ये कहानी है उस लड़के और लड़की की जो अपने प्यार के सहारे अपनी सारी खुशियाँ एक साथ बाँट रहे और उन्हे दुगना कर रहे और अपने गम बांटकर उन्हे कम कर रहे।
इस कहानी में अनिरुद्ध नाम का लड़का है और प्रिया नाम की एक लड़की है अनिरुद्ध बड़ा ही सीधा-साधा लड़का है ।
अनिरुद्ध के लिए उसका परिवार ही सब कुछ है। अनिरुद्ध अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकता है । इसलिए वह दिन रात मेहनत करता है और दिन-रात मन लगाकर पढ़ाई करता है साथ ही साथ कुछ काम करता है जिसे कुछ पैसे कमा सके। अनिरुद्ध दिन-रात इसलिए मेहनत करता है ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ कर सके बड़ा आदमी बन सके और अपने परिवार का नाम रोशन करें अनिरुद्ध की यही ख्वाहिश थी की अपने मां-बाप को वह खुशी दे सके जिसके वह हकदार है।
अनिरुद्ध इंजीनियरिंग करता है साथ ही साथ वह पार्ट टाइम जॉब भी करता है। अनिरुद्ध चाहता है कि वह बहुत बड़ा आदमी बने। उसे अपने करियर में सक्सेस मिले। ताकि आगे चलकर उससे उसके परिवार को किसी भी तरह की मुसीबत का सामना ना करना पड़े।
अनिरुद्ध रोज की तरह अपने ऑफिस जा रहा रहता है वहां आज उसके ऑफिस में एक प्रिया नाम की लड़की ने न्यू जॉइनिंग की होती है प्रिया को देखते ही अनिरुद्ध को उससे प्यार हो जाता है पहली नजर वाला प्यार। प्रिया भी अनिरूद्ध की तरह ही सीधी-साधी लड़की होती है जिसके लिए उसका परिवार और उसका फ्यूचर ही सब कुछ है वह अपने मां-बाप का हाथ बटाने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी करती हैं। प्रिया लेकिन अनिरुद्ध से थोड़ी सी अलग है।
अनिरुद्ध अपने मां-बाप के कहने पर चलता है जैसा वह कहते हैं वह वैसे ही करता है लेकिन प्रिया अपने सपनों को जीना चाहती है वह अपने सपने पूरे करना चाहती है उसका जो दिल चाहता है वह वही करती है उसने कभी दुनिया की फिक्र नहीं की। लेकिन उसके परिवार की पुरानी सोच उसके सपनों के आड़े आ गई इसलिए प्रिया अपने सपने अब तक जी नहीं पा रही थी। पर उसके मन में अभी आशा जगी हुई थी उसका भगवान में भी काफी विश्वास था उसे यकीन था कि एक न एक दिन उसके सपने जरूर पूरे होंगे जब अनिरुद्ध और प्रिया की पहली मुलाकात हुई अनिरुद्ध उसे अपना दिल दे बैठा। उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गई।
प्रिया को अनिरुद्ध का स्वभाव अच्छा लगने लगा अनिरुद्ध हर वक्त उससे बात करता उसका छोटी छोटी चीजों में मदद करता हर वक्त उसका ख्याल रखना हमेशा उसे पूछना की उसने खाना खाया कि नहीं।
धीरे-धीरे प्रिया भी अनिरुद्ध को पसंद करने लगी थी।
फिर एक दिन अनिरुद्ध ने प्रिया से अपने प्यार का इजहार किया और प्रिया ने भी हां कह दी क्यूंकि प्रिया को भी प्यार चाहिए था वह हमेशा अकेली थी अंदर से उसे कभी इतना प्यार नहीं मिला किसी से और ना ही किसी ने कभी उसकी परवाह की अनिरुद्ध का ऐसा स्वभाव प्यार भरा और परवाह करने वाला देखकर प्रिया ने उसके प्यार को कुबूल किया और अपने प्यार का भी इजहार किया इसी तरह दोनों एक साथ घूमते मिलते एक दूसरे से बातें करते और अपने प्यार के खुशियों के पल समेट ते रहे। प्यार में मीठी तकरार तो होती है इनके बीच की तकरार हुई पर इन्होंने एक दूसरे को समझा एक दूसरे को संभाला और हमेशा एक दूसरे का साथ दिया।
अनिरुद्ध और प्रिया दोनों एक साथ कॉलेज जाते हैं एक साथ काम पर जाते जहां जाते हैं हमेशा एक दूसरे के साथ रहते।
इसी तरह खट्टी मीठी यादों के साथ दोनों ने एक साथ 4 साल गुजारे साथ ही साथ प्रिया इंजीनियर बन गया जिसकी काफी अच्छी नौकरी है और प्रिया भी एक राइटर बन गई साथ ही साथ वह अच्छा गाना भी गाती है अनिरुद्ध ने उसका सपना भी पूरा करने में मदद की गाना गाने का और अपनी आवाज को लोगों तक पहुंचाने का।
इतना समय साथ गुजारने के बाद दोनों के बीच में प्यार बहुत गहरा हो गया दोनों एक दूसरे के बिना अब जी नहीं सकते थे।
दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन बन चुके थे दोनों ने सोचा कि वह अब अपने अपने परिवार वालों को उनके रिश्ते के बारे में बताएंगे।
जब दोनों ने यह बात अपने घर में बताइ तब दोनों के ही परिवार वालों ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया इनके दोनों एक कास्ट के नहीं थे दोनों अलग-अलग कास्ट के थे उनके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था कि उनके बच्चे उनके खिलाफ जाकर बिरादरी के खिलाफ जाकर अपनी कास्ट के खिलाफ जाकर किसी और से शादी करें।
उन दोनों के परिवार वालो ने उनका मिलना फ़ोन पे बात करना सब बंद करा दिया।
दोनो एक दूसरे के बिना रह नहीं पा रहे थे दोनों एक दूसरे की याद मैं तड़प रहे थी। दोनों एक दूसरे को मिलने के लिए बैचैन थी।
अनिरुद्ध जो अपने परिवार की इतनी इज़्ज़त करता है उनके लिए कुछ भी कर सकता है उन्हें कभी दुखी नहीं देख सकट। अपने परिवार की खातिर उसने प्रिया को भूलने का फैसला कर लिया। प्रिया को अपने प्यार और भगवन पे पूरा भरोसा त।उससे यकीं था की वह एक न एक दिन ज़रूर अनिरुद्ध के साथ होगी। इस्लिये उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। उसने बहुत कुछ किया अनिरुद्ध को पाने क लिए रोज़ सुबह शाम वो भगवान् से प्रार्थना करती।
रोज़ अपने माँ बाप से कहती की उसने कभी भी उनकी कोई बात नहीं ताली किसी चीज़ के लिए उसने ना नहीं कहा बस अपनी ज़िन्दगी का फैसला वो खुद करना चाहती थी क्यूंकि वो जानती थी की उसकी ख़ुशी अनिरुद्ध के साथ है और कि
सके साथ नहीं।
प्रिया अकेले ही अपने प्यार के लिए लड़ी उम्मीद कायम रखी भगवन पे भरोसा रखा और एक दिन उसके परिवार वाले मान गए काफी कुछ प्रिया ने सहा काफी गिले शिकवे हुए नाराज़गी हुई लेकिन आखिर मैं सच्चे प्यार की जीत हुई ।
किसी तरह अनिरुद्ध को भी प्रिया ने मन लिया उन दोनों के प्यार के वास्ते और उनके साथ को देखकर उनके परिवार वाले राज़ी होगये इस रिश्ते के लिये। दोनों अलग कास्टे के होने के वजह से दोनों के परिवारों को समाज का डर था की लोग क्या कहेंगे ।
लेकिन अनिरुद्ध और प्रिया को किसी चीज़ की परवाह नहीं थी।
दोनों ये बात अब समाज चुके थे की उनके प्यार के सामने कोई चीज़ बड़ी नहीं वो अपने प्यार के सहारे कोई भी लड़ाई लड़ सकते हैं और जीत सकते है।
आज के ज़माने मैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अब भी जात पात ऊंच नीच को मानते है।
पर इस कहानी से हमें यही सीखने मिलता है की प्यार की कोई जात नहीं होती प्यार का कोई धरम नहीं होता प्यार तो प्यार होता है जिसके सहारे ज़िन्दगी ख़ुशी से जी सकते है।