- ❤️ मैं केवल भगवान् का हूँ और भगवान मेरे है ऐसा मानने मात्रा से भगवान् से सम्बन्ध जुड़ जाता है ।❤️
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- ❤️ जिसके लिए सुख दुःख , मान अपमान सामान है वही सिद्ध पुरुष है ।❤️
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- ❤️काम कोर्ध और लोभ नर्क के तीन द्धार है.. ।❤️
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- ❤️तुम खुद अपने मित्र हो और खुद ही अपने शत्रु ।❤️
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- ❤️जो अपने मन को नियंत्रित नहीं करते उनका मन ही उनका सबसे बड़ा शत्रु है ।❤️
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- ❤️मनुष्य अपनी वासना के अनुसार ही अगला जन्म पाता है ।❤️
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- ❤️ प्रत्येक कर्म को कर्त्तव्य मात्रा समझकर करना चाहिए । ❤️
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- ❤️ “मैं करता हूँ ” ऐसा भाव उत्पन्न होता है इसको ही ” अहंकार ” कहते है । ❤️
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- ❤️जीवन न तो भविष्य में है न अतीत मैं ,जीवन तो बस इस पल मैं है । ❤️
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- ❤️ सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और ।❤️
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- ❤️ ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है ।❤️
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- ❤️ अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है । ❤️
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- ❤️ मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है ।❤️
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- ❤️इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है । ❤️
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- ❤️ मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है ।❤️
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- ❤️व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे ।❤️
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- ❤️ हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है ।❤️
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- ❤️अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है । ❤️
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- ❤️ मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं । ❤️
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- ❤️ 'जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है ।'❤️
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- ❤️ 'क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है । ❤️
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