन्हें पकड़ो।” बिनने
सुअर के पीछे खूब गदबद लगाई पर एक भी सुअर हाथ नई आओ। रह गए सबरे अपनो करम ठोंक के।
फिर कछू दिना बाद सारे हुन जीजा के जोरे गए।
जीजा ने अपनी घरबारी से कई, “जे फिर कछु जुगत से आए
हैं। जरूर कछु न कछू मुसीबत खड़ी करहें।” जीजा ने घरबारी हे समझाओ, “में तोहे बैंसई-बेंसई मार हूँ | तू बेहोंस
होके गिर पड़िए।” अब जेंसई सारे घर में आए बेंसई बाने अपनी घरबारी की कुटाई करबो सुरू कर दओ। घरबारी
बेहोंस होके गिर गई। सारे भोतई गुस्सा होके जीजा से बोले, “हमरी बहन हे काय मार रए हो ?” जीजा बोलो,
“तुमरी बहन जब मोहे तंगात हे तो में बाहे ऐसई पीटत हूँ।” सारों ने अपनी बहन हे हलाके देखी, बा कछू नई
बोली। बिनने जीजा से कई, “तूने हमरी बहन हे मार डाली ?” जीजा ने कई, “ठुको !” जीजा झट से अपने कोठा
में गओ। उते से एक बाँसुरी उठा लाओ ओर घरबारी के मूढ़ के जोरे बेठके बाँसुरी बजाई, तो घरबारी उठके बेठ गई।
सारे देखके हेरान हो गए। बोले, “जो तो गजब हो गओ।” बिनने जीजा से कई, “जा बाँसुरी तो हमें चइए।” जीजा
बोलो, “काय के लाने 7” सारों ने कई, “हमरी घरबारिएँ हमें भोत तंगात हैं। हम भी उन्हें सुधार है। जीजा ने कई,
“जा बाँसुरी देके का बरबाद हूँ हों ?” सारे बोले, “जीजा जे पकड़ों हजार रुपैया, बाँसुरी तो हम लेकेई जेहें।” जीजा
ने रुपैया रखके कई, “ठीक हे, जेंसी तुमरी इच्छा ।”
सारे बाँसुरी लेके घर पोंहचे। पोहचतई से बिनकी घरबारियों से खटपट हो गई। बिनने आओ देखो न ताओ
घरबारियों की इत्ती पिटाई करी, की बे बेहोंस हो गई। बे घरबारियों के मूढ़ के जोरे बेठके भोत देर तक बाँसुरी बजात
रए, पर कुई भी होंस में नई आई। असपताल लें जाके बिनको इलाज कयओ तब बे ठीक भई। बिनके इलाज में
सा्ों को भोत पईसा खंरच हो गओ। गाँओं भर में धू-धू अलग से भई। बे जान गए जीजा ने हमरे संगे भोत बड़ों
धोको करो है। गुस्सा में बे तनतनात बदलो लेबे जीजा के घर चल दए।
जीजा उते तैयार बेठो थो की जे लोग कभऊँ भी आ सकत हें | बाने अपनी घरबारी से कई, “में गेहूँ के कोठला
में लुको जा रओ हूँ।” सारों ने आके पूछी, “जीजा काँ हे ? झल्दी बता।” बहन रोत-रोत बोली, “का बताऊँ भडया,
तुमरे जीजा हे जेंसई पता चलो की तुमरी घरबारियों हे असपताल ले जानो पड़ो, बे डरके मारे भईं के भई ठण्डे हो
गए। मेंने बिनकी लास उठाके भीतर बारे कोठला में धर दई हे। तुम लोग आ गए हो तो बिनको किरिया-करम भी
कर दो।” बड़ो सारो बोलो, “में देख के आत हूँ! कहूँ बास तो नईं आ रई।” जेंसई बाने कोठला में झाँको, जीजा ने
चक्कू से बाकी नाक काट दई। बो अपने हाथ से नाक दबाके बाहर भगो। छोटे सारे ने कई, “लग रओ हे सही में
बसा रओ है, में सुई देख के आत हूँ।” जेंसई जाने भी कोठला में झाँको, जीजा ने सट्ट से बाकी भी णाक काट दई।
बो भी नाक पे हाथ धरके भगो। ऐंसई कर करके जीजा ने चारई की नाक काट दई। अब तो चारई सार्रो है भोत
गुस्सा आओ। बिनने कोठला फोड़ो ओर जीजा हे पकड़के बोरा में भर दओ ओर बोर को मों बाँधके बोले, “जाहे तो
नददी में फेंक हैं।”
चाटई ने बोरा उठाके नदूदी की गेल धर लई। नदूदी थी दूर, बोरा ढोत-ढ्ोत बे हेशन हो गए। चारई इत्ते थक
गए की बोरा उठात ने बने | बड़ो सारो बोलो, “चलो भडया गाँओं से बेलगाड़ी ले अइएँ।” बिनने उतई गेल में बोरा
पटको ओर चल दए गाँओं। बोर में जीजा तड़फड़ा रओ की केंसे बाहर निकरुँड। इत्ते में भई से एक डुकरा अपनी
बकरियों है लेके निकरों। बाहे गेल पे बोर दिखो। बाने बोरा को मों खोलों तो बा में से जीजा निकसे | डुकरा बोलो,
“काय भटया तोहे बोर में कोन ने भर दओ ?” जीजा बोलो, “मेरे रिस्तेदार मेरे दूसरे ब्याओं कर रए और में
करबाओ नईं चाहूँ। जासे बे मोहे बोर में भरके जबरजस्ती ले जा रए है।” डुकरा बोलो, “तुम बड़े भागबान हो जो
तुमरो दूसरों ब्याओ भी हो रओ हे। मेरो तो एकई ब्याओ नईं भओ।” जीजा ने कई, “जा तो भोत अच्छी बात हे। तोहे
ब्याओ करबानो हे तो मेरी जिग्गहा जा बोर में घुस जा।” डुकर बोरा में घुस गओ, जीजा ने बोर को मों कसके
बाँध दओ ओर बोलो, “अब तो समझ तेरे ब्याओ होई गओ।” जीजा ने बकरिएँ इकट्ठी करी ओर दूसरी गेल से, घेर
के अपने घर ले गओ।
इते चारई सारे बेलगाड़ी लेके आए ओर बोर हे बेलगाड़ी पे धरके चल दए। बोर में बेठो डुकरा भोत खुस हो
रओ की मेरो ब्याओ अभई हो जेहे। बेलगाड़ी नद्दी पोंहची। सारों ने बोत उठाओ ओर ढिहा पे से झुलाके बोले,
“हथ्थी घोड़ा पालकी, जै जीजा लाल की।” ओर बोरा हे भोत गहरे पानी में फेक दुओ।
भाँ से बे अपनी बहन के घर पोंहचे। उते के हाल देखे तो सन्न रह गए। जीजा बकरियों हे पानी पिबा रओ थो।
बिन्हें देखके जीजा हँसो। फिर बोलो, “तुम चाटई बड़े मूरख हो, तुम लोगों ने मोहे उथले पानी में फेंको तो मोहे जे
बकरिएँ मिरलीं। अगर मोहे गहरे पानी में फेंकते तो हथ्थी, घोड़ा मिलते।” चारई बोले, “सही में जीजा।” जीजा
बोलो, “जे इत्ती बकरिएँ अपनी आँखों से नईं दिख खईं का।” चाटई सारों ने कई, “जीजा हमें भी नदूदी में फेंको।
जीजा हमें भी नदूदी में फेंको।” जीजा ने कई, “चलो मेरे संग |”
चारई हे बो नद्दी किनारे ले गओ। पहले बड़े सारे हे बाने झुलाके खूब गहरे पानी में फेंको। बो डूबन लगो तो
हाथ पेर फड़-फड़ान लगो। इत्ते में मझलों सारो चिल्लाके बोलो, “जीजा मोहे भी झल्दी फेंक दे, बो अकेलेई सबरे
हथ्थी-घोड़ा लूट ले रओ हे।” जीजा ने मैँझले ओर सँझले सारे हे, एक-एक करके गहरे पानी में फेंक दए। छोटे
सारे की बेरा आई तो बाने कई, “जीजा मोहे भी झल्दी फेंक, बे सबरे लूट ले रए हैं।” जीजा ने बा से कई, “अब आँ
का घरों हे, तू तो मेरे संगे चल मेरी बकरिएँ चरइए ।”