नाई की तरफ पीठ करके लंगड़े ने अपनी कहानी शुरू की।
मेरे पिता बगदाद के जाने-माने लोगों में से एक थे।
उन्होंने मुझे पढ़ा लिखाकर इतना काबिल बना दिया था कि मैं व्यापार भी अच्छे से करता था।
एक दिन पिता ने बीमारी की वजह से सारी धन-दौलत मेरे नाम कर दी और चल बसे।
एक बार की बात है, मैं कहीं जा रहा था और तभी सामने से कुछ स्त्रियां मुझे आती दिखाई दीं।
मुझे स्त्रियों से शर्म आती थी, इसलिए मैं पास की गली में जाकर एक घर के किनारे में छुप गया।
मैंने जैसे ही उस मकान की खिड़की से अंदर झांका, तो मुझे एक सुंदर लड़की दिखाई दी, जो पौधों को पानी दे रही थी।
वो इतनी सुंदर थी कि मैं उसे देखते ही रह गया।
वो लड़की मुझे देखकर मुस्कुराई और थोड़ी देर बाद खिड़की बंद करके वहां से चली गई।
उसके जाने के बाद मैं इतना दुखी हुआ कि मैं बेहोश हो गया।
जब मुझे होश आया, तो मैंने उस मकान में एक काजी को जाते देखा।
मुझे लगा कि वो उस लड़की का ही पिता होगा।
इसी सोच के साथ मैं घर लौट गया। दो-चार दिनों तक उस लड़की को न देख पाने के कारण मेरी तबीयत खराब हो गई।
दिन-ब-दिन मेरी हालत बिगड़ती गई। मेरे दिमाग में वो लड़की थी, जिसे मैंने देखा था।
मेरी हालत देखकर मेरे दोस्तों और रिश्तेदारों ने कई हकीम बुलवाए, लेकिन किसी की भी दवा का असर न हुआ और मेरी तबीयत और बिगड़ती चली गई।
फिर एक दिन एक बूढ़ी महिला मुझे देखने के लिए आई।
उसने भी कुछ देर तक मुझे अच्छे से देखा, लेकिन उसे भी कुछ समझ नहीं आया।
फिर उस बूढ़ी महिला ने मेरे कमरे में मौजूद सभी लोगों को बाहर जाने के लिए कहा।
उसके बाद उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है।
मैंने ध्यान से तुम्हें देखा है, तुम्हें किसी तरह का रोग नहीं है।
शायद तुम्हें किसी से प्रेम हो गया है और तुम अपनी बात किसी को बता नहीं पा रहे हो।
तुम अब जल्दी से अपने मन में चल रही बात बता दो।
ऐसा करने से सारी बीमारी ठीक हो जाएगी।
मैं शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था, लेकिन उस बूढ़ी महिला की जिद के आगे मेरी एक न चली।
मैंने उस लड़की के बारे में सब कुछ बता दिया और कहा कि एक बार उसकी झलक देख लूं, तो शायद कुछ ठीक लगे।
फिर मैंने उस जगह के बारे में बताया जहां मैंने उस लड़की को देखा था।
तब उस बूढ़ी महिला ने कहा कि मैं समझ गई हूं कि तुम किसकी बात कर रहे हो।
उस लड़की जैसा पूरे बगदाद में कोई नहीं है, लेकिन उसका पिता अजीब है।
वो अपनी बेटियों को घर में ही बंद रखता है और घर से बाहर निकलने पर उनकी आंखों पर पट्टी बंधवा देता है, ताकि वे किसी लड़के को देख न सकें।
बुढ़िया की बातें सुनकर मैं दुखी हो गया।
फिर उसने कहा कि शायद तुम्हारी किस्मत अच्छी हो।
तुम अपनी कोशिश जारी रखना।
इतना कहकर वो वहां से चली गई और कुछ दिनों बाद वो बुढ़िया दोबारा आई और उसने कहा कि मैंने उस लड़की से बात की वो भी अपने पिता जैसी ही है।
जैसे ही मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया, तो वो मुझपर चिल्लाई और मुझे वहां से भगा दिया।
इतना कहकर बुढ़िया वहां से चली गई।
दिन जैसे-जैसे बीत रहे थे, मेरी तबीयत वैसे-वैसे खराब हो रही थी।
एक दिन बूढ़ी महिला दोबारा आई, लेकिन मेरे आसपास कई सारे लोग थे।
सबको देखकर उसने मेरे कान में कहा कि तुम्हारे लिए खुशखबरी है।
यह सुनते ही मेरे अंदर नई जान आ गई और मैंने सबको कुछ देर के लिए बाहर जाने के लिए कहा और बूढ़ी महिला से बात की।
तब उन्होंने बताया कि वो लड़की से मिलने गई थी।
मैंने रोते हुए कहा कि वो लड़का बहुत बीमार है, लेकिन तुम इतनी कठोर हो कि उससे मिलने को तैयार नहीं हो।
ऐसे तो वो मर जाएगा। फिर उसने कहा कि मैं उसे जानती भी नहीं हूं।
उससे कैसे मिलने चली जाऊं।
तब मैंने बताया कि वो तुम्हारे घर के किनारे खड़ा था और खिड़की से तुम्हें देखा था।
तब उसने कहा कि ठीक है, मैं उससे मिल लूंगी, लेकिन इससे ज्यादा मुझसे और कोई उम्मीद मत करना।
उसने शुक्रवार को तुम्हें मिलने के लिए बुलाया है।
यह सुनते ही मैं बहुत खुश हुआ। मैंने उस बुढ़िया का धन्यवाद किया और उसे इनाम के रूप में कुछ मुद्राएं दीं।
फिर मैं अच्छे से नहा धोकर तैयार हुआ और अपने करीबी लोगों से मिलने गया।
लड़की के पास जाने से पहले मैंने बाल बनवाने के लिए घर में ही नाई को बुलवा लिया।
उसने मुझे कहा कि आज का दिन बाल कटवाने के लिए अच्छा है, लेकिन आपके ग्रह कह रहे हैं कि आज आपको बहुत बड़ा दुख मिलने वाला है,
लेकिन आप अगर मुझे अपने साथ रखोगे, तो सब ठीक होगा। ऐसी ही वो न जाने कितनी फालतू बातें करने लगा।
तब मैंने उसे कहा कि तुम बहुत बोलते हो, चुपचाप से अपना काम करो।
उसके बाद नाई ने कहा कि मेरे छह भाई हैं, एक बकबक, दूसरा बकबारह, तीसरा बूबक, चौथा अलकूज, पांचवा अलनसचर, छठा शाहकुबक और मैं सबसे छोटा भाई हूं, जो सबसे कम बोलता हूं।
उसकी बातें सुनकर मैं परेशान हो गया और उसे पैसे देकर घर से जाने के लिए कहा।
यह बात सुनकर वो गुस्सा हो गया।
उसने बताया कि मेरे पिता ने उसके काम से खुश होकर इतने पैसे दिए थे कि उसकी पूरी जिंदगी भर की जरूरत पूरी हो गई थी।
वो उसकी काबिलियत को समझते थे, लेकिन मैं नहीं समझता हूं।
ऐसी ही वो न जाने कितनी बातें कहने लगा।
इससे परेशान होकर मैं चुपचाप बैठ गया।
मुझे चुप देखकर उसने मेरे बाल काटने शुरू कर दिए।
सिर के एक हिस्से के बाल की छटनी करने के बाद उसने कहा कि आपको कहां जाना है।
मैंने सोचा अगर इसे जवाब न दिया, तो मेरे बाल नहीं काटेगा।
मैंने यूं ही कह दिया कि दोस्त के घर दावत पर जाना है।
मेरी इस बात को सुनते ही उसने कहा कि फिर तो मैं भी आपके साथ चलूंगा।
मैंने उसे मना कर दिया।
तब उसने मेरे पिता का जिक्र करते हुए कहा कि आपके पिता तो मुझे कितनी दावतें देते थे और आप हैं कि एक दावत में नहीं ले जा सकते।
तब मैंने अपनी रसोई में काम करने वाले लोगों को बुलाया और कहा कि आज इनके घर सारा खाना पहुंचा देना।
इतने में वो नाई बोला कि कम से कम 80 लोगों का खाना चाहिए, क्योंकि मेरे दोस्त भी आ रहे हैं।
मैंने कहा ठीक है सब मिल जाएगा।
यह सुनने के बाद उसने कुछ ही देर में मेरे बाल और दाढ़ी की अच्छे से छटाई कर दी।
फिर मैंने उसे कुछ पैसे दिए और जाने के लिए कहा।
वो धन्यवाद कहकर चला गया।
तब मैंने भी मुंह धोया और उस लड़की से मिलने के लिए निकल गया।
मैं जैसे ही उसके घर के पास पहुंचा, तो मैंने देखा कि वो नाई मेरे पीछे-पीछे आ रहा था।
तभी मेरे सामने वो बूढ़ी महिला आई और मुझे लड़की के घर लेकर चली गई।
मैंने काफी देर तक उस लड़की से बात की।
कुछ देर बाद दो आदमियों की आवाज आने लगी।
जैसे ही हमने खिड़की से देखा, तो लड़की के पिता आ रहे थे।
लड़की डर गई और उसने जल्दी से मुझे एक संदूक में छुपा दिया।
तभी उसके पिता घर के अंदर आए और नाई बाहर खड़ा ये सब देख रहा था।
काजी ने घर के अंदर आते ही अपने घर के एक सेवक को खूब डांटा और वो डर के मारे जोर-जोर से रोने लगा।
बाहर खड़े नाई को लगा कि लड़की के पिता ने मुझे पकड़ लिया है।
इतने में उसने बाहर शोर मचाना शुरू कर दिया और आसपास के लोगों को इकट्ठा कर लिया।
उसने सभी लोगों से कहा कि ये काजी मेरे मालिक को मार रहा है।
घर के अंदर से आवाजें आ ही रही थीं, जिसकी वजह से नाई की बातों को सबने सच मान लिया।
सब लोग काजी के घर के दरवाजे के बाहर जमा हो गए और दरवाजा पीटने लगे।
जैसे ही घर का दरवाजा खुला सब लोग अंदर घुस गए।
काजी ने कहा तुम लोगों को क्या हो गया है, इस तरह से अंदर आ गए।
लोगों ने कहा कि तुम इस नाई के मालिक को मार रहे हो।
उसने हैरान होकर कहा कि मैंने किसी के मालिक को नहीं मारा।
मैं भी अंदर डर रहा था कि इस नाई की वजह से जरूर पकड़ा जाऊंगा।
तभी नाई ने कहा कि ये काजी झूठ बोल रहा है।
इसकी बेटी ने मेरे मालिक को मिलने के लिए बुलाया था। वो यहां आया था और तभी ये घर वापस आ गया।
इसने उसे देखा और मारने लग गया।
इस बात को सुनकर काजी ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है। तुम्हारा मालिक यहां नहीं आया है, तुम घर के अंदर जाकर देख सकते हो।
यह सुनकर नाई और अन्य सभी लोग घर में इधर-उधर मुझे ढूंढने लग गए।
तभी नाई की नजर उस संदूक पर पड़ी, जिसके अंदर मैं था।
उसने उस संदूक के ढक्कन को हल्का सा खोला और मुझे देख लिया।
मुझे देखते ही वो नाई उस संदूक को अपने सिर पर लेकर भागने लगा।
सब लोग हैरान थे, इसलिए चुपचाप देखते रहे। जैसे ही नाई काजी के घर से कुछ दूर गया, तो संदूक गिर गया और उसका ढक्कन खुलने की वजह से मैं उससे बाहर निकल गया।
मैं डर कर जल्दी से उठा और अपना मुंह छुपाते हुए भागने लगा।
मेरे पीछे-पीछे नाई भी भाग रहा था और उसके पीछे वो लोग दौड़ रहे थे, जिन्हें लेकर वो काजी के घर पहुंचा था।
तभी मैंने तेजी में नाले को पार करने के लिए छलांग लगाई और उसी समय मेरा पैर फिसल गया, जिसके कारण मेरी एक टांग टूट गई।
टूटा पांव लेकर मैं किसी तरह भागा और पीछे लोगों की तरफ कुछ मुद्राएं फेंक दी, ताकि वो उसे उठाने के चक्कर में न दौड़ें।
सब पैसे देखकर उसे बटोरने लग गए और मैं लंगड़ाते हुए काफी दूर पहुंच गया, लेकिन वो नाई मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था।
तभी नाई मेरे पास पहुंचा और कहने लगा कि मैंने आपको बचा लिया, वरना आपकी मौत तय थी।
लंगड़े आदमी ने लोगों को कहानी सुनाते हुए कहा कि मेरी ऐसी हालत करने के बाद भी यह नाई अपनी तारीफ कर रहा था।
मुझे गुस्सा तो इतना आ रहा था कि उसे मार दूं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और पास के ही अपने एक दोस्त के घर चला गया।
मेरा दोस्त मेरी टूटी टांग के बारे में पूछ ही रहे थे कि तभी ये नाई भी वहां पहुंच गया।
तब मैंने अपने दोस्त को उसे डांटकर वहां से भगाने के लिए कहा।
मेरे दोस्त ने ठीक ऐसा ही किया। फिर मैंने अपने दोस्त को सब कुछ बता दिया।
उस दिन जो कुछ भी हुआ था उसके बाद मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं था, इसलिए कुछ दिनों तक अपने दोस्त के घर में ही रहा।
किसी तरह पैसों का इंतजाम करके पैर के दर्द को ठीक करवाया, लेकिन हड्डी टूटने के कारण मेरा पैर ठीक नहीं हो पाया और वो टूटा का टूटा ही रह गया।
उसके बाद मैंने बगदाद को छोड़ दिया और यहां आकर अपना घर बसा लिया, लेकिन यह नाई मुझे इधर भी मिल गया।
अपनी कहानी खत्म करके लंगड़े ने दावत में आए सभी लोगों से कहा कि बताओ इस नाई की वजह से मेरी क्या हालत हो गई है।
अब मैं इस नाई को देखकर गुस्सा न करूं, तो क्या करूं?
इसकी वजह से मैं जिस लड़की से प्यार करता था उससे दूर हो गया।
इसकी वजह से मुझे शहर छोड़ना पड़ा।
इतनी बदनामी सहनी पड़ी और जिंदगी भर के लिए लंगड़ा हो गया।
इतनी कहानी सुनाकर लंगड़ा व्यक्ति सब लोगों के सामने से चला गया।
उसकी कहानी सुनकर सब लोग वहां मौजूद नाई से पूछने लगे कि तुमने ऐसा क्यों किया?
अगर तुमने ऐसा किया है, तो तुम काफी खतरनाक और मूर्ख आदमी हो।
तुम्हें अपनी करनी की सजा जरूर मिलनी चाहिए।
तब नाई ने कहा कि मैंने कुछ नहीं किया।
अगर उस दिन मैं नहीं होता, तो उसकी जान भी जा सकती थी।
उसने मुझे कहा कि मैं बहुत बोलता हूं, लेकिन मैं अपने भाइयों में से सबसे कम बोलता हूं।
अब मैं अपनी और अपने भाइयों की कहानी सुनाता हूं।
उस नाई ने क्या कहानी सुनाई, जानने के लिए कहानी का दूसरा भाग पढ़ें।