वो कहते है ना अगर किसी चीज को शिद्ददात से चाहो तो पूरी कायनाथ तुम्हे उससे मिलने में लग जाती है।
तो ऐसी ही कुछ कहानी है अंजलि और वीर की।
आज 4 साल बाद फिर वही आवाज़ सुनाई दी, हवा में फिर वही खुशबू थी, लेकिन सब कुछ बदल चुका था। उससे देख के ऐसा लगा मानो ज़िन्दगी मुझसे बोल रही है तू अभी जिंदा है, तू अब भी ख्वाब देख सकता है, तू अकेला नहीं है अब, लेकिन फिर भी मन में कहीं डर था कि कहीं ये सपना तो नहीं है जो आंख खुलते ही टूट जाएगा, मन में हजार सवाल चल रहे थे।
की तभी वो सामने आक बोली "हाय कैसे हो" मै तो उससे बस देखता ही रह गया वो फिर बोली "हेल्लो कैसे हो कुछ बोलो" मै हड़बड़ाहट में बोला "मैं ठीक ही हूं " तुम जैसी हो, वो बोलि "ठीक हूं। तुम इस कंपनी में जॉब करते हो? मैंने कहा "हां" उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट थी और बोली मै आज ही ज्वाइन हुई हूं यह आज मेरा पहेला दिन है जॉब का। ये सुन कर मानो मेरे अंदर कहीं खुशी की लहर चल पड़ी लेकिन मै उससे वो खुशी बाट नहीं सकता था ।
मै आज 4 साल बाद उससे मिला था। वो मेरी पहेली मोहहबत थी । हम दोनों साथ में बहोत खुश थे लेकिन फिर एक दिन आया जब वो मुझसे जुदा हो गई। आखिरकार गलाती भी मेरी ही थी। असल में वो मुझे छोड़ के नहीं गई थी मैंने ही कुछ ग़लत कर दिया था उसके साथ, मै ही बेहक गया था किसी और के लिए और, लेकिन वो कहते है ना प्यार अगर सच्चा हो तो बुरे से बुरा इंसान को बदल देता है।
ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ।
मै अंजलि को भूल के भी नहीं भुला पाया था और फिर आज 4 साल बाद वो मेरे सामने है क्या बोलूं उससे मै किस मुंह से बात करू कुछ नहीं समझ आरहा था मुझे। वो मेरे ही ऑफिस में अभी नई नई ज्वाइन हुई है और मै उसका सीनियर हूं । हम रोज़ ऑफिस आते है काम करते है और घर जाते है 1 महीना हो गया था हुए लेकिन अंजलि ने मुझसे एक बार भी हमारे बिती हुई ज़िन्दगी में बारे में बात नहीं की कभी भी ना ही वो मुझे पूछी की मै अब उसी के साथ ही या ब्रेकअप हो गया है मेरा।
एक दिन जब शाम ऑफिस से निकलने का टाइम हुआ तो बहोत बारिश हो रही थीं और मेरे पास छता नहीं था कि मै बस स्टैंड तक भी जा सकूं थी मै ऑफिस में ही वेट कर रहा था बारिश रुकने के लिए,तभी अंजलि ऑफिस से निकल रही थी और मुझे बैठा देख कर पूछी "तुम्हे घर नहीं जाना" तो मैंने कहा घर तो जाना है लेकिन मै आज छता नहीं लाया और बाहर बहोत बारिश हो रही है इसलिए वेट कर रहा हूं रुकने के लिए।
वो बोली ठीक है फिर थोड़ा रुक के बोली मेरे पास छाता है चाहो तो मै तुम्हे बस स्टैंड तक छोड़ सकती हूं। मैंने बिना कोई सोच विचार किए जा केह दिया और जल्दी से सब सामान रख के उसके साथ ऑफिस से निकला। बारिश इतनी तेज़ थीं की हम दोनों भिग गए थे बस स्टैंड आते आते और बारिश के वजह से बस भी काफी लेट थी। हम दोनों के बीच शांति थी ना मै कुछ बात कर पा रहा था ना वो कुछ बोल रही थी। फिर मैंने ही हिम्मत जुटा के पूछा की "क्या तुम्हारे शादी हो गई?" वो हस पड़ी और बोली नहीं ये सुन कर मेरे दिल को जो खुशी हुई मै उससे बता भी नहीं सकता था। फिर कुछ देर बाद वो मुझसे पूछी "तुम्हारी हो गई?" मैंने कहा नहीं, फिर थोड़ा रुक कर मुस्कुराते हुए पूछी प्रीती का क्या हुआ।
मै थोड़ा शांत हो गया और बोला हम साथ नहीं है। वो कुछ नहीं बोली बस चुप चाप खड़ी थी। फिर मैंने बहोत हिम्मत जुटा के कहा कि अंजलि मुझे माफ़ कर देना मैंने तुम्हरे साथ बहोत गलत किया था। वो चुप ही थी कुछ नहीं बोली, मै भी चुप खड़ा था फिर थोड़ी ही देर में बस आ गई और हम दोनों बस में गए। अगले दिन जब मैंने ऑफिस में अंजलि को देखा तो मुझे उससे पूछना था क्या सोचा उसने, मुझे माफ़ किया कि नहीं, कैसे बात करु उससे यही सब सोच रहा था कि वो मेरे केबिन में मुझे एक फाइल देने आई, मैंने बिना कुछ सोचे उसे बोल दिया कि ऑफिस के बाद साथ में चलना मुझे कुछ बात करनी है, वो बोली क्या? हम अभी भी इधर बात के सकते है, मैंने कहा नहीं ऑफिस के बाद मिलना वो बोली ठीक है और चली गई।
मै बस इंतजार कर रहा था कि कब 6 बजेंगे की मै उससे बात कर पाऊंगा।
टाइम जैसे थाम ही गया था।
6 बज गया सब एक एक कर के निकाल रहे थे ऑफ़िस से फिर आखिर में मै निकला और साथ में अंजलि भी थी वो रुकी थी मेरे लिए। आज फिर हम साथ चल के गए बस स्टैण्ड और रास्ते में मैंने उससे पूछा कि कल का जवाब नहीं दिया तुमने। वो शांत ही थी कुछ देर फिर बोली किस बात का जवाब क्या जवाब दूं मै गए तुम थे छोड़ के और अब मुझे फिर से वो सब कुछ नहीं चाहिए तो कोई माफ़ी सवाल जवाब की बात ही नहीं बनती।
मैंने उससे बहोत मानने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी। 5 महीने हो गए थे हमें एक ही ऑफिस में काम करते हुए लेकिन हम दोनों ही अब एक दूसरे से बात नहीं करते थे उस दिन के बाद। "मैंने बहोत बार कोशिश किया की अंजलि को मै माना लू उससे ये कह सकु की हा मुझसे गलती हो गई थी लेकिन मै तुम्हारे बिना नहीं रह पा रहा हूं तुम इस ऑफिस में ज्वाइन हुई उससे पहले से मैंने तुम्हे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश किया था लेकिन नहीं हुआ और जब तुम इस ऑफिस में आई तो मेरी खौशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा लेकिन मुझेमे तुमसे बात करने की हिम्मत नहीं होती थी मुझे पता था कि तुम अब भी मुझे प्यार करती हूं लेकिन कहती नहीं हो। "
एक दिन मैंने ही कुछ सोचा और ऑफिस में आक सबको अपनी शादी की खबरें देदी की अगले महीने मेरी शादी होने वाली है।
ये सुन कर ऑफिस में सब मुझे बधाई देने के लिए आए लेकिन अंजलि नहीं आई।
शाम को मैं खुद उसके पास गया और पूछा की क्या तुम्हे खुशी नहीं हो रही कि मेरी शादी होने वाली है। वो बोली क्यों नहीं मै बहोत खुश हूं कि तुम शादी करने जा रहे हो एक नई ज़िंदगी की शुरुवात लेने जा रहे हो। फिर मैंने पूछा कि तुम मुझे बधाई देने की नहीं आयी जब सब लोग आए थे ऑफिस के तो बोली मुझे बहुत काम था मै बस्सी थी, मैंने कहा ठीक है और मै वहां से चला गया। 2 दिन बाद रात को अंजलि का मेसेज आया कि क्या तुम सच में शादी कर रहे हो अगले महीने।
मैंने कहा हां।
अगले दिन अंजलि ऑफिस ही नहीं आई थी, मै सोच में सब गया की क्या हो गया वो आई क्यू नही फिर मैंने अपने कलिग को कहा कि अंजलि को फोन कर के पूछे की वो ऑफिस क्यों नहीं आई, उसने फोन किया तो पता चला कि उससे बहोत तेज भुखर है और वो घर पर अकेला है।
मै तभी ऑफिस से निकाल गया उसके घर जाने के लिए रास्ते में मैंने फोन कर के उसके घर का पता पूछा और जितनी जल्दी हो सके वह पौहुचा, वाहा जाक देखा तो वो अकेले थी और उससे बहोत ठंडी लग रही थी कम्बल में सोई थी।
मै जल्दी से उस उठा के अस्पताल लेक गया। शाम तक उसका भुखर ठीक हुआ तो डॉक्टर ने उससे मिलने की इजाजत दी। मै उसके पास बैठा था।
वो सो रही थी, मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया फिर धीरे से उसकी आंख खुली वो मुझे ही बस देखे जा रही थी।
मैंने धीरे से बोला कि नहीं है मेरी शादी अगले महीने मई शादी नहीं कर रहा हूं, ये सुनते ही वो रोने लगी, मेरे भी आंख में आंसू आ गए मैंने उससे गले लगा लिया और हम दोनों एक दूसरे को पकड़ के बहोत रोइए।
फिर हम वहां से घर गए और हमेशा एक दूसरे के साथ रहने का प्रोमिस किया।