वारिश का मौसम था।
बारिश पड़ने लगी थी।
दो सरदार भीगते हुए जा रहे थे।
संतोख सिंह ने कहा - सरदारजी, बारिश चालू हो गई है। छाता खोल लो।
भाई, कोई फायदा नहीं होगा। इसमें छेद ही छेद हैं।
तो इसे लेकर क्यों चले थे ?
मुझे क्या पता था कि बारिश पड़ने लगेगी ?