अलिफ लैला – काशगर के बादशाह के सामने दर्जी की कहानी

यहूदी हकीम की कहानी खत्म होने के बाद बादशाह से दर्जी ने अपनी कहानी सुनाने के लिए आज्ञा मांगी।

काशगर के बादशाह ने उसे कहानी सुनाने की अनुमति देते हुए सिर हिलाया।

बादशाह से इजाजत मिलते ही दर्जी ने कहा कि मुझे इस नगर में एक व्यापारी ने घर में खाना खाने का न्योता दिया था।

मैं उसी वजह से यहां आया था।

उस व्यापारी ने मेरे साथ ही अपने कई सारे दोस्तों को भी बुलाया था।

उसका घर लोगों से भरा हुआ था और सभी खुशी-खुशी बातचीत कर रहे थे।

मैंने चारों तरफ देखा, लेकिन जिस व्यापारी ने मुझे घर बुलाया था, वो कही नहीं दिखा।

मैंने कुछ देर बैठकर उसका इंतजार किया। तभी देखा कि वो व्यापारी अपने एक दोस्त के साथ बाहर से आ रहा था।

उसका दोस्त काफी खुश था, लेकिन उसका एक पैर नहीं था।

वो दोनों आकर सबके बीच में बैठ गए। मैंने भी व्यापारी को नमस्ते किया और उनसे उनका हालचाल जाना।

तभी अचानक से वो लंगड़ा व्यक्ति वहां से खड़ा हो गया और घर से बाहर जाने लगा।

सभी को न्योता देने वाले व्यापारी ने कहा, “अरे, मित्र तुम कहा जा रहे हो। अभी किसी ने खाना भी नहीं खाया है,

तुम यूं ही बिना खाना खाए नहीं जा सकते।” उसने कहा कि मैं इस राज्य का नहीं हूं और मैं यहां रहकर मरना भी नहीं चाहता हूं।

तुम्हारे घर में एक ऐसा व्यक्ति है, जिसे देखते ही हर चीज खराब हो जाती है।

तब व्यापारी ने पूछा कि वो आखिर किसकी बात कर रहा है ?

उस लंगड़े व्यक्ति ने कहा कि यहां एक नाई है। यह नाई जहां होगा वहां मैं बिल्कुल नहीं रह सकता हूं,

इसलिए आप सब लोग मिलकर खाना खा लीजिए पर मैं यहां नहीं रुक सकता हूं।

सबने उस लंगड़े व्यक्ति से फिर पूछा कि आखिर ऐसा क्या हुआ है।

बहुत बार पूछने के बाद उसने कहा कि देखिए, मैंने इस आदमी की वजह से अपनी जिंदगी में बहुत परेशानियां झेली हैं।

मैं लंगड़ा भी इस नाई की वजह से ही हुआ हूं।

तभी से मैंने यह ठान लिया था कि मैं इस नाई की कभी भी शक्ल नहीं देखूंगा और जहां यह आदमी होगा वहां कभी नहीं रहूंगा।

इस नाई की वजह से ही मुझे अपना शहर बगदाद छोड़ना पड़ा।

मुझे लगा था कि इस नाई से पीछा छूट गया है, लेकिन ये आदमी यहां भी पहुंच गया।

पहले इसने मेरी टांग तोड़ी और अब यह मुझे शायद जान से ही मार देगा,

इसलिए मैं यहां एक पल भी नहीं रह सकता हूं।

मुझे अब बगदाद की तरह इस जगह को भी छोड़ना होगा।

इस व्यक्ति को मैं एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं।

इतना कहकर वो लंगड़ा दोबारा व्यापारी के घर के मुख्य दरवाजे से बाहर की ओर जाने लगा।

व्यापारी उसे रोकने के लिए उसके पीछे दौड़ा।

व्यापारी को भागता देखकर हम लोग भी उस लंगड़े के पीछे गए और उसे रोकने की कोशिश की,

लेकिन वो किसी की भी बात सुनने को राजी नहीं था।

तभी व्यापारी को एक तरकीब सूझी। वो उस व्यक्ति के साथ बाहर गया और उसे प्यार से कहा कि तुम मेरे प्यारे दोस्त हो

और तुम ऐसे ही चले जाओगे, तो मुझे बुरा लगेगा।

तुम्हें बगदाद की तरह यह जगह भी छोड़कर जाना है,

तो चले जाना। बस अभी तुम मेरे दूसरे घर में चलकर खाना खा लो।

मैं तुम्हारे लिए वही खाने लेकर आऊंगा और पूरे सम्मान के साथ तुम्हें खिलाऊंगा।

वो व्यापारी की बात मान गया और उसने दूसरे घर जाकर खाना खा लिया।

खाना खाने के बाद व्यापारी उसे वही लेकर आया, जहां हम सब एक साथ बैठे थे।

हम सब लोग भी खाना खा चुके थे। व्यापारी और लंगड़े व्यक्ति को देखकर सभी लोग उनके पास चले गए। उस व्यक्ति ने सबको नमस्ते कहा और जाने की इजाजत मांगी,

लेकिन किसी ने भी लंगड़े व्यक्ति को वहां से जाने नहीं दिया।

सभी ने उससे कहा कि आप यहां आए हैं और हमें आपने यह बताया कि आपके साथ जो कुछ भी हुआ वो नाई की वजह से हुआ।

हमें आपके लिए बुरा लग रहा है, लेकिन हम सब इसके पीछे की कहानी जानना चाहते हैं।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि आपके पैर चले गए।

उस लंगड़े व्यक्ति ने कहा कि मैं इस नाई के सामने एक मिनट भी रूकना नहीं चाहता हूं।

फिर भी सबने उसे बार-बार अपनी कहानी सुनाने को कहा। परेशान होकर उसने कहा कि अगर आप लोगों को मैंने अपनी कहानी सुनाई,

तो आप सब दुखी हो जाएंगे। फिर भी अगर आप सब चाहते हैं कि मैं अपनी कहानी सुनाई, तो मैं इस नाई की तरफ पीठ करके अपनी कहानी सुनाएंगा। उसकी बात सबने मान ली।

इसके बाद उस लंगड़े आदमी ने अपना पैर टूटने का किस्सा सुनाना शुरू किया।

इस कहानी को जानने के लिए स्टोरी का दूसरा भाग पढ़ें।