Three Friends Story In Hindi- Teen Dost Ki Kahani

Three Friends Story In Hindi- Teen Dost Ki Kahani

तीन दोस्त की कहानी

तीन दोस्त

किसी जंगल में तीन सुअर रहते थे।

उनमें बड़ी गहरी दोस्ती थी।

उनका नाम था- चीकू, मीकू और नीकू। तीनों एक साथ एक ही घर में रहते थे

और सारा काम मिल-बाँटकर करते थे।

तीनों आराम से रह रहे थे।

एक दिन तीनों दोस्तों ने निर्णय लिया कि वे अलग-अलग स्थानों पर जाकर अपना भाग्य आजमाएंगे।

बस फिर क्या था, तीनों ने आवश्यक सामान साथ लिया और एक दूसरे से विदा लेने लगे।

चीकू बोला,‘“दोस्तो ! आज तक हम तीनों एक साथ रहे।

हमने एक दूसरे का ध्यान रखा और हर काम मिल-बाँटकर किया।

लेकिन अब हमें सब काम अपने आप ही करने होंगे।

तुम दोनों अपना ध्यान रखना।"

मीकू बोला, “तुम भी अपना ध्यान रखना।

तुम कुछ ज्यादा ही भोले हो, इसलिए किसी अजनबी की बात पर विश्वास मत करना, खासतौर पर दुष्ट भेड़िए की ।

" “हाँ दोस्तो। हमें दुष्ट भेड़िए से सतर्क रहना होगा।

अब हम तीनों एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग हैं, इसलिए ज्यादा सावधानी रखना होगी।"

नीकू ने कहा। फिर तीनों एक दूसरे के गले मिले और अलग-अलग दिशाओं में बढ़ गए।

एक दूसरे से अलग होते हुए तीनों की आँखें नम थीं ।

चीकू ने सोचा कि क्यों न काम की तलाश में पास वाले गाँव में जाया जाए।

अत: वह उसी ओर बढ़ चला।

अभी वह कुछ दूर ही चला होगा कि रास्ते में उसे एक व्यक्ति पुआल ले जाता हुआ मिला।

चीकू ने सोचा, 'मुझे रहने के लिए घर की आवश्यकता है। क्यों न मैं पुआल का घर बनाऊँ ।

पुआल का घर जल्दी बन जाएगा और मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी।

इस आदमी से पुआल माँगकर देखता हूँ।

यदि यह पुआल दे देगा तो मेरा काम बन जाएगा।'

यह सोचकर चीकू व्यक्ति के पास गया और उसे झुककर नमस्ते करते हुए विनम्रता से बोला,

‘“ श्रीमान् ! मुझे थोड़े से पुआल की जरूरत थी। मैं पुआल से घर बनाना चाहता हूँ।

यदि आप थोड़ा पुआल दे देंगे तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।"

वह व्यक्ति चीकू का शिष्टाचार देखकर बड़ा प्रभावित हुआ और बोला,

‘“तुम अच्छे स्वभाव के हो, इसलिए मैं तुम्हें पुआल देने के लिए तैयार हूँ ।"

व्यक्ति ने चीकू को घर बनाने लायक पुआल दे दिया और वहाँ से चलता बना।

चीकू पुआल मिलने पर बहुत खुश था।

उसने जल्दी-जल्दी अपने लिए पुआल से एक सुंदर घर बनाया ।

वह इस बात से अंजान था कि दुष्ट भेड़िया उस पर नजर

गड़ाए हुए है और उसे खाने की योजना बना रहा है।

चीकू उस दिन थककर जल्दी सो गया।

अगले दिन सुबह जब किसी ने उसका दरवाजा खटखटाया तभी उसकी नींद खुली।

उसने आँखें मींचते हुए बिस्तार पर लेटे-लेटे ही पूछा,‘“कौन है?

इतनी सुबह-सुबह कौन आया है?"

“मैं हूँ तुम्हारा दोस्त !

तुम अपने दोस्तों नीकू और मीकू से अलग होकर अकेले हो गए हो न !”

भेड़िया बनावटी आवाज में बोला।

चीकू भेड़िए की आवाज पहचान गया।

वह बोला, “मुझे पता है, दरवाजे पर तुम दुष्ट भेड़िए ।

मैं तुम्हारे लिए हरगिज दरवाजा नहीं खोलूँगा। जाओ, चले

हो.

,

जाओ यहाँ से।"

यह सुनकर भेड़िए को बहुत-गुस्सा आया ।

वह बोला, "तेरी ये मजाल कि तु मुझे ना कहे।

मैं तुझे अभी मजा चखाता हूँ।

तेरे इस घर को तो मैं अभी फूँक मारकर तोड़ सकता हूँ।

फिर देखता हूँ, तुझे कौन बचाता है?'' और भेड़िए ने

जोर-जोर से फूँक मारनी शुरू की।

उसके फूँक मारने से भेड़िए का घर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।

लेकिन इससे पहले कि भेड़िया चीकू को पकड़ पाता, चीकू वहाँ से बच निकलने में सफल रहा।

भेड़िया हाथ मलता रह गया ।

ठीक उसी समय मीकू भी गाँव की ओर जा रहा था।

रास्ते में उसे एक व्यक्ति लकड़ियों का गट्ठर ले जाता हुआ दिखा।

मीकू ने सोचा,‘यदि यह व्यक्ति मुझे कुछ लकड़ियाँ दे दे, तो मेरा घर बन सकता है।

क्यों न इससे लकड़ियाँ माँगी जाए!'

यह सोचकर वह उस व्यक्ति के पास गया और बोला, “ श्रीमान् !

क्या आप मुझे कुछ लकड़ियाँ दे सकते हैं?

मैं लकड़ियों का घर बनाना चाहता हूँ।"

उस व्यक्ति ने मीकू को लकड़ियाँ दे दीं।

मीकू ने उस व्यक्ति का शुक्रिया अदा किया और अपना घर बनाने में जुट गया।

उसने लकड़ियों से एक सुंदर घर बनाया और सामान से उसे सजाया।

चीकू के बच निकलने पर भेड़िए की नजर अब मीकू पर थी।

वह मीकू के घर गया और उसके घर का दरवाजा खटखटाते हुए बोला,

“मीकू भाई ! दरवाजा खोलो। मैं तुम्हारा घर देखने आया हूँ। तुमने

बहुत सुंदर घर बनाया हैं। "

मीकू भेड़िए की आवाज पहचान गया।

वह समझ गया कि भेड़िया उसे नुकसान पहुँचाना चाहता है।

उसने दरवाजा खोलने से साफ मना कर दिया।

भेड़िए को मीकू का इंकार सुनकर बहुत गुस्सा आया।

उसने मीकू का घर तोड़ने के लिए जोर-जोर से फूँक मारनी शुरू की।

अंतत: मीकू का घर जमीन पर आ गिरा।

भेड़िया तेजी से घर के अंदर गया, लेकिन मीकू अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहा।

भेड़िए को एक बार फिर निराशा हाथ लगी।

उधर तीनों दोस्तों में सबसे समझदार और मेहनती नीकू ने निर्णय लिया कि वह एक मजबूत घर बनाएगा।

नीकू ने कठिन मेहनत करके ईंट बालू से अपने लिए एक सुंदर, मजबूत घर बनाया।

वह उसमें रहने लगा। उसके दोनों दोस्त चीकू और मीकू भी उसे ढूँढते हुए उसके पास आ गए।

तीनों दोस्त आराम से रहने लगे।

लेकिन दुष्ट भेड़िया वहाँ भी आ पहुँचा था।

वह बहुत दिनों से नीकू पर नजर जमाए हुए बैठा था।

एक दिन सुबह-सुबह भेड़िया नीकू के घर के बाहर जा

_पहुँचा। उसने नीकू के घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, “नीकू!

कृपया दरवाजा खोलो। मुझे बाहर ठंड लग रही है।

अपने घर के अंदर आने दो।” नीकू बहुत तेज था।

वह बोला, “दुष्ट भेड़िए ! मुझे पता है कि तुम मुझे खाना चाहते हो।

मैं तुम्हारी चिकनी-चुपड़ी बातों में आने वाला नहीं हूँ।

तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम यहाँ से चले जाओ।"

भेड़िए ने गुस्से में आकर नीकू का घर भी फूँक मारकर तोड़ना चाहा, पर वह असफल रहा।

उसने बहुत कोशिश की लेकिन उसे निराशा ही उसके हाथ लगी।

वह मायूस होकर वहाँ से चला गया ।

अब भेड़िए ने युक्ति से काम लेने की सोची।

बहुत सोचने के बाद उसे एक उपाय सुझाई दिया।

वह नीकू के घर गया और बोला, “नीकू !

यहाँ से कुछ ही दूरी पर एक खेत है ।

वहाँ पर लाल-गाजरें उगी हुई हैं।

क्या तुम कल सुबह सात बजे मेरे साथ गाजर खाने चलोगे?"

“हाँ-हाँ, क्यों नहीं? कल तुम ठीक सात बजे आ जाना,

फिर गाजर खाने चलेंगे।'' नीकू ने भेड़िए से वादा करते हुए कहा ।

अगले दिन नीकू सुबह छह बजे उठकर ही गाजर के खेत में जा पहुँचा। उसने

पया

फटाफट एक बोरी भरकर गाजर तोड़ी और लौट आया।

भेड़िया तय समय के अनुसार ठीक सात बजे नीकू के घर पहुँचा।

उसे घर के अंदर से बड़ी अच्छी खुशबू आई। वह बोला, “नीकू भाई !

क्या बना रहे हो? बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है ।

चलो, गाजर लेने चलना है !"

नीकू अंदर से ही चिल्लाकर बोला, “क्या बनाऊँगा?

गाजर का हलवा बना रहा हूँ। तुम मुझे बेवकूफ समझते हो क्या?

मैं भला गाजर लेने तुम्हारे साथ क्यों जाने लगा?

मैं तुम्हारी मंशा अच्छी तरह जानता हूँ।”

यह सुनना था कि भेड़िया गुस्से से आग-बबूला हो गया।

उसने नीकू को सबक सिखाने की ठान ली।

वह उस समय तो गुस्से से पैर पटकता हुआ चला गया,

लेकिन कुछ समय बाद फिर लौट आया।

उसने नीकू के घर के बाहर से उसे आवाज देते हुए कहा, “नीकू, ओ नीकू!

चलो अब तुमने मुझे धोखा दिया तो दिया। मैंने तुम्हें माफ कर दिया।

पास में ही सेब का एक पेड़ है।

उस पर मीठे, रसीले सेब लगे हुए हैं।

तुम हाँ कहो तो कल सुबह छह बजे चलेंगे।"

नीकू बोला, “तुम मेरे बारे में कितना सोचते हो !

अब तुम कह रहे हो तो चलना ही पड़ेगा।''

"ठीक है, तो फिर कल सुबह मिलते

हैं। पर तुम मुझे आज की तरह धोखा मत देना।"

भेड़िया जाते-जाते बोला।

अगले दिन नीकू सुबह पाँच बजे ही सेब के पेड़ पर चढ़ गया।

उसने एक टोकरी भरकर सेब तोड़े और उतरने लगा।

लेकिन नीचे देखा तो वहाँ भेड़िया खड़ा वह क्रोध व ललचाई नजरों से नीकू को देख रहा था।

नीकू खुद से बोला, “नीकू आज तो तू गया।

अगर जल्दी से तूने कोई तरकीब नहीं सोची तो ये दुष्ट भेड़िया तुझे खा जाएगा।"

भेड़िया बोला,‘“ क्यों नीकू डर गए !

मैं जानता था कि तुम कल की तरह ही मुझे आज भी धोखा दोगे,

इसलिए मैं समय से पहले चला आया। आज तो तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता । '

"

तब तक नीकू तरकीब सोच चुका था।

वह मुस्कुराते हुए बोला, "अरे भेड़िया भाई !

गुस्सा क्यों होते हो? मैंने जो सेब तोड़े हैं, उन्हें आधा-आधा बाँट लेते हैं ।

इस पेड़ के सेब तो बहुत ही मीठे व रसीले हैं।

तुमने ऐसे सेब पहले कभी नहीं खाए होंगे।"

यह कहकर नीकू ने एक-एक करके सेब फेंकने शुरू किए।

लाल-लाल सेब देखकर भेड़िए को लालच आ गया और वह सेब उठाने में लग गया।

भेड़िए का ध्यान बँटा देखकर नीकू मौके का फायदा उठाते हुए पेड़ से उतरा औ

र तेजी से अपने घर की ओर भाग गया।

कुछ देर बाद जब भेड़िए का ध्यान नीकू पर गया तो उसे पेड़ पर न पाकर वह हैरान रह गया।

वह गुस्से में चिल्लाता हुआ बोला,“नीकू ! मैं तुझे नहीं छोडूंगा।

अब मैं तुझे तेरे घर में घुसकर ही अपना शिकार बनाऊँगा ।"

अगले दिन भेड़िया नीकू के घर गया।

लेकिन इस बार उसने कोई आवाज नहीं की।

उसने नीकू के घर का अच्छी तरह से निरीक्षण किया।

उसे घर की छत के ऊपर चिमनी दिखाई दी।

उसने वहीं से घर के अंदर जाने का निर्णय लिया।

भेड़िया नीकू की छत पर चढ़ने लगा।

उस समय नीकू अपने दोस्तों चीकू और मीकू के साथ बातें कर रहा था।

नीकू को छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।

उसने खिड़की से झाँककर देखा तो उसे भेड़िए के पैर दिखाई दे गए।

वह समझ गया कि भेड़िया चिमनी के रास्ते घर में घुसने की योजना बना रहा है।

नीकू ने तुरंत चिमनी के नीचे आग जलाकर उस पर एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करने रख दिया।

पानी जल्दी ही खौलने लगा। फिर नीकू अपने दोस्तों के साथ भेड़िए के गिरने का इंतजार करने लगा ।

उधर भेड़िया इस बात से अंजान चिमनी से नीचे उतरा।

वह सीधे गर्म पानी के बर्तन में जा गिरा।

वह गर्म पानी में बुरी तरह जल गया और थोड़ी ही देर में उसकी मौत हो गई।

भेड़िए के मरते ही तीनों दोस्त नाचने-गाने लगे।

इस प्रकार नीकू ने समझदारी से काम लेते हुए अपनी व अपने दोनों दोस्तों चीकू व मीकू की जान बचाई।