- आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।
_________________________________
- मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।
_________________________________
- जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।
_________________________________
- शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।
_________________________________
- संकट में बुद्धि ही काम आती है।
_________________________________
- लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
_________________________________
- सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
_________________________________
- यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
_________________________________
- कल के मोर से आज का कबूतर भला। अर्थात संतोष सब बड़ा धन है।
_________________________________
- दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।
_________________________________
- विद्या ही निर्धन का धन है।
_________________________________
- अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।
_________________________________
- आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य।
_________________________________
- सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
_________________________________
- सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।
_________________________________
- समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।
_________________________________
- पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।
_________________________________
- योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।
_________________________________
- जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है।
_________________________________
- धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
_________________________________
- दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है।
_________________________________
- कल का कार्य आज ही कर ले।
_________________________________
- सुख का आधार धर्म है।
_________________________________
- जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।
_________________________________
- सुख और दुःख में समान रूप से सहायक होना चाहिए।
_________________________________
- किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।
_________________________________
- आत्मरक्षा से सबकी रक्षा होती है।
_________________________________
- आत्मसम्मान के हनन से विकास का विनाश हो जाता है।
_________________________________
- कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।
_________________________________
- कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
_________________________________
- भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है।
_________________________________
- बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है।
_________________________________
- जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।
_________________________________
- अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें।
_________________________________
- कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
_________________________________
- कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।
_________________________________
- सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।
_________________________________
-
- केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।
_________________________________
- सीधे और सरल व्तक्ति दुर्लभता से मिलते है।
_________________________________
- पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती।
_________________________________
- उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है।
_________________________________
- सदाचार से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
_________________________________
- विवेकहीन व्यक्ति महान ऐश्वर्य पाने के बाद भी नष्ट हो जाते है।
_________________________________
- लोभ बुद्धि पर छा जाता है, अर्थात बुद्धि को नष्ट कर देता है।
_________________________________
- धर्म के समान कोई मित्र नहीं है।
_________________________________
- नीच व्यक्ति को अपमान का भय नहीं होता।
_________________________________
- अहंकार से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं।
_________________________________
- जो दूसरों की भलाई के लिए समर्पित है, वही सच्चा पुरुष है।
_________________________________
- कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।
_________________________________
- बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए।
_________________________________
- सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं।
_________________________________
- सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है।
_________________________________
- सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है।
_________________________________
- जैसा बीज होता है, वैसा ही फल होता है।
_________________________________
- मनुष्य स्वयं ही दुःखों को बुलाता है।
_________________________________
- यह संसार आशा के सहारे बंधा है।
_________________________________
- क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है।