Chanakya Status in Hindi

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 साल पूर्व हुआ था। वह नालंदा विशवविधालय के महान आचार्य थे। उन्होंने हमें ‘चाणक्य नीति’ जैसा ग्रन्थ दिया जो आज भी उतना ही प्रामाणिक है जितना उस काल में था।



  1. आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।
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  3. मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।
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  5. जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।
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  7. शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।
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  9. संकट में बुद्धि ही काम आती है।
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  11. लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
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  13. सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
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  15. यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
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  17. कल के मोर से आज का कबूतर भला। अर्थात संतोष सब बड़ा धन है।
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  19. दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।
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  21. विद्या ही निर्धन का धन है।
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  23. अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।
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  25. आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य।
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  27. सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
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  29. सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।
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  31. समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।
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  33. पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।
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  35. योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।
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  37. जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है।
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  39. धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
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  41. दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है।
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  43. कल का कार्य आज ही कर ले।
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  45. सुख का आधार धर्म है।
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  47. जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।
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  49. सुख और दुःख में समान रूप से सहायक होना चाहिए।
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  51. किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।
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  53. आत्मरक्षा से सबकी रक्षा होती है।
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  55. आत्मसम्मान के हनन से विकास का विनाश हो जाता है।
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  57. कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।
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  59. कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
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  61. भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है।
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  63. बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है।
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  65. जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।
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  67. अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें।
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  69. कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
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  71. कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।
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  73. सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।
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  75. केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।
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  77. सीधे और सरल व्तक्ति दुर्लभता से मिलते है।
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  79. पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती।
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  81. उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है।
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  83. सदाचार से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
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  85. विवेकहीन व्यक्ति महान ऐश्वर्य पाने के बाद भी नष्ट हो जाते है।
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  87. लोभ बुद्धि पर छा जाता है, अर्थात बुद्धि को नष्ट कर देता है।
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  89. धर्म के समान कोई मित्र नहीं है।
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  91. नीच व्यक्ति को अपमान का भय नहीं होता।
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  93. अहंकार से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं।
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  95. जो दूसरों की भलाई के लिए समर्पित है, वही सच्चा पुरुष है।
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  97. कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।
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  99. बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए।
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  101. सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं।
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  103. सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है।
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  105. सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है।
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  107. जैसा बीज होता है, वैसा ही फल होता है।
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  109. मनुष्य स्वयं ही दुःखों को बुलाता है।
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  111. यह संसार आशा के सहारे बंधा है।
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  113. क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है।