आगरा से पागलो को हवाई जहाज में बिठाकर दिल्ली लाया जा रहा था।
पागल जहाज में हुड़दंग मचा रहे थे।
उनमें से एक तो पायलट के कैबिन में घुस गया और बोला, उठो जहाज मैं चलाऊंगा।
पायलट ने हट्टे-कट्टे पागल से उलझना ठीक न समझा और उससे कहा,
अगर तुम शोर मचा रहे इन लोगो को शान्त कर दो तो मैं तुम्हें जहाज चलाने दूंगा।'
पागल कैबिन में चला गया और तीन-चार मिनट बाद आकर बोला,
लो शान्ति हो गई है अब मुझे जहाज चलाने दो।'
पायलट ने देखा सचमुच कोई आवाज नहीं आ रही थी।
उसने पागल से पूछा, “यह तुमने कैसे किया ?
पागल बोला, 'कुछ खास नहीं।
जहाज उड़ रहा था मैंने उसका दरवाजा
खोलकर उनसे कहा उतरो हवाई अड्डा आ गया है
और वे सब उतर गए।'