सुप्त सुंदरी
किसी समय एक देश पर एक राजा राज्य करता था।
उसकी पत्नी सुंदर और सर्वगुण संपन्न थी।
उसकी प्रजा भी खुशहाल थी।
यूँ तो राजा के शासन में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी,
लेकिन राजा-रानी खुश नहीं थे।
उनके दुख का कारण था, संतान न होना।
वे रोज भगवान से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते।
अंतत: कई वर्षों बाद उनकी प्रार्थना रंग लाई और उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई ।
लड़की के जन्म पर पूरे राज्य में हर्षोल्लास छा गया।
राजा-रानी की खुशी की सीमा न रही।
राजा ने राजकुमारी का जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया।
राजकुमारी के जन्मोत्सव में राजा-रानी ने सभी परियों को बुलाया,
लेकिन वे एक बूढ़ी, भद्दी परी को बुलाना भूल गए।
उत्सव वाले दिन महल में खूब चहल-पहल थी।
सभी परियाँ राजकुमारी को आशीर्वाद देने आई थीं।
परियों ने सुंदरता, बुद्धिमत्ता आदि गुण राजकुमारी को आशीर्वाद स्वरूप दिए ।
तभी वहाँ पर बूढ़ी, भद्दी परी आई।
वह गुस्से से भरी पड़ी थी।
वह ऊँचे स्वर में बोली,‘“भला, मेरे आशीर्वाद के बिना राजकुमारी का भला कैसे होगा?"
उसे देखकर राजा-रानी भयभीत और हैरान-परेशान हो गए।
राजा बोला, “हे बूढ़ी परी! शांत हो जाओ।
मुझे तुम्हारी याद ही नहीं रही, वरना मैं तुम्हें जरूर बुलाता।"
'चुप रहो राजन्! अब बहाने मत बनाओ।
तुमने मुझे न बुलाकर मेरा अपमान किया है।
तुम्हें इसका दंड तो भुगतना ही पड़ेगा।"
बूढ़ी परी गुस्से से चिल्लाते हुए बोली, “राजकुमारी जब युवावस्था में पहुँचेगी तो उसके हाथ में
चरखे की तकली चुभेगी और उसकी मौत हो जाएगी।
यही राजकुमारी मेरा आशीर्वाद है ।"
कहकर वह वहाँ से चली गई।
बूढ़ी परी का शाप सुनकर राजा-रानी के दुख की सीमा न रही।
वे रोने लगे।
लेकिन सौभाग्यवश अभी सबसे छोटी परी ने राजकुमारी को आशीर्वाद नहीं दिया था।
वह बोली, “आप लोग रोइए मत।
मैं बूढ़ी परी का शाप समाप्त तो नहीं कर सकती लेकिन
उसमें कुछ संशोधन जरूर कर सकती हूँ।
तकली चुभने से राजकुमारी की मौत नहीं होगी, बल्कि वह सौ
सालों के लिए सो जाएगी। उसके सोते ही
पूरा राज्य भी गहरी नींद
में डूब जाएगा। सौ सालों बाद एक राजकुमार के स्पर्श से राजकुमारी की नींद टूटेगी
और तब बूढ़ी परी के शाप का प्रभाव खत्म हो जाएगा।”
राजा ने बूढ़ी परी के शाप से बचने के लिए अपने राज्य के सारे चरखे व तकली नष्ट करवा दिए ।
समय के साथ-साथ राजकुमारी बड़ी होने लगी।
वह परियों के आशीर्वाद से बहुत सुंदर, बुद्धिमान व गुणवान थी।
उसने महल के लोगों से बूढ़ी परी के शाप के बारे में जाना-सुना था।
इसलिए वह एक बार तकली देखना चाहती थी, पर कहाँ से देखती !
राजा ने तो सारे चरखे और तकली नष्ट करवा दिए थे ।
एक दिन राजकुमारी महल के अहाते में घूम रही थी।
अचानक उसकी नजर एक
ऊँची मीनार पर पड़ी।
वह मीनार पुरानी व वीरान लग रही थी।
राजकुमारी स्वयं को वहाँ जाने से नहीं रोक पाई ।
वह सीढ़ियाँ चढ़ती हुई मीनार के ऊपर जा पहुँची।
वहाँ एक छोटा-सा कमरा था।
उस कमरे में एक बुढ़िया चरखे पर सूत कात रही थी।
जब राजकुमारी ने बुढ़िया को सूत कातते हुए देखा तो उसे बहुत अच्छा लगा।
उसने बुढ़िया से पूछा, “बूढ़ी अम्मा! तुम क्या कर रही हो?"
बुढ़िया बोली, “चरखे पर सूत कात रही हूँ।
क्या तुम कातना चाहोगी?" ‘“हाँ-हाँ, क्यों नहीं?
यह तकली नाचती हुई बहुत अच्छी लग रही है।"
राजकुमारी ने खुश होकर कहा ।
बुढ़िया ने तकली राजकुमारी के हाथ में थमा दी।
राजकुमारी बोली, “मैं अभी इसे अपने माता-पिता को दिखाकर आती हूँ।"
यह कहकर वह तकली लेकर तेजी से सीढ़ियाँ उतरने लगी।
अचानक उसका पैर फिसला और वह गिर पड़ी।
तकली का सिरा उसकी अँगुली में चुभ गया और वह वहीं पर सो गई ।
जब राजा को पता चला तो वे दौड़कर आए और राजकुमारी को उसके कमरे में ले गए।
तभी वहाँ पर छोटी परी आई और अपनी जादुई छड़ी घुमाकर उसने पूरे राज्य को सुला दिया।
जो जहाँ पर था, वह वहीं सो गया।
रसोइया रसोई में, दरबारी दरबार में, पहरेदार दरवाजे पर सभी अपनी-अपनी जगह पर सो गए।
राजा-रानी भी नींद की आगोश में समा गए थे।
इसी प्रकार समय बीतता रहा।
समय बीतने के साथ-साथ महल के चारों ओर कँटीली झाड़ियाँ व पेड़-पौधे उग आए थे।
सोती हुई राजकुमारी की बात चारों ओर फैल गई थी।
कई राजकुमार अपना भाग्य आजमाने व शाप का प्रभाव समाप्त करने के लिए वहाँ आए भी,
लेकिन वे असफल रहे।
इसी प्रकार साल के बाद साल बीतते रहे और राजकुमारी को सोते हुए पूरे सौ साल हो गए।
शाप के सौ साल समाप्त होने पर एक दिन एक राजकुमार महल के पास से गुजर रहा था।
उसे एक वृद्ध व्यक्ति मिला और बोला, “बेटा!
अपना भाग्य आजमाने जा रहे हो?
जाओ, जाओ। हो सकता है,
सुप्त सुंदरी तुम्हारे भाग्य में लिखी हो। "
“जी, मैं कुछ समझा नहीं?"
राजकुमार ने हैरानी से कहा।
तब बूढ़े ने राजकुमार को पूरी कहानी सुना दी।
बूढ़े ने राजकुमार को ये भी बताया कि पहले भी राजकुमार राजकुमारी को जगाने का प्रयास करने के लिए आ चुके हैं,
पर वे महल तक पहुँच ही न सके।
पूरी बात जानने के बाद राजकुमार बोला, “ मैं राजकुमारी को शाप से मुक्ति अवश्य दिलवाऊँगा।
आपने मुझे इस महल के बारे में बताकर बहुत अच्छा किया।
आखिर मैं भी उस सुप्त सुंदरी को देखूँ और राजकुमार ने अपना घोड़ा महल की ओर मोड़ लिया।
उसने घोड़े को एक पेड़ से बाँधा और अपनी तलवार से झाड़ियों को काटता हुआ आगे बढ़ चला।
वह जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, उसका रास्ता स्वत: ही साफ होता गया।
वह महल के अंदर जा पहुँचा।
महल में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था।
सभी को बेसुध अवस्था में सोता देखकर राजकुमार हैरान रह गया।
वह महल में घूमता हुआ राजकुमारी के कमरे में पहुँचा।
राजकुमारी अपने बिस्तर पर सो रही थी।
वह उसके बिस्तर के पास गया।
राजकुमारी की सुंदरता देखकर वह उस पर मुग्ध हो गया और उससे प्रेम
करने लगा।
वह एकटक राजकुमारी के चेहरे को निहारने लगा।
फिर स्नेहवश उसने राजकुमारी का हाथ अपने हाथ में ले लिया।
राजकुमार का स्पर्श पाते ही राजकुमारी शापमुक्त होकर नींद से जाग गई।
उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। वह बोली,‘“तुम आ गए, राजकुमार।”
राजकुमारी के उठते ही पूरा राज्य नींद से उठ गया।
शाप का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो चुका था।
राजा-रानी की नींद भी भंग हो चुकी थी।
राजकुमार ने राजकुमारी से पूछा, “हे सुंदरी !
क्या तुम मुझसे शादी करोगी?"
राजकुमारी बोली,‘“तुम्हें मेरे माता-पिता से आज्ञा लेनी होगी।"
तब तक राजा-रानी भी वहाँ आ पहुँचे थे।
उन्होंने राजकुमार का शुक्रिया अदा किया।
राजकुमार बोला, “यदि आप लोगों की आज्ञा हो तो मैं राजकुमारी से शादी करना चाहता हूँ।"
राजा-रानी दोनों सहर्ष ही तैयार हो गए। उन्होंने दोनों की शादी खूब धूमधाम से कराई।
शादी में सभी परियाँ उन्हें आशीर्वाद देने आईं, सिर्फ दुष्ट परी को छोड़कर।
राजकुमारी की शादी पर सब लोग खुश थे।
शादी के बाद राजकुमार, राजकुमारी को अपने महल ले आया और दोनों सुखपूर्वक रहने लगे।