राजकुमार मेढ़क
एक समय की बात है, एक राजा की कई लड़कियाँ थीं
। वे सभी बहुत सुंदर थीं, लेकिन उन सब में सबसे छोटी लड़की सबसे अधिक खूबसूरत थी।
राजा अपनी लड़कियों से बहुत प्यार करता था।
राजा के महल के पास ही एक जंगल था।
जंगल के बीचोंबीच एक सुंदर तालाब स्थित था।
उस तालाब के बीच में एक फव्वारा था।
तालाब में सुंदर-सुंदर कमल, तिली के फूल खिले हुए थे ।
राजा की सबसे छोटी बेटी गर्मियों में अक्सर जंगल में आकर तालाब के किनारे अपना समय बिताती ।
उसे तालाब के किनारे बैठना अच्छा लगता था।
राजकुमारी के पास एक सुनहरी गेंद थी।
वह उस गेंद को उछाल-उछालकर खेलती रहती।
उसे इस खेल में खूब मजा आता था।
एक दिन दोपहर के समय राजकुमारी तालाब के किनारे
अपनी प्रिय गेंद से खेल रही थी कि गेंद तालाब में जा गिरी।
वह गेंद पकड़ने के लिए दौड़ी पर देखते ही देखते गेंद तालाब के अंदर गायब हो गई।
राजकुमारी ने तालाब के अंदर अपना हाथ डाला कि शायद गेंद मिल जाए पर उसे निराशा ही हाथ लगी।
उसे अपनी बहनों की कही बात याद हो आई कि तालाब बहुत गहरा है ।
इतना गहरा कि इसका कोई आधार नहीं है।
अब तो वह अपनी गेंद खोने के गम में जोर-जोर से रोने लगी।
उसके रोने की आवाज सुनकर एक मेढक तालाब से बाहर आया।
वह बोला, “राजकुमारी ! रोओ मत।
मैंने तुम्हारी गेंद को पानी में डूबते हुए देखा।
तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी गेंद ला दूँगा ।
लेकिन.....।"
"लेकिन क्या ?
बोलो, तुम क्या कहना चाहते हो?"
राजकुमारी ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा ।
एक दिन दोपहर के समय राजकुमारी तालाब के किनारे अपनी प्रिय गेंद से खेल रही थी
कि गेंद तालाब में जा गिरी।
वह गेंद पकड़ने के लिए दौड़ी पर देखते ही देखते गेंद तालाब के अंदर गायब हो गई।
राजकुमारी ने तालाब के अंदर अपना हाथ डाला कि शायद गेंद मिल जाए पर उसे निराशा ही हाथ लगी।
उसे अपनी बहनों की कही बात याद हो आई कि तालाब बहुत गहरा है ।
इतना गहरा कि इसका कोई आधार नहीं है।
अब तो वह अपनी गेंद खोने के गम में जोर-जोर से रोने लगी।
उसके रोने की आवाज सुनकर एक मेढक तालाब से बाहर आया।
वह बोला, “राजकुमारी ! रोओ मत।
मैंने तुम्हारी गेंद को पानी में डूबते हुए देखा।
तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी गेंद ला दूँगा ।
लेकिन.....।"
"लेकिन क्या ?
बोलो, तुम क्या कहना चाहते हो?"
राजकुमारी ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा ।
छोड़कर क्यों जा रही हो?
मुझे भी साथ ले चलो। तुम भागी कहाँ जा रही हो?
जरा धीरे चलो, मैं इतना तेज नहीं चल सकता।''
लेकिन अपनी गेंद मिलने के बाद राजकुमारी ने मेढक की तरफ ध्यान नहीं दिया।
वह मेढक से किया गया अपना वादा भी भूल गई।
वह तेज़ी से महल की ओर बढ़ गई ।
अगले दिन जब राजकुमारी अपनी बहनों व पिता के साथ खाना खा रही थी तो उन्हें सीढ़ियों से किसी के आने की आहट सुनाई दी।
जल्दी ही किसी ने दरवाजे पर पहुँचकर कहा, “राजकुमारी!
दरवाजा खोलो। मुझे अंदर आने दो।
मैं इतना चलकर थक गया हूँ।''
यह सुनकर राजकुमारी ने दौड़कर दरवाजा खोला।
दरवाजे पर मेढ़क को देखकर उसने अपनी नाक-भौं सिकोड़ लीं।
वह बोली, “तुम यहाँ क्यों आए हो? जाओ यहाँ से।
भागो!" तब तक
राजा भी वहाँ आ चुका था। राजा बोला,
“बेटी ! क्या मेहमान के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है?
सुन तो लो यह मेढ़क क्या कहना चाहता है?"
राजकुमारी बिना कुछ कहे वापस अपनी
कुर्सी पर आकर बैठ गई।
मेढ़क भी राजकुमारी के पीछे फुदकता हुआ खाने की मेज पर आ बैठा।
राजा ने अपनी कुर्सी पर बैठते हुए कहा, “बेटी!
तुम परेशान लग रही हो ! बताओ तुम परेशान क्यों हो?"
राजकुमारी ने अपने पिता को पूरी बात बता दी।
तब राजा ने उसे समझाते हुए कहा, “राजकुमारी! तुम्हें अपना वादा निभाना चाहिए।
मेढ़क ने तुम्हारी मदद कर अपना वादा निभाया, अब तुम्हारी बारी है।”
पिता की आज्ञा का पालन करते हुए राजकुमारी ने अपनी थाली मेढ़क के आगे कर दी।
मेढ़क मजे से खाना खाने लगा।
फिर उसने राजकुमारी के गिलास से पानी पिया।
राजकुमारी को उसे देखकर घिन आ रही थी, इसलिए वह मुँह फेरकर बैठ गई।
भरपेट खाने के बाद मेढ़क बोला, “राजकुमारी ! अब मुझे नींद आ रही है ।
चलो, तुम्हारे कक्ष में चलते हैं।"
“तुम मेरे बिस्तर पर नहीं सो सकते।
छि: तुम कितने भद्दे हो ! कभी देखा है, अपने आपको।''
राजकुमारी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली।
राजकुमारी के इस व्यवहार पर राजा को बड़ी हैरानी हुई। वह बोला,
‘राजकुमारी! तुम्हें अपना वादा नहीं तोड़ना चाहिए।
मेढ़क जैसा कह रहा है, वैसा करो। "
राजकुमारी मेढ़क को लेकर अपने कमरे में गई। वह बिस्तर पर लेट गई।
इतने में फुदकता हुआ मेढ़क भी बिस्तर पर चढ़ आया। वह
चिल्लाई, ‘“मेरे बिस्तर पर चढ़ने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?
मैं तुम्हें अभी मजा चखाती हूँ।”
यह कहकर राजकुमारी ने मेढ़क को उठाकर अपनी पूरी ताकत से ज़मीन पर दे पटका।
लेकिन राजकुमारी के ऐसा करते ही मेढक एक सुंदर, आकर्षक राजकुमार में बदल गया ।
यह देखकर राजकुमारी हैरान रह गई। राजकुमार बोला, “राजकुमारी! हैरान मत होइए।
मैं एक राजकुमार हूँ।
एक दुष्ट जादूगरनी ने अपने जादू से मुझे मेढ़क बना दिया था।
आज आपने उस जादूगरनी के जादू का प्रभाव समाप्त कर मुझे एक नया जीवन दिया है।
मैं आपका बहुत आभारी हूँ।
मैं आप से विवाह करना चाहता हूँ।
क्या आपको मेरा ये प्रस्ताव स्वीकार है?"
राजकुमारी ने सहर्ष ही राजकुमार से शादी करने के लिए हामी भर दी।
राजा ने दोनों की शादी खूब धूमधाम से की और फिर शादी के बाद राजकुमार,
राजकुमारी को लेकर अपने देश चला गया।